Maharashtra: पुलिस व स्वास्थ्यकर्मियों पर दिख रहा टीकाकरण का असर

Maharashtra महाराष्ट्र के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (प्रशासन) संजीव सिंहल बताते हैं कि कोरोना की पहली लहर के दौरान अप्रैल 2020 से जनवरी 2021 तक राज्य में 330 पुलिसकर्मियों को जान से हाथ धोना पड़ा था। इनमें 89 पुलिसकर्मियों की सितंबर में मौत हुई थी।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Publish:Fri, 07 May 2021 10:54 PM (IST) Updated:Fri, 07 May 2021 10:54 PM (IST)
Maharashtra: पुलिस व स्वास्थ्यकर्मियों पर दिख रहा टीकाकरण का असर
पुलिस व स्वास्थ्यकर्मियों पर दिख रहा टीकाकरण का असर। फाइल फोटो

मुंबई, ओमप्रकाश तिवारी। Maharashtra: कोरोना की दूसरी लहर कहर बरपाने में पीछे नहीं है। पहली लहर के मुकाबले इस लहर में न सिर्फ कोरोना के सक्रिय मामलों की संख्या तीन गुनी है, बल्कि मृत्युदर भी दहलाने वाली है। लेकिन इस कहर का दुष्प्रभाव स्वास्थ्य व पुलिसकर्मियों पर वैसा होता नहीं दिख रहा है, जैसा कोरोना की पहली लहर में हुआ था। महाराष्ट्र के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (प्रशासन) संजीव सिंहल बताते हैं कि कोरोना की पहली लहर के दौरान अप्रैल 2020 से जनवरी 2021 तक राज्य में 330 पुलिसकर्मियों को जान से हाथ धोना पड़ा था। इनमें सबसे ज्यादा 89 पुलिसकर्मियों की सितंबर में मौत हुई थी, जब कोरोना की पहली लहर अपना शिखर छू रही थी। दूसरी तरफ इस वर्ष फरवरी में दूसरी लहर शुरू होने के बाद से अब तक सिर्फ 92 पुलिसकर्मियों को जान गंवानी पड़ी है।

महाराष्ट्र में अब तक 60 फीसद पुलिसकर्मियों को ही वैक्सीन की दूसरी डोज दी जा सकी है। सिंहल कहते हैं कि वैक्सीन की दोनों डोज ले चुके पुलिसकर्मी दूसरी लहर में भी संक्रमित हो रहे हैं। लेकिन उन पर कोरोना का दुष्प्रभाव वैसा नहीं हो रहा है, जैसा बिना वैक्सीन लिए लोगों पर हो रहा है। सिंहल के अनुसार वैक्सीन की दोनों डोज लेने के बावजूद विभाग अपने पुलिसकर्मियों से कोविड प्रोटोकाल का पालन करवाने में पीछे नहीं है। सभी पुलिसकर्मियों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि वे मास्क लगाने के साथ-साथ हाथ की सफाई, सैनिटाइजेशन एवं शारीरिक दूरी का पालन करते रहें। एसोसिएशन आफ मेडिकल कंसलटेंट्स की सचिव डा. नीलिमा वैद्य भामरे कहती हैं कि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष सक्रिय मामलों की संख्या अधिक होने के बावजूद डाक्टरों एवं अन्य स्वास्थ्यकíमयों की मृत्युदर काफी कम है। इस बार ज्यादातर स्वास्थ्यकíमयों को प्राथमिकता के आधार पर वैक्सीन की डोज दी जा चुकी है।

डा. नीलिमा के अनुसार टीकाकरण के बावजूद संक्रमण की दर बहुत कम नहीं हुई है। लेकिन बीमारी की गंभीरता काफी कम रही, जबकि दूसरी लहर का वायरस काफी प्रभावशाली है। इसके नए-नए म्यूटेंट सामने आते जा रहे हैं। इसने बहुत लोगों को संक्रमित भी किया और मृत्यु भी बहुत हुई। लेकिन जिन डाक्टरों का टीकाकरण हो चुका था, उन पर यह अपना खतरनाक प्रभाव दिखाने में लगभग नाकाम रहा है। डा. नीलिमा के अनुसार, जिन लोगों को वैक्सीन की दूसरी डोज मिल चुकी है, वे करीब एक माह बाद ऐसी स्थिति में आ जाते हैं कि खतरनाक वायरस के प्रभाव का मुकाबला आसानी से कर सकें। भारत में टीकाकरण का बेहतरीन प्रभाव दिखने के बावजूद आज भी लगभग 40 फीसद स्वास्थ्यकर्मियों व फ्रंटलाइन वर्कर्स को ही टीका लगाया जा सका है। इनमें दूसरी डोज लेने वाले तो और भी कम हैं।

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