Bhima Koregaon Case: गौतम नवलखा की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट तीन मार्च को करेगा सुनवाई
Bhima Koregaon Case उच्च न्यायालय ने नवलखा की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि जिस अवधि के लिए अभियुक्त को अवैध हिरासत में रखा गया उसे डिफ़ॉल्ट जमानत देने के लिए 90 दिनों की हिरासत अवधि की गणना करते समय ध्यान नहीं दिया जा सकता है।
नई दिल्लाी, एएनआइ। Bhima Koregaon Case: भीमा कोरेगांव हिंसा मामले के आरोपित गौतम नवलखा ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। न्यायमूर्ति यूयू ललित, न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की तीन-न्यायाधीश पीठ तीन मार्च को नवलखा की याचिका पर सुनवाई करेगी। उच्च न्यायालय ने आठ फरवरी को नवलखा की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि जिस अवधि के लिए किसी अभियुक्त को अवैध हिरासत में रखा गया है, उसे डिफ़ॉल्ट जमानत देने के लिए 90 दिनों की हिरासत अवधि की गणना करते समय ध्यान नहीं दिया जा सकता है। शीर्ष अदालत में नवलखा ने इस आधार पर जमानत मांगी कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 167 (2) के अनुसार 90 दिनों की निर्धारित ऊपरी सीमा के भीतर अपनी चार्जशीट दाखिल करने में विफल रही।
उन्होंने कहा कि वह अवधि जिसके लिए वह अपने घर में नजरबंद थे, को न्यायिक हिरासत के हिस्से के रूप में गिना जाना चाहिए और धारा 167 (2) के तहत हिरासत की अवधि तय करते समय इस पर ध्यान दिया जाना चाहिए। उन्होंने उसी आधार पर उच्च न्यायालय से जमानत मांगी थी। भीमा कोरेगांव मामले में कई नागरिक स्वतंत्रता कार्यकर्ताओं में से एक, नवलखा को सरकार को गिराने के लिए कथित साजिश के लिए गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूए पीए) के कड़े प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है।
जानें क्या है भीमा कोरेगांव मामला
एक जनवरी 2018 को पुणे के समीप भीमा-कोरेगांव लड़ाई की 200वीं वर्षगांठ पर एक समारोह का आयोजन किया गया था। यहां हिंसा होने से एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। इतिहास पर नजर डालें तो भीमा-कोरेगांव लड़ाई जनवरी 1818 को पुणे के पास हुई थी। ये लड़ाई ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना और पेशवाओं की फौज के बीच हुई थी। इसमें अंग्रेज़ों की ओर से महार जाति के लोगों ने लड़ाई की थी और इन लोगों की वजह से अंग्रेज़ों की सेना ने पेशवाओं को हरा दिया था। इस जीत पर महार जाति के लोग गर्व महसूस करते हैं और हर साल इस जीत का जश्न मनाते हैं। जनवरी 2018 में भीमा-कोरेगांव में लड़ाई की 200वीं सालगिरह को शौर्य दिवस के रूप में मनाया जा रहा था। भीम कोरेगांव के विजय स्तंभ में शांतिपूर्वक कार्यक्रम हो रहा था, लेकिन अचानक ही विजय स्तंभ पर जाने वाली गाड़ियों पर किसी ने हमला करना शुरू कर दिया। जिसके बाद दलित संगठनों ने दो दिन तक मुंबई समेत नासिक, पुणे, ठाणे, अहमदनगर, औरंगाबाद, सोलापुर सहित अन्य इलाकों में बंद बुलाया। तोड़फोड़ और आगजनी की घटना हुई। इसके बाद दंगा भड़काने के आरोप में विश्राम बाग पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज हुआ और पांच लोगों को हिरासत में लिया गया।