Maharashtra: बार्ज पी-305 दुर्घटना के 30 शवों का होगा डीएनए परीक्षण
Maharashtra टाक्टे के कारण अरब सागर में डूब गए बजरे (बार्ज) पी-305 में मारे गए लोगों में से 30 के शवों की पहचान मुश्किल हो रही है। मुंबई पुलिस ने इनका डीएनए परीक्षण कराने का निर्णय किया है। अब तक 61 के शव ढूंढे जा चुके हैं।
राज्य ब्यूरो, मुंबई। Maharashtra: चक्रवाती तूफान टाक्टे के कारण अरब सागर में डूब गए बजरे (बार्ज) पी-305 में मारे गए लोगों में से 30 के शवों की पहचान मुश्किल हो रही है। मुंबई पुलिस ने इनका डीएनए परीक्षण कराने का निर्णय किया है। बार्ज पी-305 पर सवार रहे लोगों में से अब तक 61 के शव ढूंढे जा चुके हैं। शिवसेना व राकांपा इस दुर्घटना के लिए ओएनजीसी व एफकांस के विरुद्ध आपराधिक मामला दर्ज करने की मांग कर रहे हैं। 17 मई की शाम डूबे बार्ज पी-305 दुर्घटना मामले में मुंबई के यलो गेट थाने में रिपोर्ट दर्ज की गई है। नेवी व कोस्टगार्ड ने इस दुर्घटना के कारण समुद्र डूबे 61 लोगों के शव अब तक ढूंढे हैं। इनमें 30 शवों की पहचान नहीं हो पा रही है। पुलिस के अनुसार, कुछ शव सड़ चुके हैं, कुछ पर गहरे घाव हैं। जिसके कारण उनकी पहचान मुश्किल हो रही है।
यहां होगा डीएनए परीक्षण
इनके परिजनों के रक्त के नमूने लेकर इन सभी शवों का डीएनए परीक्षण कालीना स्थित फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी में करवाया जाएगा। परीक्षण में पुष्टि होने के बाद ही ये शव उनके परिजनों को सौंपे जाएंगे। यह जानने के लिए कि कहीं दुर्घटना में मारे गए लोग कोरोना पीड़ित तो नहीं थे, सभी शवों का आरटी-पीसीआर टेस्ट भी करवाया गया है। सोमवार शाम को डूबे उक्त बजरे के बाद से नौसेना व कोस्टगार्ड अभी भी लापता लोगों की तलाश कर रहे हैं। 26 लोगों की तलाश अभी भी नहीं की जा सकी है। इनमें 15 लोग बार्ज पी-305 के व 11 सदस्य टगबोट वराप्रदा के हैं। गोताखोरों की विशेष टीम से लैस आइएनएस मकर व आइएनएस तरासा ने भी दुर्घटनास्थल के आसपास पहुंचकर लापता लोगों की तलाश शुरू कर दी है। डूब गई उक्त दोनों नौकाओं की तलाश के लिए नौसेना भी पानी के अंदर तलाश अभियान चलाने की तैयारी कर रही है।
शिवसेना ने कहा, यह गैर इरादतन हत्या का मामला
उक्त दुर्घटना पर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप भी थम नहीं रहे हैं। शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में शनिवार को लिखा कि यह दुर्घटना प्राकृतिक आपदा के कारण नहीं हुई है। यह गैर इरादतन हत्या का मामला है। ओएनजीसी ने बहुत पहले दे दी गई तूफान की चेतावनी को गंभीरता से नहीं लिया। जिसके कारण इतने लोगों को जान गंवानी पड़ी है। ओएनजीसी प्रशासन की यह लापरवाही आश्चर्यजनक है। सामना ने सवाल उठाया कि क्या इस दुर्घटना की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान अपने पद से इस्तीफा देंगे? शिवसेना की ही तर्ज पर महाराष्ट्र में उसके साथ ही सरकार चला रही राकांपा व अखिल भारतीय नाविक संघ ने भी ओएनजीसी व एफकांस के विरुद्ध गैरइरादतन हत्या का मामला दर्ज करने की मांग की है।