Maharashtra: विस्फोटक हो सकता है कोरोना से लड़ रहे स्वास्थ्यकर्मियों का असंतोष
Corona in Maharashtra. अब तक सरकारी रिकार्ड के मुताबिक 500 डॉक्टर कोरोना पॉजिटिव हो चुके हैं जिनमें से पांच की मृत्यु भी हो चुकी है।
ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। Corona in Maharashtra. कोरोना संकट में सबसे ज्यादा लस्त-पस्त दिख रहे महाराष्ट्र में इस लड़ाई की अग्रिम पंक्ति में जूझ रहे स्वास्थ्यकर्मी ही असंतुष्ट हैं। यह असंतोष वे बार-बार प्रशासन को पत्र लिखकर व्यक्त भी कर रहे हैं। इसके बावजूद उनकी समस्याओं का समाधान न हुआ तो स्थिति विस्फोटक हो सकती है।
एसोसिएशन ऑफ मेडिकल कंसल्टेंट्स (एएमसी), मुंबई एवं इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए), महाराष्ट्र की ओर से बार-बार उजागर की जा रही अग्रिम पंक्ति के योद्धा स्वास्थ्यकर्मियों की दिक्कतें चिंताजनक हैं। इसे लेकर एएमसी ने मई के दूसरे सप्ताह में मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखा था। उसने शुक्रवार को फिर मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखकर विभिन्न सरकारी एवं निजी अस्पतालों में अग्रिम पंक्ति में जूझ रहे डॉक्टरों की दिक्कतें उजागर की हैं। अब तक सरकारी रिकार्ड के मुताबिक 500 डॉक्टर कोरोना पॉजिटिव हो चुके हैं, जिनमें से पांच की मृत्यु भी हो चुकी है।
एएमसी अध्यक्ष डॉ. दीपक बैद के अनुसार, यह आंकड़ा तो सिर्फ आइएमए का है जो सिर्फ एलोपैथी डॉक्टरों का हिसाब रखता है, जबकि प्राइवेट क्लीनिक्स में प्रैक्टिस करनेवाले ज्यादातर आयुर्वेद एवं होम्योपैथी के डॉक्टर हैं। इन्हें सरकारी दबाव में अपनी क्लीनिक खोलनी पड़ रही है। इन डॉक्टरों को कोविड-19 रोगियों के परीक्षण एवं इलाज का कोई प्रशिक्षण भी नहीं दिया गया है। सरकार ने आश्र्वासन दिया था कि इन्हें दो-दो पीपीई किट एवं मास्क दिए जाएंगे, लेकिन वे भी नहीं दिए गए। यही कारण है कि ये डॉक्टर भी बड़ी संख्या में कोरोना पॉजिटिव हो रहे हैं और उनकी मृत्यु भी हो रही है, लेकिन न तो इनके इलाज की कोई व्यवस्था हो रही है न ही इनकी गिनती कोरोना से लड़ने वाले योद्धा की श्रेणी में हो पा रही है। कोरोना से लड़ने वाले योद्धाओं की मृत्यु पर उनके लिए घोषित 50 लाख रुपये के मुआवजे पर भी इन डॉक्टरों का कोई हक नहीं माना जा रहा है।
एएमसी के अनुसार, दिक्कतें बड़े सरकारी एवं निजी अस्पतालों में काम कर रहे डॉक्टरों की भी कम नहीं हैं। पुलिसकर्मियों एवं बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) कर्मियों के लिए सेवन हिल्स अस्पताल में 50-50 बिस्तर आरक्षित किए गए हैं। बीएमसी कर्मियों की यूनियनें मजबूत हैं। वे दबाव बना सकती हैं, लेकिन डॉक्टरों के लिए ऐसी कोई व्यवस्था नहीं की गई है। दिनरात कोरोना मरीजों के बीच ही घूमनेवाले ऐसे डॉक्टरों के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने पर उन्हें स्वयं इलाज के लिए दर-दर भटकना पड़ता है।
डॉ. बैद ने बताया, हाल ही में इंटर्नशिप कर रहे जूनियर डॉक्टरों के लिए सरकार की तरफ से यह आदेश जारी किया गया कि उनमें से किसी के संक्रमित पाए जाने पर उन्हें ही जवाब देना होगा कि वे कैसे संक्रमित हो गए? यही नहीं, उन्हें एक साल की इंटर्नशिप भी फिर से करनी पड़ेगी। इस आदेश का वरिष्ठ डॉक्टरों द्वारा कड़ा विरोध किए जाने पर सरकार को इसे वापस लेना पड़ा। डॉक्टरों के साथ दुर्व्यवहार की शिकायतें भी आ रही हैं।
आइएमए महाराष्ट्र के अध्यक्ष डॉ. अविनाश भोंडवे ने एक बयान जारी कर जलगांव विधायक गुलाबराव पाटिल द्वारा कोरोना रोगियों का इलाज कर रहे निजी अस्पतालों एवं उनके डॉक्टरों को दी गई धमकी पर चिंता जताई है। एएमसी अध्यक्ष डॉ. बैद का मानना है कि निजी अस्पतालों के साथ भ्रम की यह स्थिति इसलिए पैदा हो रही है, क्योंकि उन्होंने सरकार के आदेश पर कोविड-19 के रोगियों का इलाज तो शुरू कर दिया, लेकिन सरकार ने उनके साथ कोई स्पष्ट समझौता नहीं किया है। इससे अस्पतालों द्वारा कोरोना मरीजों से लिए जा रहे शुल्क में भी स्पष्टता नहीं आ रही है।