Maharashtra: देवेंद्र फडणवीस बोले, गठबंधन के कारण महाराष्ट्र में नहीं बढ़ सकी भाजपा

Maharashtra देवेंद्र फडणवीस का मानना है कि लंबे समय तक शिवसेना के साथ गठबंधन के कारण महाराष्ट्र में भाजपा अपना विस्तार नहीं कर सकी जबकि अगले विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा के पास अकेले सत्ता में आने का सुनहरा मौका है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Publish:Thu, 19 Aug 2021 08:53 PM (IST) Updated:Thu, 19 Aug 2021 08:53 PM (IST)
Maharashtra: देवेंद्र फडणवीस बोले, गठबंधन के कारण महाराष्ट्र में नहीं बढ़ सकी भाजपा
देवेंद्र फडणवीस बोले, गठबंधन के कारण महाराष्ट्र में नहीं बढ़ सकी भाजपा। फाइल फोटो

मुंबई, राज्य ब्यूरो। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री व अब विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फडणवीस का मानना है कि लंबे समय तक शिवसेना के साथ गठबंधन के कारण महाराष्ट्र में भाजपा अपना विस्तार नहीं कर सकी, जबकि अगले विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा के पास अकेले सत्ता में आने का सुनहरा मौका है। फडणवीस गुरुवार को पुणे की शिवसेना नेता आशा बुचके के भाजपा में प्रवेश के अवसर पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि भाजपा पहले इसलिए महाराष्ट्र में अपना जनाधार नहीं बढ़ा सकी, क्योंकि यह शिवसेना के साथ गठबंधन में थी। अब भाजपा को छोड़कर राज्य की तीनों प्रमुख पार्टियां सत्ता में हैं। यह भाजपा को राज्यव्यापी विस्तार देने का सुनहरा अवसर है। भाजपा इसका लाभ लेते हुए अगले विधानसभा चुनाव में अकेले सरकार बनाएगी। फडणवीस के अनुसार, सत्ता में शामिल तीनों दल (शिवसेना, कांग्रेस और राकांपा) घुटन महसूस कर रही हैं। ऐसे में सत्तारूढ़ गठबंधन के एक दल की नेता आशा बुचके का भाजपा में आना स्वागत योग्य है। भाजपा और शिवसेना 1985 के बाद से महाराष्ट्र में गठबंधन करके चुनाव लड़ते रहे हैं।

उनके मुताबिक, गठबंधन के कारण महाराष्ट्र की आधे से ज्यादा विधानसभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को कभी लड़ने का अवसर ही नहीं मिला। इसके कारण इन क्षेत्रों में वह अपना जनाधार भी नहीं खड़ा कर पाई। विधानसभा चुनाव में शिवसेना हमेशा भाजपा से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ती रही है। उन्होंने कहा कि 2014 में जब भाजपा ने बराबर सीटों पर लड़ने का प्रस्ताव रखा तो यह गठबंधन टूट गया। शिवसेना और भाजपा अलग-अलग चुनाव लड़े। तब भाजपा की सीटें शिवसेना से काफी ज्यादा आईं। यह स्थिति देखकर ही शिवसेना ने 2019 में पुनः गठबंधन करना ही उचित समझा। इस बार भी भाजपा की सीटें शिवसेना से लगभग दोगुनी आईं, लेकिन तब शिवसेना ने चुनाव बाद भाजपा के साथ गठबंधन तोड़कर कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के साथ सरकार बना ली।

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