Maharashtra: बार्ज पी-305 हादसे में मरने वालों की संख्या 49 हुई, जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ने लगीं एजेंसियां

Maharashtra तूफान की वजह से अरब सागर में डूब गए बजरे (बार्ज) पी-305 में मरने वालों की संख्या 49 हो गई है। इस बजरे पर दुर्घटना के समय 261 लोग सवार थे। 186 को बचा लिया गया है। शेष की तलाश जारी है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Publish:Thu, 20 May 2021 09:51 PM (IST) Updated:Thu, 20 May 2021 09:58 PM (IST)
Maharashtra: बार्ज पी-305 हादसे में मरने वालों की संख्या 49 हुई, जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ने लगीं एजेंसियां
बार्ज पी-305 हादसे में मरने वालों की संख्या 49 हुई। फाइल फोटो

राज्य ब्यूरो, मुंबई। Maharashtra: चक्रवाती तूफान के कारण सोमवार शाम मुंबई के निकट अरब सागर में डूब गए बजरे (बार्ज) पी-305 में मरने वालों की संख्या 49 हो गई है। इस बजरे पर दुर्घटना के समय 261 लोग सवार थे। 186 को बचा लिया गया है। शेष की तलाश जारी है। 17 मई की शाम सात बजे बार्ज पी-305 के डूब जाने के बाद से ही भारतीय नौसेना व कोस्टगार्ड अपने कई जंगी जहाजों व हेलीकॉप्टरों की मदद से लोगों को ढूंढने का प्रयास कर रहे हैं। दुर्घटना के समय बजरे पर सवार लोगों ने लाइफ जैकेट पहन रखी थीं। इसलिए चार दिन से लंबे खोज व बचाव अभियान में लगी नौसेना को उम्मीद है कि कुछ लोग जिंदा तैरते पाए जा सकते हैं, लेकिन धीरे-धीरे यह उम्मीद भी धूमिल पड़ती जा रही है। बुधवार देर रात तक 26 शव पाए गए थे। जबकि वीरवार को इनकी संख्या 49 हो गई है। 26 लापता लोगों की तलाश अभी भी जारी है।

भारतीय नौसेना के कमांडर अजय झा के मुताबिक, नौसेना मौसम की विपरीत परिस्थितियों के बावजूद अपना खोज एवं बचाव अभियान जारी रखे हुए है। ऊंची लहरों, तेज हवाओं एवं बहुत कम दृश्यता के बीच नौसेना रात में भी सर्चलाइट के जरिए समुद्र की लहरों पर नजर रख रही है, ताकि तैरते हुए किसी भी व्यक्ति को बचाया जा सके। इस खोज अभियान में बार्ज पी-305 के अब तक नहीं मिले 26 लोगों के अलावा दो टग बोट (बजरों के खींचने वाली नौकाएं) के भी 11 लोगों की तलाश की जा रही है। कमांडर झा के अनुसार नौसेना अपना खोज अभियान अगले तीन दिन तक जारी रखेगी। नौसेना के पांच जंगी जहाज आईएनएस कोच्चि, आईएनएस कोलकाता, आईएनएस बेतवा, आईएनएस तेग एवं आईएनएस बियास के साथ उसके कई हेलीकाप्टर भी इस अभियान में लगे हैं। नौसेना के कई सी-किंग, चेतक, एएलएच एवं पी81 मैरीटाइम सर्विलांस हेलीकाप्टर्स सुबह से ही उस स्थान के आसपास समुद्र की लहरों पर मंडराना शुरू कर देते हैं, जहां बार्ज पी-305 दुर्घटनाग्रस्त हुआ था।

इस बीच. नौसेना द्वारा बचाए गए लोगों की जुबानी बार्ज पी-305 की दुर्घटना के कारण भी सामने आने शुरू हो गए हैं। नौसेना द्वारा बचाए गए बार्ज पी-305 के चीफ इंजीनियर रहमान शेख के अनुसार यदि बजरे के कप्तान बलविंदर सिंह ने तूफान की सूचना मिलने के बाद सही समय पर बजरे को सुरक्षित स्थान पर ले जाने का निर्णय ले लिया होता एवं बजरे पर रखे 16 में से 14 राफ्ट पंचर नहीं होते, तो बजरे पर सवार सभी लोगों की जिंदगियां बचाई जा सकती थीं। शेख ने तूफान की चेतावनी मिलने के बाद बार्ज के कप्तान को सुरक्षित स्थान पर चलने का सुझाव दिया था, लेकिन कप्तान उनकी सलाह को नजरंदाज कर दिया था।

जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ने लगीं बार्ज पी-305 से जुड़ी एजेंसियां

अरब सागर में आए चक्रवाती तूफान टाक्टे से बड़ी जनहानि उठा चुके बार्ज पी-305 के मामले की जांच जब तीन सदस्यीय उच्चस्तरीय समिति एवं मुंबई पुलिस दोनों शुरू कर चुकी हैं, तो इस बार्ज से जुड़े सभी पक्ष अब अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ते दिखाई दे रहे हैं। बार्ज पी-305 ओएनजीसी के तेल कुएं के लिए काम कर रहा था। इस दुर्घटना के बाद से अब तक ओएनजीसी की कोई अधिकृत बयान सामने नहीं आया है। लेकिन न्यूज एजेंसी पीटीआई के जरिए उसका जो पक्ष सामने आया है, उसके अनुसार पहले से दी गई अधूरी सूचना एवं चक्रवाती तूफान टाक्टे की गति एवं मार्ग का गलत आकलन यह गलत धारणा बनी की तूफान के कारण अरब सागर में काम रोके जाने की कोई जरूरत नहीं है। जबकि ओएनजीसी की ओर से ठेके पर काम कर रहे एफकान्स इंफ्रास्ट्रक्चर लि. का कहना है कि उसे अपने ‘सर्विस प्रोवाडर’ से रोज दिन में बार मौसम के पूर्वानुमान की जानकारी मुहैया कराई जाती है।

इसके अनुसार ही वह समुद्र में अपना कामकाज निर्धारित करते हैं। 14 मई को जो मौसम का पूर्वानुमान प्राप्त हुआ, उसमें कहा गया था कि 16 मई की रात से 17 मई की सुबह तक तूफान के दौरान एफकान के कार्यस्थल के निकट हवा की गति अधिकतम 40 समुद्री मील प्रति घंटा की हो सकती है।दुर्भाग्यवश 16 मई की शाम से मौसम तेजी से बदलने लगा और 17 की सुबह तक यह पूर्वानुमान के विपरीत बहुत खराब हो गया। मौसम में आए इस अचानक परिवर्तन के कारण बार्ज पी-305 के कैप्टन को बचाव के लिए उचित कदम उठाने का अवसर ही नहीं मिल सका। लेकिन एफकान आज जारी अपने इसी बयान में दुर्घटना की सारी जिम्मेदारी बार्ज पर तैनात कैप्टन पर ढकेलता नजर आता है। उसका कहना है कि सामान्य समुद्री प्रोटोकाल के मुताबिक किसी भी स्थिति में अंतिम निर्णय लेने की जिम्मेदारी बार्ज के मास्टर (कैप्टन) की होती है। क्योंकि जहाज की वास्तविक स्थिति का आकलन वही कर सकता है।

चौतरफा सवाल उठ रहे हैं कि समुद्री तूफान की पूर्व सूचना समय पर जारी हो जाने के बावजूद बार्ज पी-305 को उसके स्थान से हटाकर सुरक्षित स्थान पर क्यों नहीं लाया गया ? जबकि मुंबई हाई तेल खनन क्षेत्र में तैनात ज्यादातर जहाज एवं बार्ज 14 मई को यह सूचना मिलने के बाद मुंबई पोर्ट, मुंबई के बाहर किसी सुरक्षित स्थान या रेवदांडा के निकट जा चुके थे। जबकि बार्ज पी-305 के कप्तान ने अपने बार्ज को एचटी प्लेटफार्म से सिर्फ 200 मीटर दूर रखा। क्योंकि उसे लग रहा था कि तूफान की रफ्तार सिर्फ 40 समुद्री मील प्रति घंटा रहेगी वह भी उसके कार्यस्थल से करीब 120 समुद्री मील दूर। इसी बार्ज पर सवार रहे चीफ इंजीनियर रहमान शेख के मुताबिक तूफान की सूचना मिलने के बाद उन्होंने कप्तान बलविंदर सिंह से कहा कि बाकी जहाज सुरक्षित स्थानों पर जा रहे हैं। हमें भी चलना चाहिए। लेकिन बलविंदर सिंह ने कहा कि हवा की रफ्तार 40 किमी. प्रति घंटा से ऊपर जाने की उम्मीद नहीं है। नेवी के अभियान में बचाकर लाए गए रहमान शेख का कहना है कि 17 मई की सुबह का मौसम कप्तान बलविंदर सिंह के अनुमानों के बिल्कुल विपरीत निकला। फिलहाल कप्तान बलविंदर सिंह की भी तलाश जारी है।

दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग कर रही महाविकास अघाड़ी

बार्ज पी-305 की दुर्घटना ने महाराष्ट्र की सत्तारूढ़ महाविकास आघाड़ी को भाजपा पर हमलावर होने का मौका दे दिया है। इसके नेता पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का इस्तीफे के साथ-साथ दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। महाविकास आघाड़ी में शामिल शिवसेना, कांग्रेस एवं राकांपा के नेता 11 मई को ही मौसम विभाग द्वारा जारी की गई तूफान की सूचना को नजरंदाज करने के लिए ओएनजीसी के अधिकारियों को दोषी मान रहे हैं। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के निकट सहयोगी एवं शिवसेना के प्रवक्ता अरविंद सावंत ने कहा है कि यदि ऐसी ही कोई दुर्घटना महाराष्ट्र में हुई होती, तो भाजपा इस्तीफा मांगने लग गई होती। ओएनजीसी पेट्रोलियम मंत्रालय के अंतर्गत आती है। तो भाजपा नेता पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का इस्तीफा क्यों नहीं मांग रहे हैं ? इतने लोगों की मौत का जिम्मेदार कौन है ? सिर्फ उंगलियां उठाने से काम नहीं चलेगा। उचित मुआवजा एवं अन्य राहत भी दी जानी चाहिए। अरविंद सावंत दक्षिण मुंबई से शिवसेना के सांसद तो हैं ही वह एमटीएनएल यूनियन के श्रमिक नेता भी हैं। वह 2019 में बनी मोदी सरकार में शिवसेना कोटे से मंत्री भी रह चुके हैं। लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव के बाद जब राज्य में शिवसेना-भाजपा का गठबंधन टूटा तो उन्होंने केंद्र सरकार के मंत्रीपद से इस्तीफा दे दिया था।

शरद पवार के नेतृत्व वाली राकांपा के प्रवक्ता नवाब मलिक इस दुर्घटना के जिम्मेदार लोगों पर मानवहत्या के दोष का मामला दर्ज करने की मांग कर रहे हैं। उनके अनुसार टाक्टे तूफान की सूचना सभी को दे दी गई थी, ताकि लोग जरूरी सावधानियां बरतें। स्थानीय सरकारों ने उसके अनुसार काम भी किया और तमाम लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। मछुआरों को समुद्र में न जाने की सलाह दी गई। लेकिन इस दुर्घटना के जिम्मेदार लोगो के कारण 600 लोगों की जान खतरे में पड़ गई। कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं, और बहुत से अभी भी लापता है। ऐसा कुछ लोगों की लापरवाही के कारण हुआ है। महाराष्ट्र कांग्रेस के महासचिव एवं प्रवक्ता सचिन सावंत भी इसे मानव निर्मित त्रासदी बताते हुए कहते हैं तूफान की सूचना बहुत पहले दे दिए जाने के बावजूद ऐसा क्यों हुआ ? इसकी नैतिक जिम्मेदारी स्वीकार करते हुए पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को इस्तीफा देना चाहिए। इसके साथ ही श्रमिकों की जान को खतरे में डालनेवाले सभी जिम्मेदार लोगों पर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। सावंत सवाल करते हैं कि मोदी सरकार अपनी गंभीर गलतियों से कब सबक सीखेगी ?

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