Coronavirus: महाराष्ट्र की जेलों में संक्रमण बढ़ने पर बांबे हाई कोर्ट ने मांगी रिपोर्ट

Coronavirus महाराष्ट्र की जेलों में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले बढ़ने का शुक्रवार को स्वत संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी है। बांबे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से बताने को कहा है कि अब तक कितने कैदी और जेल कर्मचारी कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Publish:Fri, 16 Apr 2021 08:53 PM (IST) Updated:Fri, 16 Apr 2021 08:53 PM (IST)
Coronavirus: महाराष्ट्र की जेलों में संक्रमण बढ़ने पर बांबे हाई कोर्ट ने मांगी रिपोर्ट
महाराष्ट्र की जेलों में संक्रमण बढ़ने पर बांबे हाई कोर्ट ने मांगी रिपोर्ट। फाइल फोटो

मुंबई, प्रेट्र। Coronavirus: बांबे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र की जेलों में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले बढ़ने का शुक्रवार को स्वत: संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी है। बांबे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से बताने को कहा है कि अब तक कितने कैदी और जेल कर्मचारी कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं। जस्टिस नितिन जामदार और सीवी भाडंग की अवकाशकालीन पीठ ने महराष्ट्र सरकार से पूछा है कि जेलों में कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने के लिए वह कौन सा उपाय कर रही है और क्या करने वाली है? अदालत ने इस सिलसिले में राज्य सरकार से विस्तृत विवरण देने को कहा है। हाई कोर्ट ने अखबारों की हालिया रिपोर्टों का हवाला देते हुए अपने आदेश में कहा कि 14 अप्रैल तक राज्य की 47 जेलों में 200 कैदी कोरोना संक्रमित थे।

एक महीने के भीतर संक्रमित कैदियों की संख्या 42 से 200 तक पहुंच गई। इसके अलावा 86 कैदी भी कोरोना वायरस से संक्रमित हैं। राज्य सरकार की ओर से अदालत में पेश एडवोकेट जनरल आशुतोष कुंभकोणी ने कहा कि पिछले साल जुलाई में हाई कोर्ट की एक अन्य पीठ ने कैदियों के संक्रमित होने के मामले में सुनवाई की थी। उस समय अदालत ने कई दिशा-निर्देश भी जारी किए थे। राज्य सरकार को इस बार भी उन्हीं दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिए। इस पर हाई कोर्ट ने कहा कि मामले में अदालती दखल की जरूरत है।

अंतरिम आदेशों की वैधता बढ़ाई

बांबे हाई कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि उसके द्वारा और उसकी नागपुर, औरंगाबाद और गोवा पीठ द्वारा पारित जिन अंतरिम आदेशों की वैधता 19 अप्रैल तक थी, वे अब सात मई तक वैध रहेंगे। अदालत ने कहा कि कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी और राज्य सरकार द्वारा उससे निपटने के लिए लगाए गए प्रतिबंधों के चलते यह फैसला लिया गया है। महाराष्ट्र की अधीनस्थ अदालतों के अंतरिम आदेश भी सात मई तक वैध रहेंगे।

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