Maharashtra: मंशा गलत न हो तो बच्ची का गाल छूना अपराध नहीं: हाई कोर्ट

Maharashtra बांबे हाई कोर्ट ने कहा कि मेरी राय में यौन उत्पीड़न की मंशा के बिना किसी का गाल छूना बाल यौन अपराध संरक्षण कानून की धारा सात के तहत परिभाषित यौन शोषण के अपराध के दायरे में नहीं आता है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Publish:Sun, 29 Aug 2021 08:38 PM (IST) Updated:Sun, 29 Aug 2021 08:38 PM (IST)
Maharashtra: मंशा गलत न हो तो बच्ची का गाल छूना अपराध नहीं: हाई कोर्ट
मंशा गलत न हो तो बच्ची का गाल छूना अपराध नहीं: हाई कोर्ट। फाइल फोटो

मुंबई, प्रेट्र। बांबे हाई कोर्ट ने आठ साल की एक बच्ची के यौन शोषण मामले में 46 वर्षीय आरोपित को जमानत प्रदान करते हुए कहा कि यौन उत्पीड़न की मंशा नहीं हो, तो किसी बच्चे का गाल छूना अपराध नहीं है। जस्टिस संदीप शिंदे की एकल पीठ ने 27 अगस्त को आरोपित मुहम्मद अहमद उल्ला को जमानत दी है, जिसे जुलाई 2020 में पड़ोसी ठाणे जिले की रबोडी पुलिस ने गिरफ्तार किया था। अदालत ने कहा, 'मेरी राय में यौन उत्पीड़न की मंशा के बिना किसी का गाल छूना बाल यौन अपराध संरक्षण कानून की धारा सात के तहत परिभाषित यौन शोषण के अपराध के दायरे में नहीं आता है। रिकार्ड में उपलब्ध कागजात के प्राथमिक मूल्यांकन से यह नहीं लगता कि याचिकाकर्ता ने यौन शोषण की मंशा से पीड़ित के गाल छूए।'

जस्टिस शिंदे ने आदेश में हालांकि स्पष्ट किया कि उनकी टिप्पणी को इस मामले में जमानत के लिए दी गई राय ही समझा जाए। इसका अन्य मामलों में सुनवाई पर किसी तरह का असर न पड़े। अभियोजन के अनुसार, उल्ला ने बच्ची को कथित तौर पर अपनी दुकान के अंदर बुलाया जहां उसने उसके गाल छूए, अपनी कमीज उतारी और पतलून खोलने ही वाला था, तभी एक महिला वहां आ गई। महिला ने आरोपित को बच्ची को अपनी दुकान में ले जाते देखा था और उसे संदेह हुआ था। उल्ला अभी नवी मुंबई की तलोजा जेल में बंद है। उसने अपनी जमानत याचिका में कहा कि उसके कारोबारी प्रतिद्वंद्वियों ने मामले में झूठा फंसाया है।

गौरतलब है कि यौन हमले को लेकर बांबे हाई कोर्ट के हाल ही के एक फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी। हाई कोर्ट की नागपुर पीठ की जस्टिस पुष्पा गनेडीवाला ने 19 जनवरी को अपने फैसले में कहा था कि किसी नाबालिग लड़की के सीने पर हाथ लगने को यौन हमला नहीं माना जा सकता। यौन हमले के लिए यौन मंशा से त्वचा से त्वचा का संपर्क होना जरूरी है। भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने इस फैसले पर रोक लगा दी और आरोपित को नोटिस जारी करके जवाब मांगा था। अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि हाई कोर्ट का फैसला गलत नजीर होगा। सरकार इसे चुनौती देगी। कोर्ट ने उन्हें विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दाखिल करने की इजाजत दी है।

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