Vaccination: बॉम्बे हाईकोर्ट ने केंद्र से कहा, डोर-टू-डोर टीकाकरण से कई लोगों की बच सकती थी जान
Coronavirus मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता की खंडपीठ और जस्टिस जी एस कुलकर्णी ने केंद्र सरकार से पूछा कि क्यों ना इस कार्यक्रम को सक्रिय रूप से शुरू करें क्योंकि कई वरिष्ठ नागरिक टीकाकरण केंद्रों में जाने में असमर्थ हैं।
मुंबई, प्रेट्र। Coronavirus: बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को केंद्र से कहा कि जब वरिष्ठ नागरिकों के जीवन का संबंध है, तब डोर-टू-डोर टीकाकरण क्यों नहीं शुरू किया जाए। बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि अगर केंद्र सरकार डोर-टू-डोर टीकाकरण शुरू किया होता तो कई लोगों को बचाया जा सकता था। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता की खंडपीठ और जस्टिस जीएस कुलकर्णी ने केंद्र सरकार से पूछा कि क्यों ना इस कार्यक्रम को सक्रिय रूप से शुरू करें, क्योंकि कई वरिष्ठ नागरिक टीकाकरण केंद्रों में जाने में असमर्थ हैं। पीठ ने दो वकीलों ध्रुत कपाड़िया और कुणाल तिवारी द्वारा दायर की गई जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह बात कही। वरिष्ठ नागरिकों के लिए डोर-टू-डोर टीकाकरण सुविधा की मांग की गई थी। अदालत ने 22 अप्रैल के अपने पहले के आदेश को दोहराया। कोर्ट ने केंद्र सरकार को अपने फैसले पर ध्यान देने को कहा। इस मामले में अगली सुनवाई 19 मई को होगी। अदालत ने कहा कि कई देशों ने पहले से ही डोर-टू-डोर टीकाकरण की सुविधा शुरू कर दी। न्यायमूर्ति कुलकर्णी ने कहा कि भारत में हम कई चीजें देर से करते हैं। क्यों न डोर-टू-डोर टीकाकरण शुरू किया जाए।
इधर, यूथ बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया (वाईबीएआइ) ने गत दिनों घर-घर जाकर कोरोना टीकाकरण की खातिर नियम बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। वाईबीएआइ ने इसके लिए उचित कदम उठाने का निर्देश देने की मांग की है। कहा कि देश में रहने वाले बुजुर्ग, दिव्यांग, कमजोर तबके और अन्य ऐसे लोगों के लिए यह नियम बनाया जाना चाहिए, जो ऑनलाइन वैक्सीनेशन के लिए रजिस्ट्रेशन नहीं करा सकते। वाईबीएआइ युवा और जागरूक वकीलों का संगठन है। इसने वकील सनप्रीत सिंह, अजमानी, कुलदीप राय, मंजू जेटली और बबली सिंह के जरिये सर्वोच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की है। इन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि प्रतिवादी को निर्देश दें कि वह बुजुर्गों, कमजोर तबके और ऐसे लोग जो ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन नहीं करा सकते उन्हें घर-घर जाकर टीका देने पर विचार करे।
याचिकाकर्ताओं ने प्रतिवादी को यह निर्देश देने का भी अनुरोध किया है कि वह एक पोर्टल बनाए, जिसके जरिये वंचित तबके के लोगों को खुद को रजिस्टर करने की सुविधा मिले। इसके साथ ही उनके सवालों और शंकाओं का भी इस पर उन्हें उनकी क्षेत्रीय भाषाओं में जवाब दिया जाए। इसके अलावा स्वास्थ्य कर्मियों, अगले मोर्चे के कर्मियों और 45 साल से अधिक उम्र के लोगों का सरकारी केंद्रों पर मुफ्त टीकाकरण जारी रहने देने की मांग की गई। याचिका में कहा गया कि सभी टीकाकरण राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के तहत करवाया जाना चाहिए।