Maharashtra: यलगार परिषद के आरोपितों ने जेएनयू व टिस के छात्रों का किया था इस्तेमाल

Maharashtra एनआइए ने यलगार परिषद मामले ड्राफ्ट आरोपपत्र विशेष अदालत में पेश कर दिए। ड्राफ्ट आरोपों में 15 लोगों पर देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने सार्वजनिक पद पर बैठे व्यक्तियों की हत्या की साजिश रचने और इसके लिए हथियार जुटाने की कोशिश करने का आरोप लगाया गया।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Publish:Mon, 23 Aug 2021 08:22 PM (IST) Updated:Mon, 23 Aug 2021 08:22 PM (IST)
Maharashtra: यलगार परिषद के आरोपितों ने जेएनयू व टिस के छात्रों का किया था इस्तेमाल
यलगार परिषद के आरोपितों ने जेएनयू व टिस के छात्रों का किया था इस्तेमाल। फाइल फोटो

राज्य ब्यूरो, मुंबई। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) ने यलगार परिषद मामले ड्राफ्ट आरोपपत्र विशेष अदालत में पेश कर दिए हैं। 10,000 पन्नों का विस्तृत आरोपपत्र पहले ही पेश किया जा चुका है। ड्राफ्ट आरोपों में 15 लोगों पर देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने, सार्वजनिक पद पर बैठे व्यक्तियों की हत्या की साजिश रचने और इसके लिए हथियार जुटाने की कोशिश करने का आरोप लगाया गया है। इस कार्य में दिल्ली स्थित जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) और मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट आफ सोशल साइंसेज (टिस) जैसे शिक्षण संस्थानों के छात्रों का उपयोग करने का आरोप भी आरोपपत्र में लगाया गया है। एनआइए ने 15 लोगों के विरुद्ध 17 अभियोग लगाते हुए कहा है कि इन लोगों ने देश के दो प्रमुख शिक्षण संस्थानों जेएनयू और टिस के छात्रों को साथ लेकर देश में चुनी हुई सरकार गिराने और सार्वजनिक पदों पर बैठे लोगों की हत्या की साजिश रची।

इसके लिए मणिपुर और नेपाल से आधुनिक हथियार खरीदने के लिए आठ करोड़ रुपये जमा किए जा रहे थे। इसमें एनआइए ने सार्वजनिक पद पर बैठे किसी व्यक्ति के नाम का उल्लेख नहीं किया है। जबकि 2018 में पुणे पुलिस ने इस मामले की जांच की शुरुआत में 'राजीव गांधी जैसी घटना' को अंजाम देने का उल्लेख किया गया था। ड्राफ्ट आरोपपत्र के अनुसार, साजिशकर्ता माओवादी संगठन सीपीआइ (एम) से जुड़े हैं और ये कबीर कला मंच जैसे अपने सहयोगी संगठनों के जरिये महाराष्ट्र में दलितों और अन्य जातियों के बीच हिंसा फैलाकर राज्य में अराजकता पैदा करना चाहते थे।

महाराष्ट्र में भाजपा सरकार के कार्यकाल में 31 दिसंबर, 2017 को पुणे के ऐतिहासिक शनिवार वाड़ा के बाहर कबीर कला मंच की ओर से आयोजित यलगार परिषद में कई भड़काऊ भाषण दिए गए थे। इसके अगले दिन एक जनवरी, 2018 को पुणे के ही भीमा-कोरेगांव में दलित समुदाय के लोगों को इकट्ठा होना था। ये लोग वहां 200 वर्ष पहले हुए एक युद्ध के स्मारक पर श्रद्धांजलि देने के लिए आने वाले थे। इस जमावड़े के बीच शुरू हुए पथराव व हिंसा में एक व्यक्ति मारा गया था और पूरे महाराष्ट्र में तीन दिन अशांति रही थी। इस मामले में आठ जनवरी, 2018 को दर्ज की गई एफआइआर के आधार पर शुरू की गई जांच की कड़ी में पुणे पुलिस ने देशभर से माओवादी संगठनों से जुड़े प्रमुख कार्यकर्ताओं की धरपकड़ की थी।

गिरफ्तार लोगों में ज्योति राघोबा जगताप, सागर तात्याराम गोरखे, रमेश मुरलीधर गायचोर, सुधीर धवले, सुरेंद्र गडलिंग, महेश राउत, शोमा सेन, रोना विल्सन, अरुण फरेरा, सुधा भारद्वाज, वरवर राव, वर्नन गोंसाल्विस, आनंद तेलतुंबड़े, गौतम नौलखा और हनी बाबू के नाम शामिल हैं। एनआइए की तरफ से इन आरोपितों के विरुद्ध आरोपपत्र एवं ड्राफ्ट आरोप पेश किए जा चुके हैं। अब विशेष एनआइए अदालत निर्णय करेगी कि इन आरोपितों के विरुद्ध आइपीसी और यूएपीए के किन-किन आरोपों के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है।

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