Coronavirus: महाराष्ट्र में कोरोना के 6555 नए मामले

Coronavirus राज्य में अब कोरोना पॉजिटिव मामलों की कुल संख्या 206619 है और कोरोना वायरस से होने वाली मौतों का आंकड़ा 8822 है। कोरोना सक्रिय मामलों की संख्या 86040 है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Publish:Sun, 05 Jul 2020 08:39 PM (IST) Updated:Sun, 05 Jul 2020 09:47 PM (IST)
Coronavirus: महाराष्ट्र में कोरोना के 6555 नए मामले
Coronavirus: महाराष्ट्र में कोरोना के 6555 नए मामले

मुंबई, एएनआइ। Coronavirus: कोरोना महाराष्ट्र में रविवार को कोरोना वायरस के 6555 मामले सामने आए और 151 मौतें हुईं। राज्य में अब कोरोना पॉजिटिव मामलों की कुल संख्या 2,06,619 है और कोरोना वायरस से होने वाली मौतों का आंकड़ा 8822 है। कोरोना वायरस सक्रिय मामलों की संख्या 86,040 है। इस बीच, मुंबई में कोरोना वायरस के 1,311 नए मामले सामने आए हैं और 69 मौतें हुई हैं। मुंबई में अब कोरोना वायरस पॉजिटिव मामलों की कुल संख्या 84,125 है, जिसमें 55,883 ठीक हो चुके मामले और 4,896 मौतें शामिल हैं। प्रदेश में शनिवार को 7074 नए मामले सामने आए हैं और संक्रमितों का आंकड़ा दो लाख को पार कर गया है। 

सेरो सर्विलांस से कतरा रहे हैं बिल्डिंगों के लोग

राज्य ब्यूरो के मुताबिक, मुंबई में कोरोना संक्रमण के प्रसार का पता लगाने के लिए किए जा रहे सेरो सर्विलांस में झोपड़पट्टियों के लोग तो अच्छा सहयोग कर रहे हैं, लेकिन ऊंची-ऊंची इमारतों में रहनेवालों से सर्विसांस टीम को सहयोग नहीं मिल रहा है। यही कारण है कि एक सप्ताह में 10,000 सैंपल इकट्ठा करने का लक्ष्य लेकर चलने वाली टीम सिर्फ 2000 सैंपल ही इकट्ठा कर पाई है, और बीएमसी को लोगों से सैंपल देने में सहयोग करने की अपील जारी करनी पड़ी है।

मुंबई में कोविड-19 के बढ़ते मामलों को देखते हुए बीएमसी ने नीति आयोग एवं टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (टीआईएफआर) के साथ मिलकर मुंबई एवं मुंबई उपनगर के तीन वार्डों में सेरो सर्विलांस की शुरुआत की है। ये वार्ड हैं – एफ उत्तर, आर उत्तर एवं एम पश्चिम। पिछले सप्ताह शुरू हुए इस सर्वे में एक सप्ताह के अंदर 10,000 सैंपल इकट्ठा किए जाने थे। लेकिन अब तक सिर्फ 2000 सैंपल ही इकट्ठा हो पाए हैं। जिन तीन वार्डों से सैंपल इकट्ठा करने का लक्ष्य रखा गया है, उनमें झुग्गी बस्तियां भी हैं और बहुमंजिली इमारतें भी। सेरम सर्विलांस का लक्ष्य भी सभी वर्गों से सैंपल इकट्ठा करने का होता है। ताकि यह पता लगाया जा सके कि संक्रमण किस स्तर तक फैल रहा है ? बीएमसी अधिकारियों का कहना है कि इस मुहिम में झुग्गी बस्तियों के लोग तो सहयोग कर रहे हैं। लेकिन बहुमंजिली इमारतों से अपेक्षित सहयोग नहीं मिल रहा है। बल्कि कहीं-कहीं तो विरोध का भी सामना करना पड़ रहा है।

सेरो सर्वे में किसी खास इलाके में एक साथ कई लोगों के ब्लड सीरम के नमूने लिए जाते हैं। इनमें सभी आयुवर्ग एवं समाज के लोगों के सैंपल लिए जाते हैं। इससे आबादी के स्तर पर संक्रमण के विस्तार का पता चलता है। अधिकारियों का कहना है कि यह एक प्रकार का वैज्ञानिक अध्ययन है। इसमें समाज के सभी वर्गों का शामिल होना जरूरी है। सभी राज्यों द्वारा ये नमूने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के निर्देश पर किए जा रहे हैं। इंडियन मेडिकल काउंसिल एक्शन कमेटी के चेयरमैन डॉ. सुहास पिंगले का कहना है कि आरटी-पीसीआर जहां कोविड-19 का पता लगाने का एक बेहतर माध्यम है, वहीं सेरो सर्विंलांस से समाज की प्रतिरोधक क्षमता का पता चलता है। इससे उन लोगों का भी पता चलता है, जो पहले संक्रमित होकर अब ठीक हो चुके हैं। इससे संक्रमण के विस्तार रोकने की रणनीति बनाने में मदद मिलती है।

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