Coronavirus: महाराष्ट्र में कोरोना के 20295 नए मामले और 443 लोगों की मौत
Coronavirus मुंबई में पिछले 24 घंटे में कोरोना के 1048 नए मामले सामने आए हैं। इस दौरान 1359 लोग डिस्चार्ज हुए और 25 लोगों की मौत हुई। कुल सक्रिय मामले 27617 हैं। कुल 659899 डिस्चार्ज हुए। कोरोना से कुल 14 833 लोगों की मौत हुई है।
मुंबई, एएनआइ। महाराष्ट्र में पिछले 24 घंटे में कोरोना के 20295 नए मामले सामने आए हैं। इस दौरान 31964 लोग डिस्चार्ज हुए और 443 लोगों की मौत हुई। कुल सक्रिय मामले 2,76,573 हैं। कुल मामले 57,13, 215 हैं। कुल 53,39,838 डिस्चार्ज हुए। वहीं, मुंबई में पिछले 24 घंटे में कोरोना के 1048 नए मामले सामने आए हैं। इस दौरान 1,359 लोग डिस्चार्ज हुए और 25 लोगों की मौत हुई। कुल सक्रिय मामले 27,617 हैं। कुल 6,59,899 डिस्चार्ज हुए। कोरोना से कुल 14, 833 लोगों की मौत हुई है। इधर, महाराष्ट्र की भाजपा इकाई ने 'द फिफ्थ पिलर' नाम से एक डिजिटल अभियान शुरू किया है। इसका मकसद कोरोना वायरस महामारी और टाक्टे तूफान से प्रभावित लोगों को अपनी मुश्किलें बताने के लिए इंटरनेट मीडिया पर मंच उपलब्ध कराना है।
अभियान के बारे में बताते हुए महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता देवेंद्र फड़नवीस ने कहा कि हम महामारी और तूफान प्रभावित लोगों की सच्चाइयों को सामने लाना चाहते हैं। हमारा मकसद लोगों को एक मंच उपलब्ध कराकर उनकी मदद करना है। उन्होंने कहा कि फेसबुक और यूट्यूब पर इसके लिए पेज बनाए गए हैं, जहां लोग अपनी समस्याएं बता सकते हैं और मुद्दे उठा सकते हैं। यह अभियान नागरिक पत्रकार मंच की तरह काम करेगा, जहां लोग जमीनी हकीकत के बारे में वीडियो, तस्वीरें और टिप्पणियां साझा कर सकेंगे। खासकर ग्रामीण इलाके के लोग अपनी तकलीफ व्यक्त कर सकेंगे और मांग सामने रख सकेंगे, ताकि उनकी जरूरी मदद की जा सके।
बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद पीठ ने इलाके में चिकित्सा की स्थिति का स्वत: संज्ञान लेते हुए कहा कि जनस्वास्थ्य के लिए राज्य सरकार जिम्मेदार होती है और राज्य में चलने वाले सभी अस्पतालों की जिम्मेदारी भी सरकार की होती है। इसलिए राज्य सरकार अपनी जिम्मेदारी समझे और उसके अनुसार कोविड महामारी और ब्लैक फंगस बीमारी के इलाज के इंतजाम करे। कोर्ट के संज्ञान में आया है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से औरंगाबाद मेडिकल कॉलेज अस्पताल को मिले 113 वेंटिलेटर काम नहीं कर रहे हैं। उनमें कई तरह की गड़बड़ियां हैं। इस मामले में केंद्र सरकार की भर्त्सना करते हुए कोर्ट ने कहा कि केंद्र की जिम्मेदारी बनती है कि वह वेंटिलेटर बनाने वाली कंपनियों और राज्य सरकारों के बीच समन्वय स्थापित करे, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। इसके चलते महामारी के समय में मरीजों को वेंटिलेटर की सुविधा नहीं मिल पा रही है। उल्लेखनीय है कि कोरोना संक्रमित गंभीर हालत वाले मरीजों के फेफड़ों की गतिशीलता बरकरार रखने के लिए वेंटिलेटर का इस्तेमाल होता है।