Bhopal News: देवउठनी एकादशी पर होंगे तुलसी व शालिग्राम विवाह, मांगलिक कार्यों का सिलसिला शुरू
Dev Uthani Ekadashi शहर में देव उठनी ग्यारस सोमवार को मनाई जा रही है। आज शाम 639 शुभ मुहूर्त में लोग तुलसी व शालिग्राम की पूजा-अर्चना करेंगे। देव उठनी ग्यारस को लेकर बाजारों में लोगों की भीड रहेगी।
भोपाल, जागरण संवाददाता। शहर में देवउठनी एकादशी सोमवार को मनाई जा रही है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु पाताल में विश्राम काल पूरा करने के बाद क्षीर सागर से निकलकर सृष्टि का संचालन शुरू करते हैं। जिस पर देवउठनी से लेकर 13 दिसंबर तक विवाह के कई शुभ मुहूर्त है। देवउठनी एकादशी के साथ ही शुभ कार्य शुरू होंगे। 13 दिसंबर को अंतिम शुभ मुहूर्त रहेगा। इसके बाद फिर विवाह आदि मांगलिक कार्यो पर रोक लग जाएगी। पंडित ने बताया कि इस बार देवउठनी ग्यारस दो दिन की पड़ी है। पूजा का मुहूर्त 14 नवंबर सुबह 05:48 शुरू होगा, जो सोमवार 15 नवंबर शाम 6:39 मिनट तक एकादशी का समापन हो जाएगा।
देवउठनी ग्यारस के चलते बाजारों में ग्राहकों की भीड़ रही। इसके साथ ही दिन चार माह से पाताल लोक में शयन कर रहे भगवान विष्णु जागेंगे। इसी के साथ ही विवाह के मुहूर्त शुरू हो जाएंगे। सभी मांगलिक कार्यों का सिलसिला शुरू हो जाएगा। घर-घर में देव जागने की खुशियां मनाई जाएंगी। देवउठनी के दिन सुबह से ही श्रद्धालु उपवास रखेंगे। वहीं शाम को सभी देवों की पूजा-अर्चना होगी।
शादी का सीजन शुरू होते ही बाजारों में तेजी आने लगी है। देवउठनी पर रविवार को सभी मैरिज पैलेस में शादियां होंगी। सोमवार को तुलसी विवाह होने पर शुभ दिन होने पर कई शादियां है।
तुलसी विवाह शुभ माना जाता है
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि तुलसी विवाह का आयोजन करना भारत की प्राचीन परंपरा से ही बहुत शुभ माना जाता है। इसे करने से परम् प्रकृति तुलसी देवी प्रसन्न होकर ताप संताप श्राप हर लेती है। इस दिन भगवान विष्णु के स्वरूप शालिग्राम के साथ तुलसी का विवाह कराने वाले व्यक्ति के जीवन से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और उस पर भगवान हरि की विशेष कृपा होती है। तुलसी विवाह को कन्यादान जितना पुण्य कार्य माना जाता है। कहा जाता है कि तुलसी विवाह संपन्न कराने वालों को वैवाहिक सुख मिलता है। इस दिन एक चौकी पर तुलसी का पौधा और दूसरी चौकी पर शालिग्राम को स्थापित करें।
इनके बगल में एक जल भरा कलश रखें और उसके ऊपर आम या पान के पांच पत्ते रखें। तुलसी के गमले में गेरू लगाएं और घी का दीपक जलाएं, तुलसी और शालिग्राम पर गंगाजल का छिड़काव करें। रोली, चंदन का टीका लगाएं, तुलसी के गमले में ही गन्ने से मंडप बनाएं, अब तुलसी को सुहाग का प्रतीक लाल चुनरी ओढ़ा दें। गमले को साड़ी लपेट कर, चूड़ी चढ़ाएं और उनका दुल्हन की तरह शृंगार करें। इसके बाद शालिग्राम को चौकी समेत हाथ में लेकर तुलसी की चार बार परिक्रमा कर ले । इसके बाद आरती करें। तुलसी विवाह संपन्न होने के बाद सभी लोगों को प्रसाद फल पंचामृत बांटे।