मध्य प्रदेश में आदिवासी महिलाओं की आय ताइवान के पपीते ने छह महीने में की दोगुनी

इस साल मार्च-अप्रैल में दुबड़ी बरगवां बमोरी रानीपुरा कानखेड़ा चितारा डूडीखेड़ा करियादेह सैमरा आमेठ आदि गांवों में हर किसान के लिए एक-एक एकड़ में ताइवान-786 पपीता के बगीचे तैयार किए। बताया गया कि किसानों की आय छह माह में ही दोगुना हो गई है।

By Neel RajputEdited By: Publish:Mon, 27 Sep 2021 04:31 PM (IST) Updated:Mon, 27 Sep 2021 04:31 PM (IST)
मध्य प्रदेश में आदिवासी महिलाओं की आय ताइवान के पपीते ने छह महीने में की दोगुनी
महज चार से पांच फीट के पेड़ देने लगते हैं छह माह में फल

श्योपुर, मनोज श्रीवास्तव। मध्य प्रदेश में ताइवान के पपीते की वजह से आदिवासी महिलाओं की आय दोगुनी हो गई है। राज्य के श्योपुर की करीब 50 आदिवासी महिला किसानों ने 50 एकड़ क्षेत्र में पपीता की ताइवान-786 किस्म के पौधे लगाकर अच्छा खासा मुनाफा कमाया है। बताया गया कि इससे किसानों की आय छह माह में ही दोगुना हो गई है।

इसी तरह इस साल मार्च-अप्रैल में लगाए गए पपीते के पौधे सितंबर महीने तक चार से पांच फीट ऊंचाई के पेड़ बन गए हैं। हर पेड़ पर 50 किलो तक फल लगे हैं। एक एकड़ में औसतन 11 हजार 250 किलो उत्पादन हो रहा है। महिलाओं के इस प्रयास से क्षेत्र के पांच हजार किसान प्रेरित हुए हैं और वो भी अब पपीते की इस किस्म को उगाने की तैयारी कर रहे हैं।

आदिवासियों की रचि परंपरागत खेती की जगह फलोद्यान के प्रति बढ़ाने के लिए मप्र आजीविका मिशन ने वर्ष 2019 में समूह से जुड़ी महिलाओं को जयपुर, जबलपुर, भोपाल सहित अन्य स्थानों पर भ्रमण करवाया और इन्हें पपीते के बाग लगाने के लिए जागरूक किया। इस साल मार्च-अप्रैल में दुबड़ी, बरगवां, बमोरी, रानीपुरा, कानखेड़ा, चितारा, डूडीखेड़ा, करियादेह, सैमरा, आमेठ आदि गांवों में हर किसान के लिए एक-एक एकड़ में ताइवान-786 पपीता के बगीचे तैयार किए। आजीविका मिशन ने महिला किसानों को 12.50 रुपये प्रति पौधा की दर से पौधे मुहैया कराए। एक एकड़ में करीब 250 पौधे लगाए गए।

पपीते से आय हुई एक लाख से ज्यादा

दुबड़ी गांव की काली बाई के बगीचे में पपीते के पेड़ फलों से लदे हैं। उन्होंने बताया, हमने एक एकड़ में पपीते का बाग लगाया था। पेड़ फलों से लद गए हैं। पपीते के लिए मिशन ने हमें जमीन और पौधे उपलब्ध कराए। एक एकड़ में एक लाख रुपये से अधिक कीमत के पपीते हो गए हैं। कम लागत में इस बार दोगुने से ज्यादा का लाभ हुआ है।

श्योपुर के कृषि विज्ञान केंद्र के डा लाखन सिंह गुर्जर ने कहा, श्योपुर की दोमट मिट्टी पपीता के लिए सबसे उपयुक्त हैं। इसलिए यह ताइवान 786 सहित अन्य वैरायटी के लिए लाभप्रद है ।

श्योपुर जिला पंचायत के सीइओ राजेश शुक्ल ने बताया, आदिवासी महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए पपीता के बाग तैयार कराए थे। अब हम एक जिला-एक उत्पाद में अमरूद के साथ पपीता के बाग लगाने के लिए किसानों को प्रेरित कर रहे हैं।

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