Dev Uthani Ekadashi: मध्यप्रदेश में विराजमान हैं, देश का अनूठा 1100 साल प्राचीन एकादशी माता मंदिर

ब्रह्म वैवर्त पुराण भागवत पुराण शिव पुराण और पद्म पुराण में वर्णन है कि इस दिन देवी एकादशी का जन्म हुआ था। इसीलिए इस एकादशी का महत्व और भी बढ़ जाता है। एकादशी को व्रत-उपवास रखने से शीघ्र ही सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं

By Priti JhaEdited By: Publish:Mon, 15 Nov 2021 12:42 PM (IST) Updated:Mon, 15 Nov 2021 12:42 PM (IST)
Dev Uthani Ekadashi: मध्यप्रदेश में विराजमान हैं, देश का अनूठा 1100 साल प्राचीन एकादशी माता मंदिर
मध्यप्रदेश में विराजमान हैं, देश का अनूठा 1100 साल प्राचीन एकादशी माता मंदिर

जबलपुर, जेएनएन । मध्यप्रदेश के जबलपुर के नर्मदा तट गोपालपुर में देश का अनूठा एकादशी माता मंदिर है जो कल्‍चुरिकाल का है। यह मंदिर भेड़ाघाट के पास लक्ष्‍मीनारायण मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। लगभग 1100 साल प्राचीन इस मंदिर में भगवान नारायण के साथ माता लक्ष्‍मी विराजमान हैं। यहां संगमरमर की मूर्ति स्‍थापित है। मुख्‍य द्वार के पास विष्‍णु पुत्री स्‍वरूप में एकादशी माता को गोद में लिए हुए गरुण पर चलायमान हैं। यहां देवउठनी एकादशी को विशेष पूजन करने के लिए शहर के अलावा अन्‍य शहरों से भी लोग पहुंचते हैं।

जानकारी हो कि लक्ष्मीनारायण जी मानव स्वरूप रखे गरुण पर आरूढ़ हैं और एकादशी माता कन्या रूप में दायीं ओर विराजित हैं। माता लक्ष्मी नारायण के वाम अंग में हैं। 1100 साल प्राचीन मंदिर में कलचुरि शिल्प और गोंड वास्तु की बेजोड़ प्रतिकृति है। यह देश का एकमात्र एकादशी का प्राचीन मंदिर है।

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार अगहन और कार्तिक मास भगवान कृष्‍ण और विष्णु की भक्ति का मास है। इस दिन श्रीविष्णु के शरीर से माता एकादशी उत्पन्न हुई थी अत: इस दिन कथा श्रवण का विशेष महत्व माना गया है। ब्रह्म वैवर्त पुराण, भागवत पुराण, शिव पुराण और पद्म पुराण में वर्णन है कि इस दिन देवी एकादशी का जन्म हुआ था। इसीलिए इस एकादशी का महत्व और भी बढ़ जाता है। एकादशी को व्रत-उपवास रखने से शीघ्र ही सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

जानकारी हो कि मंदिर में नौ शिखर हैं। मुख्य शिखर 51 फुट ऊंचा है। दो मंजिल मंदिर में झरोखों से पुनीत पावन नर्मदा जी के दर्शन होते हैं। यहां से मां नर्मदा का प्राकृतिक सौंदर्य देखते ही बनता है।

मालूम हो कि परिक्रमा पथ में भगवान शिव के द्वादश ज्योर्तिलिंग, माता अन्नपूर्णा, माता सरस्वती विराजित हैं। प्राचीन काल से द्वादश ज्योर्तिलिंग एक स्थान पर सिर्फ इसी मंदिर में है। विश्‍व प्रसिद्ध धुआंधार जलप्रपात के पास इस मंदिर में श्रीहरि नारायण माता लक्ष्मी (विष्णु पंचायतन) के साथ विराजित हैं। मुख्य लक्ष्मी नारायण का श्रीविगृह ग्रेनाइट पत्थर की काली प्रतिमा है। दायीं सूड़ वाले सिध्दि विनायक, सातों घोड़ों के रथ पर सूर्य नारायण, वृषारूढ़ शिव पार्वती, महिषासुर मर्दिनी, माता दुर्गा काली स्वरूपा और नर्मदा जी विराजित हैं।

chat bot
आपका साथी