Madhya Pradesh: हबीबगंज के बाद अब शिवराज सरकार ने इस रेलवे स्टेशन का नाम बदलने का किया एलान

Madhya Pradesh मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को कहा कि इंदौर में पातालपानी रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर टंट्या मामा रेलवे स्टेशन किया जाएगा। इससे पहले भोपाल के हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर कमलापति स्टेशन कर दिया गया है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Publish:Mon, 22 Nov 2021 04:31 PM (IST) Updated:Tue, 23 Nov 2021 09:55 AM (IST)
Madhya Pradesh: हबीबगंज के बाद अब शिवराज सरकार ने इस रेलवे स्टेशन का नाम बदलने का किया एलान
मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान। फाइल फोटो

भोपाल, एएनआइ। मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को कहा कि इंदौर में पातालपानी रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर टंट्या मामा रेलवे स्टेशन किया जाएगा। मध्य प्रदेश मुख्यमंत्री कार्यालय के मुताबिक, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि इंदौर में 53 करोड़ की लागत से बन रहे बस स्टैंड और पातालपानी रेलवे स्टेशन का नाम टंट्या मामा के नाम पर रखा जाएगा। मुख्यमंत्री चौहान कहते हैं कि टंट्या मामा का यहां जन्म हुआ, हमने स्मारक बनाया। हम आजादी का 75वां महोत्सव मना रहे हैं। इसके तहत चार दिसंबर को टंट्या मामा के बलिदान दिवस का कार्यक्रम मनाया जाएगा, श्रद्धा के सुमन अर्पित किए जाएंगे। पातालपानी उनका कार्यक्षेत्र था, वो शोषषण करने वालों के खिलाफ लड़ते थे। अंग्रेजो के छक्के छुड़ा दिये थे, अंग्रेज घबराते थे उनके नाम से। गौरतलब है कि इससे पहले भोपाल के हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर कमलापति स्टेशन कर दिया गया है। 

टंट्या मामा के लिए पातालपानी की दौड़ में जयस से आगे निकले शिवराज

जनजातीय गौरव दिवस से सियासत के केंद्र में आए आदिवासी समुदाय को अपने पाले में करने की खींचतान का दौर शुरू हो चुका है। स्वतंत्रता संग्राम के जननायक बिरसा मुंडा की जन्मतिथि मनाने के बाद अब चर्चा में टंट्या मामा का बलिदान दिवस है। देश की आजादी के लिए बिरसा मुंडा की भांति मामा टंट्या ने भी अंग्रेजों से जमकर लोहा लिया था और आदिवासी समुदाय की अस्मिता, सम्मान और देश के लिए संघषर्ष किया था। उनके बलिदान दिवस चार दिसंबर पर उनकी जन्मभूमि, कर्मभूमि पातालपानी में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बड़े आयोजन की तैयारी में हैं, इधर आदिवासी समुदाय के बीच सक्रिय जय युवा आदिवासी शक्ति संगठन (जयस) आदिवासी समागम को लेकर तैयारियां कर रहा है। यह आयोजन उसकी प्रतिष्ठा के साथ अस्तित्व का भी सवाल बन गया है।

दरअसल, पिछले तीन दशक से मध्य प्रदेश में सत्ता का फैसला करने में आदिवासी समुदाय की भी अहम भूमिका सामने आने लगी है। जातिगत समीकरणों से दूर रही मध्य प्रदेश की राजनीति भी अब सोशल इंजीनियरिंग के फार्मूले के भरोसे दिखाई दे रही है। विधानसभा के साथ ही लोकसभा में अपनी मजबूत मौजूदगी के लिए भाजपा पूरे देश में आदिवासी समुदाय को अपने साथ मजबूती से जोड़ रही है। इसकी शुरुआत 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से की है। इसी क्रम में आगे बढ़ते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मामा टंट्या भील के बलिदान दिवस पर बड़े आयोजन की तैयारी में हैं। माना जा रहा है कि अब आदिवासी जननायकों को याद करने के अवसरों को सियासी रंग मिलते रहेंगे। जयस के इस आयोजन की खबर जैसे ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को लगी, तो उन्होंने टंट्या मामा की जन्मस्थली जाने का एलान कर दिया। कोई शक नहीं कि जयस को अहसास होने लगा था कि भाजपा के जनजातीय गौरव दिवस की सफलता से कहीं आदिवासी उनके हाथों से निकल न जाएं। यही वजह है कि वह आदिवासियों के स्थानीय जननायक टंट्या मामा की जन्मस्थली पर बड़ा आयोजन करके अपनी ताकत फिर दिखाना चाह रहा था, लेकिन शिवराज ने उनकी तैयारियों पर पानी फेर दिया है।

निकलेगी कलश यात्रा

अद्भुत योद्घा, टंट्या मामा की पवित्र जन्मस्थली की माटी को कलश में लेकर एक यात्रा निकाली जाएगी। यह पंधाना के उनके गांव वर्धा से शुरू होकर खंडवा जिला होते हुए खरगोन, खरगोन से बड़ावानी, बड़वानी से आलीराजपुर, आलीराजपुर से झाबुआ, झाबुआ से धार, धार से इंदौर और इंदौर से होते हुए चार दिसंबर को पाताल पानी पहुंचेगी।

इसलिए नाम पड़ा था हबीबगंज

हबीबगंज स्टेशन ब्रिटिश काल में बना था। वर्ष 1979 में जब इस स्टेशन का विस्तार हुआ तो नवाब खानदान के हबीबउल्ला ने अपनी जमीन दान में दी थी। उनके नाम पर ही स्टेशन का नाम हबीबगंज रखा गया था। हबीबउल्ला भोपाल के नवाब हमीदउल्ला के भतीजे थे।

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