प्रधानमंत्री के तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा को कांग्रेस ने किसानों के संघर्ष की जीत बताया

पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ दिग्विजय सिंह ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गारंटी का कानून लाए सरकार बलिदानी किसानों को दिया जाए मुआवजा एक साल बाद आखिरकार किसानों के संघर्ष की जीत हुई। केंद्र सरकार के कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा का हम स्वागत करते हैं।

By Priti JhaEdited By: Publish:Fri, 19 Nov 2021 02:37 PM (IST) Updated:Fri, 19 Nov 2021 03:31 PM (IST)
प्रधानमंत्री के तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा को कांग्रेस ने किसानों के संघर्ष की जीत बताया
कांग्रेस ने किसानों के संघर्ष की जीत बताया

भोपाल। जेएनएन। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा को कांग्रेस ने किसानों के संघर्ष की जीत बताया है। नेताओं ने कहा कि अब सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर उपज खरीदने की गारंटी देने के लिए कानून बनाए। आंदोलन में जितने भी किसानों ने अपना बलिदान दिया है, उन सभी के स्वजन को मुआवजा दिया जाए। पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ, दिग्विजय सिंह सहित अन्य नेताओं ने कहा कि आज लोकतंत्र और किसान आंदोलन की जीत हुई है।

कमल नाथ ने ट्वीट किया तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ देशभर के किसान एक साल से सड़कों पर आंदोलन कर रहे थे। संघर्ष में पूरी तरह साथ खड़ी रही। एक साल बाद आखिरकार किसानों के संघर्ष की जीत हुई। केंद्र सरकार के कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा का हम स्वागत करते हैं। यदि यह निर्णय पहले ही ले लिया जाता तो सैंकड़ों किसानों की जान बच सकती थी। विरोध प्रदर्शन के दौरान सैंकड़ों किसानों की मौत हो गई। कभी उन्हें देशद्रोही कहा गया तो कभी आतंकवादी व दलाल पर किसानों ने हिम्मत नहीं हारी।

उधर, किसान अपनी बात पर अडिग थे। किसानों की एकजुटता के आगे झुकते हुए सरकार को अंतत: कृषि कानून वापस लेने की घोषणा करनी पड़ी। उन्होंने कहा कि आने वाले संसद के सत्र में किसानों के पक्ष में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर उपज की खरीदी सुनिश्चित करने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य देने की गारंटी का कानून लाया जाए। पूर्व कृषि मंत्री सचिन यादव ने कहा कि इन कानूनों के खिलाफ हम सबने लंबी लड़ाई लड़ी हैं। सरकार को किसानों से माफी मांगनी चाहिए।

कांग्रेस ने भी किसानों के इस आंदोलन का खुलकर समर्थन किया और उन्होंने सरकार से मांग की है कि इन कानूनों के विरोध कर रहे किसानों पर जो मुकदमे दर्ज किए गए हैं, उन्हें वापस लिया जाए। वहीं, दिग्विजय सिंह ने कहा कि किसान सहित सभी राजनीतिक दल शुरुआत से ही कह रहे थे कि कृषि कानून किसान विरोधी हैं। मंडियां बंद हो जाएंगी और जो चुनिंदा फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य मिल रहा है, वो भी नहीं मिलेगा। ठेके पर खेती से छोटे किसान बर्बाद हो जाएंगे पर सरकार ने एक नहीं सुनी।

कृषि मंत्री कमल पटेल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किसानों के हित में बहुत काम किया है। एक लाख 64 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा पांच एकड़ से कम भूमि वाले किसानों को सम्मान निधि के तौर पर दिए जा चुके हैं। उत्पादन बढ़ाने और लागत कम करने के लिए लगातार काम किए जा रहे हैं। तीनों कृषि कानून किसान हित में थे। बड़े पैमाने पर किसानों ने समर्थन किया था लेकिन पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसानों को कुछ संगठनों ने भड़काया। हम उन्हें समझाने की लगातार कोशिश कर रहे थे पर कुछ को समझाने में सफल नहीं हुए। किसान देश की आत्मा और रीढ़ है। उनके हित में कानूनों को वापस लेने का निर्णय लिया है। मध्य प्रदेश के किसान पहले भी प्रधानमंत्री के साथ साथ थे और आगे भी रहेंगे।

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