Khandwa Jail Break Case: खंडवा जेल ब्रेक केस में आरोपियों को मिली जमानत, आतंकियों को पनाह देने का आरोप
Khandwa Jail Break Case खंडवा जेल ब्रेक केस में मध्य प्रदेश आतंकवाद निरोधी दस्ता ने दिसंबर 2013 में महाराष्ट्र में सोलापुर निवासी सिद्दीकी इस्माइल उमर और इरफान को फरार आतंकियों को पनाह देने के आरोप में दबोचा था।
नई दिल्ली, जेएनएन। मध्य प्रदेश की भोपाल जेल में बंद सिमी के चार कार्यकर्ताओं को वीरवार को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी है। सिमी के ये चारों कार्यकर्ता महाराष्ट्र के सोलापुर के रहने वाले हैं। इन पर खंडवा जेल ब्रेक केस में आतंकियों को पनाह देने का आरोप है। अक्टूबर 2013 में खंडवा जेल ब्रेक केस में मध्य प्रदेश आतंकवाद निरोधी दस्ता ने दिसंबर 2013 में महाराष्ट्र में सोलापुर निवासी सिद्दीकी, इस्माइल, उमर और इरफान को फरार आतंकियों को पनाह देने के आरोप में दबोचा था। इन चारों को भी सिमी के अन्य आरोपितों के साथ भोपाल जेल में रखा था। इसके बाद मार्च 2014 में एटीएस की याचिका पर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ने सिद्दीकी, इस्माइल, उमर व इरफान की न्यायिक हिरासत बढ़ा दी थी। इसके बाद कोर्ट ने आरोपितों की अपीलों को वर्ष 2015 में खारिज कर दिया था। इसके बाद आरोपितों ने हाई कोर्ट में जमानत के लिए अर्जी दी थी। हाई कोर्ट ने भी उन्हें राहत देने से इन्कार कर दिया था। इसके बाद आरोपित के वकील सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद चारों आरोपितों जमानत देने का आदेश दिया था।
गौरतलब है कि प्रतिबंधित आतंकी संगठन स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट आफ इंडिया यानि सिमी देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी कई आतंकी घटनाओं को अंजाम दे चुका है। इसकी स्थापना साल 1977 में अलीगढ़ में हुई थी। इस पर भारत सरकार ने 9/11 हमले के बाद साल 2001 में प्रतिबंधन लगा दिया था। हालांकि, अगस्त 2008 में एक विशेष न्यायाधिकरण में सिमी पर प्रतिबंध हटा लिया फिर ये प्रतिबंध बाद में भारत के उच्चतम न्यायालय द्वारा छह अगस्त 2008 पर बहाल किया गया। सिमी ने 2005 में वाराणसी में हुए धमाकों की जिम्मेदारी लेकर पहली बार अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। इसके बाद उसने नवंबर 2007 में उत्तर प्रदेश में अदालतों के बाहर सिलसिलेवार विस्फोट की घटनाओं को अंजाम दिया था।