भारत से भूटान का प्रवेश द्वार है 'दुआर' जहां की खूबसूरती कर देगी आपको मंत्रमुग्ध

दुआर को भारत से भूटान का एंट्री गेट कहा जाता है। यहां चारों ओर फैली खूबसूरती आपको कर देगी मोहित। यहां कई सारी घूमने वाली जगहें हैं जहां अकेले जाकर भी कर सकते हैं एन्जॉय।

By Priyanka SinghEdited By: Publish:Tue, 16 Oct 2018 01:47 PM (IST) Updated:Tue, 16 Oct 2018 01:47 PM (IST)
भारत से भूटान का प्रवेश द्वार है 'दुआर' जहां की खूबसूरती कर देगी आपको मंत्रमुग्ध
भारत से भूटान का प्रवेश द्वार है 'दुआर' जहां की खूबसूरती कर देगी आपको मंत्रमुग्ध

अगर आप नेचर लवर हैं तो इंडिया में ऐसी कई सारी जगहें हैं जहां जाकर आप घूमने-फिरने, एडवेंचर के अलावा उस जगह की खूबसूरती को भी एक्सप्लोर कर सकते हैं। खासतौर से नार्थ-ईस्ट। जो आपको मोहित और आश्चर्यचकित करने का कोई मौका नहीं छोड़ती। तो आज चलेंगे हिमालय की तलहटी में बसे दोआर के सुहाने सफर पर। जानेंगे इसके कुछ अनसुने-अनछुए पहलुओं के बारे में।

प्राकृतिक खूबसूरती समेटे हुए दोआर

हिमालय की तलहटी में बसा दोआर या दुआर पूर्वोत्तर भारतीय इलाका है। भूटान के आसपास पूर्वोत्तर भारत में बाढ़ के मैदान ईस्ट हिमालय की तलहटी कहलाते हैं। संकोस नदी इसके 8,800 वर्ग किमी एरिया को वेस्ट और ईस्ट दोआर में बांटती है। ऐसा कहा जाता है कि इस इलाके में अनेक दर्रे हैं जो हिमालय को जाते हैं। दोआर का मतलब नेपाली, असमिया, मैथिली, भोजपुरी, मगही, और बंगाली भाषाओं में दरवाजा होता है। इसे भारत से भूटान के लिए एंट्री डोर के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। पुराने जमाने में भूटान के लोग मैदानी इलाकों में रहने वाले लोगों के साथ 18 मार्ग द्वार के माध्यम से संपर्क कर सकते थे। पश्चिमी असम स्थित पूर्वी दोआर में समतल मैदान है, जो कई सारी नदियों द्वारा बंटे हुए हैं और वहां की जनसंख्या बहुत कम है। पश्चिमी दोआर पश्चिम बंगाल के नार्थ में स्थित है और यह मैदानी इलाके व हिमालय से जुड़े निम्न भूमि क्षेत्र तराई का एक हिस्सा है।

दोआर की ये जगहें हैं घूमने लायक

पश्चिम बंगाल से शुरू होकर असम तक फैले हुए दोआर में बहुत सारी जगहें हैं जहां अकेले आने के बाद भी आपको बोरियत नहीं होगी। इस पूरे इलाके में भारत और भूटान राज्य के बीच 18 सीमा चौकियां हैं। यहां तक कि दार्जिलिंग, सिलीगुड़ी, जयगांव और भूटान का फुइनटशौलिंग भी दोआर में आते हैं। मतलब इस एक जगह आकर आप इन सारी जगहों की भी सैर कर सकते हैं। यहां फैली हरियाली की वजह है कभी न खत्म होने वाली बारिश। इसके अलावा दोआर को चाय के बागानों, टिम्बकटू लकड़ी के काम के लिए भी जाना जाता है। यहां के चाय बागान में जाकर न केवल आप घूम सकते हैं बल्कि उनकी पत्तियों को तोड़ते हुए फोटोशूट भी करा सकते हैं। मानस नेशनल पार्क, महानंदा वाइल्डलाइफ सेंचुरी और चपरामारी वाइल्डलाइफ रिजर्व घूमने का ऑप्शन भी है आपके पास।

नेशनल पार्क में क्या है खास

यूनेस्को की विश्व धरोहर लिस्ट में शामिल हैं ये जगहें। जो कछुए, वाइल्ड वाटर बफेलो और गोल्डन लंगूर जैसे अनोखे जानवरों के लिए मशहूर हैं। चपरामारी वाइल्ड लाइफ रिजर्व में बड़ी संख्या में हाथी रहते हैं। महानंदा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी अपने बंगाल टाइगर के लिए जाना जाता है। और तो और खत्म होने की कगार पर पहुंच चुके फेरी ब्लू और हिमालयन पाइड हौरनबिल जैसे पक्षी भी देखे जा सकते हैं।

कैसे पहुंचें

हवाई मार्ग- यहां तक पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी एयरपोर्ट बागडोगरा और गुवाहाटी है।

रेल मार्ग- नई जलपाइगुड़ी और कुचबहार नज़दीकी रेलवे स्टेशन्स हैं।

सड़क मार्ग- सिलीगुड़ी, दोआर का मुख्य द्वार है जहां के लिए कोलकाता, जलपाईगुरी और भी दूसरे शहरों से बसों और टैक्सी की सुविधा अवेलेबल हैं।

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