पाताल लोक की करना चाहते हैं सैर, तो मध्य प्रदेश की इस अनसुनी जगह पर जरूर जाएं

पातालकोट मध्य प्रदेश के छिड़वांदा जिले के तामिया में स्थित है। इस लोक में कुल 12 गांव स्थित हैं। इन गांवों में तकरीबन 2 हजार से अधिक जनजातियांरहती हैं। पतालकोट का पूरा क्षेत्र 20000 एकड़ भूमि में फैला हुआ है।

By Pravin KumarEdited By: Publish:Sun, 01 Aug 2021 02:13 PM (IST) Updated:Sun, 01 Aug 2021 02:13 PM (IST)
पाताल लोक की करना चाहते हैं सैर, तो मध्य प्रदेश की इस अनसुनी जगह पर जरूर जाएं
पातालकोट मध्य प्रदेश के छिड़वांदा जिले के तामिया में स्थित है।

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। मध्य प्रदेश अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। इस प्रदेश में कई पर्यटन स्थल हैं, जो पर्यटकों के लिए आकर्षण के केंद्र हैं। हर साल बड़ी संख्या में पर्यटक मध्य प्रदेश घूमने आते हैं। अगर आप भी आने वाले दिनों में घूमने की प्लानिंग बना रहे हैं, तो मध्य प्रदेश की सैर कर सकते हैं। खासकर मध्य प्रदेश की इस अनसुनी जगह पर जरूर जाएं। यह जगह पाताल कोट के नाम से प्रसिद्ध है। स्थानीय लोगों का मत है कि मां सीता इस स्थान से ही धरती में समा गई थी। जबकि, रामायण के समय में हनुमान जी भी इसी रास्ते से पाताललोक गए थे। जब उन्होंने प्रभु श्रीराम और लक्ष्मण को अहिरावण के चुंगल से बचाया था। इतिहासकार भी स्थानीय लोगों के मत से सहमति जताते हैं। आइए, पाताल कोट के बारे में सबकुछ जानते हैं-

पाताल लोक कहां है

धार्मिक ग्रंथों में निहित है कि धरती के नीचे पाताल लोक स्थित है। जहां राजा बलि रहते हैं, जिन्हें असुरों का राजा कहा जाता है। ऋषि मुनियों की मानें तो पाताल लोक में नागों का जमावड़ा रहता है। किंदवंती है कि भगवान विष्णु राजा बलि की अति दया भाव से प्रसन्न होकर उनकी परीक्षा ली। इस क्रम में उन्होंने तीन पग में तीनों लोक नाप लिया। अंत में राजा बलि के पास कुछ नहीं बचा, तो उन्हें पाताल लोक का राजा बनाया गया।

पातालकोट

पातालकोट मध्य प्रदेश के छिड़वांदा जिले के तामिया में स्थित है। इस लोक में कुल 12 गांव स्थित हैं। इन गांवों में तकरीबन 2 हजार से अधिक जनजातियां रहती हैं। पतालकोट का पूरा क्षेत्र 20,000 एकड़ भूमि में फैला हुआ है। यह क्षेत्र ऊंचे-उंचें पहाड़ों और हरे भरे जंगलों से घिरा है। जानकारों की मानें तो पातालकोट में दोपहर के बाद सूर्य की रोशनी सतह पर नहीं पहुंच पाती है। इसके चलते पतालकोट में दोपहर बाद अंधेरा छाया रहता है। इसके बाद अगले दिन ही सूर्योदय होता है। पातालकोट में दूध नदी बहती है, जो स्थानीय लोगों के जीवन यापन की प्रमुख नदी है। इस घाटी की सबसे अधिक ऊंचाई 1500 फ़ीट है।

कैसे पहुंचे पाताल कोट

अगर आप हवाई मार्ग के माध्यम से पाताल कोट जाना चाहते हैं, तो निकटतम एयरपोर्ट नागपुर है। आप नागपुर से छिंदवाड़ा जा सकते हैं। वहीं, रेल मार्ग से आप छिंदवाड़ा पहुंच सकते हैं। छिंदवाड़ा से पाताल कोट के लिए वाहन मिल जाएंगे। जब कभी मौका मिले, एक बार पाताल कोट की जरूर सैर करें।

chat bot
आपका साथी