कोरोना काल में तनाव से पाना चाहते हैं मुक्ति, तो साबरमती आश्रम जाएं जरूर
यह आश्रम साबरमती नदी के किनारे स्थित है। इसकी स्थापना 1915 में हुई थी। हालांकि शुरू में यह आश्रम कोचरब नामक स्थान पर था जो 1917 में साबरमती नदी के किनारे स्थापित किया गया था। तभी से यह आश्रम साबरमती आश्रम के नाम से जाने लगा है।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। लंबे अंतराल के बाद साबरमती आश्रम को एक बार फिर से आगुंतकों के लिए खोल दिया गया है। इससे पहले मार्च 2020 में साबरमती आश्रम को कोरोना वायरस महामारी के चलते पूरी तरह से बंद कर दिया गया था। इससे पर्यटकों के दिल में उत्साह और उमंग है। पर्यटक सुबह 10 बजे से लेकर शाम 5 बजे तक आश्रम में प्रवेश कर सकते हैं। इस दौरान पर्यटकों को गाइडलाइंस को फॉलो करना होगा। अगर आप भी घूमने का प्लान बना रहे हैं, तो साबरमती आश्रम का रुख कर सकते हैं। खासकर कोरोना काल में तनाव भरी ज़िंदगी से राहत पाने के लिए यह बेस्ट जगह है। आइए, इस आश्रम के बारे में विस्तार से जानते हैं-
साबरमती आश्रम
यह आश्रम साबरमती नदी के किनारे स्थित है। इसकी स्थापना 1915 में हुई थी। हालांकि, शुरू में यह आश्रम कोचरब नामक स्थान पर था जो 1917 में साबरमती नदी के किनारे स्थापित किया गया था। तभी से यह आश्रम साबरमती आश्रम के नाम से जाने लगा है। इस आश्रम में कई दर्शनीय स्थल हैं। जिन्हें देखकर आप तनाव भरी जिंदगी से निजात पा सकते हैं।
हृदय कुंज
हृदय कुंज साबरमती आश्रम के मध्य में स्थित है। इस केंद्र बिंदु का नामाकरण काका साहब कालेकर ने किया था। गांधी जी ने हृदय कुंज में तकरीबन 12 साल तक बिताया था। साबरमती आश्रम से गांधी जी ने दांडी यात्रा की शुरुआत की थी। आप हृदय कुंज का दीदार कर सकते हैं।
प्रार्थना भूमि
यह भूमि प्रार्थना के लिए प्रसिद्ध है। इस जगह पर आश्रम में रहने वाले सभी सदस्य एकसाथ प्रार्थना करते हैं। ऐसा माना जाता है कि गांधी जी भी अपने अनुयायियों के साथ प्रार्थना करते थे। अगर आप साबरमती जाते हैं, तो प्रार्थना में जरूर शामिल हो। इससे चित्त शांत होता है और तनाव से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा आप साबरमती आश्रम में विनोबा-मीरा कुटीर, उद्योग मंदिर और राष्ट्रीय स्मारक का भी दीदार कर सकते हैं।