आपसी मतभेद दूर करने और रिश्तों में पड़ी दरार खत्म करने के लिए, लें शिकायत थेरेपी का सहारा
दुनिया में कोई भी रिश्ता संपूर्ण नहीं है न ऐसा कोई रिश्ता है जिसमें शिकायतें न हों। शिकायतें करने से तो गलतफहमियां दूर हो जाती हैं लेकिन ऐसा न हो कि आप रिश्ता सुधारने के लिए शिकायत करें और इसे कहने का ढंग सब चौपट कर दें।
शिकायत करने से पहले खुद से पूछें कि अमुक बात आपको कितनी देर परेशान कर सकती है। क्या इसकी वजह से आप पांच मिनट, पांच घंटे, पांच दिन, पांच महीने या पांच साल परेशान रहेंगे। अगर बात पांच मिनट या पांच घंटे में भूल जाने योग्य हो तो उसे नजरअंदाज करने की कोशिश करें। लेकिन अगर बात हफ्तों, महीनों या सालों तक आपके जेहन में बनी रहे तो बातचीत की पहल करें और स्वस्थ ढंग से अपनी प्रतिक्रिया आगे बढ़ाएं।
- कुछ भी कहने से पहले मन ही मन खाका खीचें कि आप अपनी बात कहां से और कैसे शुरू करेंगे। कोई कंफ्यूजन हो तो कागज़ पर प्वॉइंट्स बना लें। इससे संतुलित शब्दों और सधे हुए लहजे में अपनी बात रखने में मदद मिलेगी।
- बातचीत की शुरुआत हमेशा सकारात्मक अंदाज में करें। जैसे आप सामने वाले व्यक्ति से समस्या के समाधान के लिए कुछ सुझाव मांग सकते हैं। इससे वह सम्मानित महसूस करगा और आप अपनी बात सकारात्मक तरीके से रख भी पाएंगे।
क्रोध सोचने-समझने की क्षमता कम कर देता है। इसलिए बातचीत के दौरान तल्ख और आक्रामक न हों। हमेशा तार्किक और शांतिपूर्ण ढंग से अपनी बात रखें।
- बातचीत के दौरान कई बार असली मुद्दा पीछे छूट जाता है और अगली-पिछली शिकायतें शुरू हो जाती हैं। इससे समस्या का हल निकालना तो दूर मसला और भी ज्यादा उलझ जाता है। इसलिए जिस बात या व्यवहार से शिकायत हो, सिर्फ उसी की चर्चा करें।
- शिकायत की पहल कर रहे है तो दूसरी तरफ से भी शिकायत सुनने के लिए तैयार रहें। अपनी कहेंगे तो दूसरे की बात भी सुननी होगी।
- बार-बार शिकायत करने से आपकी छवि शिकायती व्यक्ति की बन सकती है इसलिए जब बहुत जरूरी तो तभी शिकायत करें।
- अच्छे रिश्तों के लिए शिकायत इधर-उधर करने के बजाय सीधे संबंधित व्यक्ति से ही करें। साथ ही, अगर सामने वाले को अपनी भूल का एहसास हो तो उसे तुरंत माफ कर दें। क्षमा करना बड़प्पन और उदार व्यक्तित्व की निशानी होता है।
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