रिश्तों को खुशनुमा बनाए रखने के लिए मोबाइल की तरह उन्हें भी हमेशा कुछ इस तरह करते रहें चार्ज

किसी भी रिश्ते में मधुरता बरकरार रखने के लिए कुछ अतिरिक्त प्रयासों की ज़रूरत होती है। जिस तरह अपनों से संपर्क बनाए रखने के लिए आप मोबाइल को चार्ज करना नहीं भूलते उसी तरह रिश्तों का भी खयाल रखना ज़रूरी है।

By Priyanka SinghEdited By: Publish:Tue, 03 Aug 2021 03:57 PM (IST) Updated:Tue, 03 Aug 2021 03:57 PM (IST)
रिश्तों को खुशनुमा बनाए रखने के लिए मोबाइल की तरह उन्हें भी हमेशा कुछ इस तरह करते रहें चार्ज
आपस में बातचीत कर मुस्कुराती महिला मित्र

परिवार के सदस्य, रिश्तेदार, पड़ोसी, दोस्त, परिचित और कलीग्स...नाम चाहे कुछ भी हो, पर हमारी जि़ंदगी के कैनवस को इंद्रधनुषी रंगों से सजाने में हर रिश्ते की खास भूमिका होती है। अपने रिश्तों को खुशनुमा बनाए रखने के लिए मोबाइल की तरह उन्हें भी हमेशा चार्ज करते रहना बहुत ज़रूरी है।

हमेशा हो फुल टॉक टाइम

यह सच है कि जीवन में व्यस्तता बढ़ती जा रही है, ऐसे में लोगों के पास अपने ही परिवार के सदस्यों के साथ बातचीत के लिए समय नहीं होता। ऐसी संवादहीनता का रिश्तों और व्यक्ति की दिमागी सेहत पर बहुत बुरा असर पड़ता है। इसलिए थोड़ा ही सही, पर अपने आसपास मौज़ूद लोगों के साथ बातचीत के लिए समय ज़रूर निकालें।

मेमोरी कार्ड रहे ऐक्टिव

वैसे तो आजकल फेसबुक आपको सभी खास अवसरों की याद दिलाता रहता है। फिर भी कुछ लोग जन्मदिन, शादी की सालगिरह और त्योहार जैसे खास अवसरों पर अपनों को बधाई देना भूल जाते हैं। हो सकता है अपने करीबी व्यक्ति के साथ आपका तालमेल इतना अच्छा हो कि बधाई न देने पर भी वह कोई शिकायत न करे, पर जब आप उसे शुभकामनाएं देंगे तो निश्चित रूप से उसे बहुत अच्छा लगेगा। इसलिए अपने दिमाग के मेमोरी डाटा को हमेशा अपडेट रखें। अगर व्यस्तता की वजह से आप कोई खास दिन भूल जाते हैं तो अपने मोबाइल में उसके उसके लिए रिमाइंडर लगा लें। बावज़ूद इसके अगर किसी वजह से खास मौके पर आपकी बातचीत नहीं हो पाई तो उस व्यक्ति को एक-दो दिन के बाद फोन कर लें।

मेसेजिंग हो मन के करीब

मोबाइल फोन के ज़रिये दूसरों तक हमारा वही मेसेज जाता है, जो हम कहना चाहते हैं लेकिन सामाजिक जीवन में हरदम ऐसा नहीं होता। कई बार व्यक्ति के हाव-भाव, बॉडी लैंग्वेज या किसी गलतफहमी की वजह से सामने वाले व्यक्ति तक नकारात्मक संदेश चला जाता है, जिससे बेवजह संबंध खराब हो जाते हैं। इसलिए बिना सोचे-समझे कुछ भी बोलने की आदत से बचें। प्रोफेशनल लाइफ में बातचीत के दौरान शब्दों के चयन में सजगता बरतें, अन्यथा अर्थ का अनर्थ हो सकता है और दूसरे को आपकी सही बात भी गलत लग सकती है। अगर कभी भूल से आपके मुंह से कोई ऐसा शब्द निकल जाए तो माफी मांगकर उसे उसी वक्त सुधार लें।

नेटवर्क हो मज़बूत

जिस तरह ढंग से बातचीत के लिए मोबाइल का नेटवर्क का सही होना ज़रूरी है, उसी तरह जि़ंदगी की खुशहाली के लिए हमारे सामाजिक संबंधों का नेटवर्क भी मज़बूत होना चाहिए। कुछ रिश्ते व्यक्ति के जन्म के साथ उसे प्रकृति की ओर से उपहार स्वरूप मिलते हैं, जिसमें माता-पिता, भाई-बहन और करीबी रिश्तेदार शामिल होते हैं। इसके अलावा, अन्य सामाजिक संबंधों को व्यक्ति अपने प्रयास से अर्जित करता है।

(मनोवैज्ञानिक सलाहकार डॉ. आरती आनंद से बातचीत पर आधारित)

Pic credit- unsplash

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