Stop Food Waste Day: क्यों मनाया जाता है यह दिन और कैसे खाने की बर्बादी डालती है हमारी हेल्थ और इकोनॉमी पर असर
Stop Food Waste Day भोजन की बर्बादी सामाजित और नैतिक अपराध है क्योंकि सिर्फ भारत में ही नहीं दुनियाभर में ऐसे कितने लोग हैं जिन्हें सही से दो वक्त का खाना भी नसीब नहीं होता। तो इस दिन को मनाने का उद्देश्य ही है लोगों को जागरूक करना।
फ्रांस, इटली, कोपनहेगन, लंदन, स्टॉकहोम, ऑकलैंड व मिलान में एक्स्ट्रा फूड को जरूरतमंदों में बांटा जाता है। भारत की कई संस्थाओं ने भी रोटी बैंक शुरू किया है। यह बैंक भोजन को जरूरतमंदों के बीच बांटने का काम करते हैं। ऐसे प्रयासों के साथ सभी को अन्न की बर्बादी रोकनी होगी।
क्यों मनाया जाता है स्टॉप फूड वेस्ट डे?
हर साल 28 अप्रैल को दुनियाभर में स्टॉप फूड वेस्ट डे का आयोजन कर भोजन की बर्बादी को रोकने के प्रति लोगों को जागरूक किया जाता है। दरअसल भोजन की बर्बादी को रोकने के प्रति लोगों को जागरूक किया जाता है। भोजन को फेंकने की प्रवृत्ति पूरी दुनिया में एक अपसंस्कृति का रूप ले चुकी है। ऐसा अनुमान है कि 2050 तक दुनियाभर में अपशिष्ट भोज्य पदार्थों की बर्बादी दोगुनी हो सकती है। अगर भोजन की बर्बादी इसी तरह होती रही तो 2030 तक दुनियाभर में भूखमरी उन्मूलन के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा लक्षित जीरो हंगर का लक्ष्य हासिल करना और भी मुश्किल हो जाएगा।
फूड वेस्ट का सीधा असर पर्यावरण व अर्थवस्था पर
भोजन का जो अंश हम अपनी थाली में छोड़ देते हैं, उसके एन्वॉयरमेंटल साइड इफेक्ट्स भी सामने आने लगे हैं। वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट और रॉकफेलर फाउंडेशन द्वारा की गई एक रिसर्च के मुताबिक खाने की बर्बादी की वजह से ग्रीन हाउस गैंसों में आठ से दस फीसदी तक का इजाफा होता है। इसके उत्सर्जन से एक तरफ जहां ग्लोबल वॉर्मिंग की समस्या बढ़ रही है, तो दूसरी ओर यह अनाजोत्पादन को भी प्रभावित करता है। उत्पादित अनाजों की खपत बुद्धिमानी से करने के बजाय उसकी बर्बादी की आदत हमारे परिवेश को प्रदूषित करने का काम करता है। ऐसा दूषित वातावरण मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है।
भोजन की बर्बादी रोकना कोई मुश्किल काम नहीं है। हम अपने विचार को विस्तृत कर और आदतों में बदलाव लाकर भोजन की बर्बादी को आसानी से रोक सकते हैं।
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