रिश्ते में पनप रही असुरक्षा की भावना को समझदारी के साथ आसानी से कर सकते हैं दूर
वैवाहिक जीवन मं खुद को असुरक्षित महसूस करने लगें तो रिश्ते में दरार पड़ते देर नहीं लगती। पार्टनर असुरक्षित महसूस कर रहा हो तो इस ओर तुरंत ध्यान देने की है जरूरत।
शादी की बुनियाद भरोसे पर टिकी है। पति-पत्नी में से एक भी असुरक्षित महसूस कर रहा हो तो इसकी वजहें जानने की कोशिश करें और रिश्ते को हर कीमत पर बचाने की कोशिश करें। एक्सपर्ट्स कहते हैं कि रिश्ते में केयरिंग होना अच्छी बात है लेकिन ओवर-केयरिंग एटीट्यूड ही खास वजह है असुरक्षा के भावना के पीछे। जिसे दूर करने में ये टिप्स आ सकते हैं काम।
1. समस्या की वजह
इस समस्या का कारण कहीं आप ही तो नहीं? अपनी आदतों, स्वभाव, लाइफस्टाइल पर नजर डालें। खुद को अपने ही आईने में साफ-साफ देखने की कोशिशें करें। कहीं ऐसा तो नहीं कि आपकी आदतों ने पार्टनर को असुरक्षित महसूस कराया हो? आपने वादा नहीं पूरा किया, तय समय पर उसे कॉल नहीं किया, दोस्तों के साथ आउटिंग पर गए, पार्टनर को बताने की जरूरत नहीं समझी, आपकी फ्लर्टिंग की आदत उसे परेशान करती है? कारण तलाशें, हो सकता है पार्टनर की असुरक्षा की वजह खुद आप ही हों।
2. कैसे करें मदद
क्या असुरक्षा-भावना से बाहर निकलने में आप अपने पार्टनर की मदद कर सकते हैं? उससे ज्य़ादा से ज्य़ादा बात करें, उसे साथ होने का भरोसा दिलाएं, उसे नजरअंदाज करने, उसकी उपेक्षा करने या उससे बात करना छोडऩे जैसी गलती कभी न करें, इससे असुरक्षा बढती जाएगी। उसके भीतर भरोसा पैदा करें कि आपके लिए उसका होना कितना महत्वपूर्ण है, उसकी तारीफ करें, उसकी छोटी-छोटी अपेक्षाएं पूरी करें, रिश्ते की खातिर जरा सा झुक जाएं। कई बार असुरक्षित व्यक्ति की बातें या अपेक्षाएं तार्किक नहीं होतीं, लेकिन अपनी ओर से जो भी बेस्ट कर सकते हैं-करें। पार्टनर को कंफर्टेबल महसूस कराएं।
3. धैर्य की सीमा
पार्टनर की असुरक्षा को किस हद तक धैर्य के साथ संभाल सकते हैं, यह जानना भी जरूरी है। क्या कुछ बातों को नजरअंदाज किया जा सकता है? स्थितियों को थोडे धैर्य के साथ स्वीकार किया जा सकता है? किन बातों को नहीं स्वीकार किया जा सकता? क्या पार्टनर स्वयं भी अपनी असुरक्षा से बाहर आने की मंशा रखता है? क्या इसके लिए वह कोशिशें कर रहा है? यदि हां तो धैर्य रखना उचित होगा। असुरक्षा हमेशा रिश्ते में खतरा नहीं पैदा करती, लेकिन इसे बढऩे नहीं दिया जाना चाहिए। इसलिए उदार रहें, मददगार बनें, काउंसलर की मदद लें। लेकिन सहने की सीमा तय करें, रिश्ते को मजबूरी न बनाएं।
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