डेडलीफ है भारत की राष्ट्रीय तितली, जानें इसकी खासियत
वसंत ऋतु अपने साथ लेकर आती है मौसम में बिखरी फूलों की सुगंध और रंग-बिरंगी तितलियां। इन तितलियों का हर एक अंदाज इतना अलग होता है कि लेखक हों या विज्ञानी सभी इनकी दुनिया को खास मानते हैं।
हममें से अधिकांश लोग यही जानते हैं कि परागण केवल मधुमक्खियों द्वारा ही किया जाता है, लेकिन वास्तव में परागण में तितलियों का भी पर्याप्त सहयोग रहता है। कुछ फूल विशेष रूप से तितलियों द्वारा ही परागित होते हैं। एक तरफ जहां मधुमक्खियां एक छोटे से क्षेत्र में ही परागण करती हैं तो वहीं तितलियां अपेक्षाकृत लंबी दूरी तक सफर करने में सक्षम होती हैं। इसी तरह तितलियों में रंगों को समझने की क्षमता मधुमक्खियों से ज्यादा बेहतर होती है। साथ ही तितलियां पराबैंगनी प्रकाश देखने में भी सक्षम होती हैं।
देश के तितली विशेषज्ञों के समूहों ने पिछले कुछ वर्षों में जंगलों, बागों व अन्य स्थानों पर तितली पर आधारित सर्वे किया जिससे वे राष्ट्रीय तितली का चयन कर सकें। पिछले वर्ष लॉकडाउन के दौरान जब प्रकृति ने भी राहत पाई और देश-दुनिया भर में सालों से गुम तितलियों को देखा जाने लगा, तब भारत में पाई जाने वाली 1,500 प्रकार की तितलियों में से 7 प्रजातियों को राष्ट्रीय तितली बनने की रेस में शामिल किया गया। मजे की बात यह है कि देश का अहम प्रतीक चुनने की जिम्मेदारी देश के नागरिकों को ही दी गई थी और ऑनलाइन वोटिंग के जरिए यह फैसला किया गया कि ऑरेंज ओकलीफ (केलिमा इनेकस) नाम की तितली अब हमारे देश की राष्ट्रीय तितली है।
भारत में वेस्टर्न घाट और उत्तर-पूर्व के जंगलों में पाई जाने वाली इस तितली को इंडियन ओकलीफ और डेडलीफ के नाम से भी जाना जाता है। ऑरेंज ओकलीफ की प्रमुख खासियत यह है कि जब यह तितली अपने पंख बंद रखती है तो सूखी पत्ती के समान नजर आती है और पंख खुलते ही इसके तीन रंग के पंख नजर आते हैं, जिसमें क्रमश: काला, नारंगी और गहरा नीला रंग हर नजर को अपनी ओर आकर्षित कर लेता है। अपने गहरे भूरे रंग और पत्ती जैसे आकार के चलते यह बड़ी होशियारी से अपने शिकारियों से बच निकलने में माहिर होती है!
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