आपके व्यक्तित्व और रिश्तों के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती है बार-बार सॉरी बोलने की आदत

अगर कभी कोई गलती हो जाए तो उसके लिए माफी मांग लेना बड़प्पन की निशानी है लेकिन हर बात के लिए स्वयं को दोषी मानते हुए बिना किसी गलती के भी बार-बार सॉरी बोलने की आदत आपके व्यक्तित्व और रिश्तों के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती है।

By Priyanka SinghEdited By: Publish:Thu, 22 Apr 2021 03:12 PM (IST) Updated:Thu, 22 Apr 2021 03:12 PM (IST)
आपके व्यक्तित्व और रिश्तों के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती है बार-बार सॉरी बोलने की आदत
हाथ जोड़कर सॉरी बोलता हुआ दुखी पुरुष

अगर कभी कोई गलती हो जाए तो उसके लिए माफी मांग लेना बड़प्पन की निशानी है, लेकिन हर बात के लिए स्वयं को दोषी मानते हुए बिना किसी गलती के भी बार-बार सॉरी बोलने की आदत आपके व्यक्तित्व और रिश्तों के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती है।

कमजोर पड़ता मनोबल

हमेशा खुद को दोषी समझने की आदत व्यक्ति के मनोबल को कमजोर बना देती है और वह आत्महीनता का शिकार हो जाता है। इसके अलावा बचपन में जिन लोगों के साथ ज्यादा सख्ती बरती जाती है या जिनके पेरेंट्स ओवर प्रोटेक्टिव होते हैं, बड़े होने के बाद ऐसे लोगों के मन में यह आशंका बनी रहती है कि मेरे इस कार्य से दूसरा व्यक्ति कहीं नाराज़ न हो जाए। इससे उनका आत्मविश्वास कमजोर हो जाता है।

रखें अपना ख्याल

कुछ सरल-हृदय लोग छोटी-छोटी बातों के लिए खुद को दोषी मानकर बहुत ग्लानि महसूस करते हैं। ऐसे लोग अपनी खुशियों के बारे में सोचना छोड़ देते हैं। अपने आसपास के लोगों को खुश रखने और उनसे प्रशंसा पाने की चाह में व्यक्ति हमेशा दूसरों के बारे में ही सोच रहा होता है। वक्त बीतने के बाद ऐसे लोगों के जीवन में एक दौर ऐसा भी आता है, जब इन्हें यह एहसास होता है कि मैं ही सबके लिए इतना कुछ करता हूं, लेकिन किसी को मेरी जरा भी परवाह नहीं है। इतना ही नहीं जो लोग हमेशा अपराधबोध से घिरे रहते हैं, उनके पारिवारिक, सामाजिक और प्रोफेशनल संबंधों पर भी इसका नकारात्मक असर पड़ता है। हर इंसान का व्यक्तित्व दूसरे से अलग होता है। यह संभव नहीं है कि आपकी हर बात दूसरों को पसंद आए। ऐसे में अगर कोई आपके सामने नाराज़गी जाहिर करे तो भी खुद को दोषी मानते हुए अपने मन में ग्लानि न रखें, बल्कि अपने लिए थोड़ा वक्त जरूर निकालें और अपनी खुशियों के लिए भी जीना सीखें।

Pic credit- freepik 

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