किसी के बारे में अपनी राय बनाने में न करें जल्दबाजी, समझने-परखने के लिए इन बातों पर करें गौर
अकसर हम पहली मुलाकात में ही दूसरों को अच्छा या बुरा मानना शुरू कर देते हैं पर किसी भी व्यक्ति के बारे में अपनी राय बनाने में हमें इतनी जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। इसके लिए थोड़ा इंतजार जरूरी है।
वह तो पहली ही नजर में बेकार लग रहा था, इसलिए मैने उसे इंटरव्यू में रिजेक्ट कर दिया, वह मुझे बड़ी अजीब-सी लगी, बहुत कम बोलती है...हमें अपने आसपास लोगों की आपसी बातचीत में ऐसे वाक्यांश अकसर सुनने को मिलते हैं। कई बार हम भी जाने-अनजाने में दूसरों के प्रति अपनी ऐसी ही राय बना लेते हैं। अंग्रेजी की वह कहावत फर्स्ट इंप्रेशन इज द लास्ट इंप्रेशन कुछ हद तक सही है, पर यह जरूरी नहीं है कि पहली मुलाकात में ही हम किसी व्यक्ति के बारे में सब कुछ जान लें।
थोड़ा वक्त तो लगेगा
हमारे आसपास कई तरह के लोग होते हैं। कुछ लोग काफी खुले स्वभाव के होते हैं और वे पहली मुलाकात में ही दूसरों के साथ बड़ी सहजता से बातचीत करने लगते हैं। ऐसे लोगों को समझना आसान होता है, पर कुछ लोग बहुत शर्मीले होते हैं। ऐसे इंट्रोवर्ट लोग बहुत कम बोलते हैं।
समझना है जरूरी
किसी भी इंसान के व्यक्तित्व की कई परतें होती हैं, जो दूसरों के सामने धीरे-धीरे खुलती हैं। इसलिए पहली मुलाकात में ही किसी अजनबी के बारे में सब कुछ जान लेना और उसके बारे में अपनी राय बनाना गलत होता है। बेहतर यही होगा कि किसी भी व्यक्ति से पहली बार मिलने के बाद उसे समझने के लिए खुद को थोड़ा समय दें। इससे हमारे लिए दूसरों के बारे में संतुलित राय बनाना आसान हो जाएगा।
कुछ जरूरी बातें
- पहली मुलाकात में किसी अजनबी से ज्यादा प्रभावित न हों क्योंकि कुछ अयोग्य लोग दूसरों के सामने अच्छा इंप्रेशन जमाने की कला में माहिर होते हैं। ऐसे लोगों को थोड़े समय तक परखने के बाद ही इनके बारे में कोई राय बनानी चाहिए।
- अगर बातचीत के दौरान कोई व्यक्ति लगातार सिर्फ अपने बारे में ही बोल रहा हो और आपको बोलने का मौका भी न दे तो आपको ऐसे आत्ममुग्ध लोगों की बातों पर जल्दी भरोसा नहीं करना चाहिए।
- शर्मीले लोगों के व्यक्तित्व को समझने के लिए आपको खुद ही उनसे बातचीत की शुरुआत करनी चाहिए, जिससे वे आपके साथ खुलकर बातचीत कर पाएंगे।
- जब हम तनावग्रस्त होते हैं तो किसी से मिलते वक्त उसमें ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाते। इससे आमतौर पर हमारे मन में उसके प्रति नकारात्मक धारणा पैदा होती है। इसलिए अच्छी मनः स्थिति में हमें उससे दोबारा जरूर मिलना चाहिए।
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