Diwali Patakha History: भारत में पटाखा पहली बार कब पहुंचा, सबसे पहले कहां बनाया गया, जानें यहां

दिवाली की खुशी दीए जलाने के साथ पटाखे फोड़कर भी मनाई जाती है। कुछ लोगों के लिए तो पटाखों के बिना दीवाली सेलिब्रेशन ही अधूरा है। लेकिन क्या आप जानते हैं पटाखे का आविष्कार कब कैसे और किसने किया था? अगर नहीं तो पढ़ें यह लेख।

By Priyanka SinghEdited By: Publish:Wed, 03 Nov 2021 08:36 AM (IST) Updated:Wed, 03 Nov 2021 08:36 AM (IST)
Diwali Patakha History: भारत में पटाखा पहली बार कब पहुंचा, सबसे पहले कहां बनाया गया, जानें यहां
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दिवाली का सेलिब्रेशन पूरे पांच दिनों का होता है। धनतेरस, उसके बाद छोटी दिवाली, फिर दिवाली, गोवर्धन पूजा फिर भाई दूज के साथ इसका समापन होता है। हर एक दिन का अपना अलग-अलग महत्व है। जहां बड़ों के लिए दीवाली की मतलब साफ-सफाई, खरीददारी और पूजा से जुड़ा होता है तो वहीं बच्चों का नए कपड़े पहनने और पटाखे फोड़ने से। वैसे पटाखे फोड़ने में क्या बच्चे, क्या बड़े, दोनों ही एंजॉय करते हैं। पर्यावरण और प्रदूषण के बढ़ते खतरे को देखते हुए पटाखे न ही जलाएं तो बेहतर। तो पर्यावरण बचाने के उद्देश्य के साथ ही आइए जानते हैं इस लेख में कि आखिर पटाखे का आविष्कार कैसे हुआ, कैसे यह भारत में पहुंचा और साथ ही कहां सबसे ज्यादा पटाखे बनाए जाते हैं।

चीन में छठी शताब्दी से

भारत ही नहीं दुनियाभर में खुशी जाहिर करने का तरीका हैं पटाखे। पटाखों की शुरुआत कैसे हुई इसे लेकर बहुत सारी कहानियां प्रसिद्ध हैं लेकिन सबसे ज्यादा लोगों का मानना है कि इसकी शुरुआत चीन में छठी सदी के दौरान हुई थी। 

अलग-अलग मत

- लोग कहते हैं कि गलती से पटाखे का आविष्कार हुआ था। जब खाना बनाते वक्त एक रसोइये ने पोटैशियम नाइट्रेट को आग में फेंक दिया था। जिसकी वजह से उसमें रंगीन लपटें निकलीं।

- इसके बाद जब रसोइए ने कोयले और सल्फर का पाउडर भी आग में डाला तो धमाका हो गया। जिससे बारूद का आविष्कार हुआ।

- हालांकि, कुछ लोगों का कहना है कि पटाखे की शुरुआत ऐसे ही हुई थी, और इसकी खोज रसोइये ने नहीं, बल्कि चीनी सैनिक ने की थी।

भारत में 15वीं शताब्दी के दौरान हुई शुरुआत

- पंजाब यूनिवर्सिटी के हिस्ट्री प्रोफेसर राजीव लोचन ने बताया कि भारत में पटाखों की शुरुआत 15वीं सदी में हुई थी। जिसका प्रमाण कई पेंटिंग्स में देखने को मिलता है।

- शादी-ब्याह में पटाखों का इस्तेमाल और युद्ध में बारूद का इस्तेमाल किया जाता था।

- चेन्नई से 500 किमी दूर शिवाकाशी में सबसे ज्यादा पटाखों का उत्पादन होता है।

- लगभग 80% पटाखों का निर्माण शिवाकाशी में होता है।

Pic credit- pixabay

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