बुजुर्गों को टाइम देने और बातें शेयर करने के साथ इन चीज़ों को करके भी कम कर सकते हैं अल्जाइमर का खतरा

सारी जिंदगी जद्दोजेहद और अपने हिस्से की रिस्पॉसिबिलिटीज पूरी करने के बाद बुजुर्गों को प्यार और सम्मान की जरूरत होती है। जिसकी कमी से अल्जाइमर की प्रॉब्लम्स शुरू होती है। तो कैसे कम कर सकते हैं इसका खतरा आइए जानते हैं यहां।

By Priyanka SinghEdited By: Publish:Wed, 24 Nov 2021 09:50 AM (IST) Updated:Wed, 24 Nov 2021 09:50 AM (IST)
बुजुर्गों को टाइम देने और बातें शेयर करने के साथ इन चीज़ों को करके भी कम कर सकते हैं अल्जाइमर का खतरा
बुजुर्ग महिला से बातचीत करती हुई युवती

इंडिया में बढ़ते ओल्ड एज होम्स बुजुर्गों को लेकर हमारी टेंशन में आई कमी को साफ रिप्रेजेंट करते हैं। आज ही हेक्टिक लाइफ शेड्यूल में उन्हें क्वालिटी टाइम न दे पाना और उनसे उनकी मन की बात शेयर न कर पाने के चलते वे डिप्रेशन और नींद न आने जैसी प्रॉब्लम्स का शिकार हो जाते हैं। ऐसे में अल्जाइमर डिजीज मंथ पर ये जानना बहुत जरूरी है कि आखिर कैसे रखें हम अपने बुजुर्गों का ख्याल।

सेंसिटिविटी से करें डील

मेंटल हेल्थ कहीं न कहीं फिजिकल हेल्थ से भी जुड़ी रहती है इसलिए उनसे जुड़ी प्रॉब्लम्स में कॉम्प्लिकेशंस का रेट बढ़ जाता है। डायबिटीज, कॉन्स्टिपेशन, अर्थराइटिस, अल्जाइमर, इनसोम्निया वगैरह जैसी कई प्रॉब्लम्स बुजुर्गों की नॉर्मल लाइफ और सुकून में रुकावट खड़ी करते हैं। इंडिया में ओल्ड एज होम्स की बढ़ती संख्या परेशान करने वाली बात है, जो बुजुर्गों को लेकर हमारे नजरिए और बिहेवियर में आए बदलावों को दिखाती है।

जरूरी अटेंशन न मिल पाना और मन की बात शेयर न कर पाने के चलते वे डिप्रेशन और नींद न आने जैसी प्रॉब्लम्स का शिकार हो जाते हैं। स्ट्रेस से उनका शुगर लेवल इररेगुलर हो जाता है और लंबे वक्त तक बैठे रहने के चलते कॉन्स्टिपेशन भी एक आम शिकायत हो जाती है। वैसे यह केवल बुजुर्गों की नहीं, फैमिलीज की नहीं बल्कि पूरे समाज की प्रॉब्लम है। इसकी मेन वजह जड़ों में पनपती इनसेंसिटिविटी है। सारी जिंदगी जद्दोजेहद और अपने हिस्से की रिस्पॉसिबिलिटीज पूरी करने के बाद बुजुर्गों को प्यार और सम्मान की जरूरत होती है। जिसकी कमी में ये प्रॉब्लम्स शुरू होती है।

जरूर जाएं वॉक करने

ओल्ड एज होम में अक्सर लोग नींद न आने की शिकायत करते हैं। साउंड स्लीप फिजिकल और मेंटल, दोनों हेल्थ से जुड़ी है। अच्छी नींद बुजुर्गों की हेल्थ के लिए बहुत जरूरी है इसके लिए प्राणायाम, योग, मेडिटेशन वगैरह का सहारा लिया जा सकता है, जिससे ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है औऱ थोड़ी थकान होने पर नींद अच्छी आती है। बुजुर्गों के लिए मॉर्निंग और इवनिंग वॉक या कोई फिजिकल एक्टिविटी जरूरी है। कार्डियक पेशेंट, हायपरटेंशन और डायबिटीज वालों को तड़के सुबह वॉक अवॉयड करनी चाहिए।

डाइट का है बहुत अहम रोल

उम्र बढ़ने पर फिजिकल चेंजेस के साथ-साथ बॉडी की जरूरत भी बदलती है। कुछ चीज़ों को बॉडी एडजस्ट कर लते हैं और कुछ को रिपेल करना नेचुरल प्रोसेस है, इसलिए बुजुर्गों की डाइट उनकी बीमारी के मुताबिक बैलेंस्ड होनी चाहिए, जो उनके डाइजेशन को नॉर्मल रख सके। कार्डिएक और डायबिटीज पेशेंट को सैचुरेटेड फैट की कम और फाइबर वाली चीज़ों को प्रायोरिटी देनी चाहिए। लिक्विड और फ्रेश डाइय उनकी इच्छा के मुताबिक देनी चाहिए। यंग एज में आयुर्वेदिक लाइफस्टाइल फॉलो करने से उम्र बढ़ने पर बहुत आराम मिलता है। यंग एज में डाइट, योगासन, प्राणायाम और मेडिटेशन पर ध्यान देना लाइफटाइम इंवेस्टमेंट साबित होता है, जिनका अच्छा रिटर्न मिलता है।

Pic credit- pexels

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