Suicide Prevention Day 2021: ताने मारने और हंसने की जगह, अवसादग्रस्त व्यक्ति को ऐसे करें हैंडल
चाहें रास्ते में कितनी ही मुश्किलें क्यों न आएं किसी भी दुख-तकलीफ से होने वाला नुकसान इतना बड़ा नहीं होता जिसकी भरपाई के लिए इस अनमोल जीवन को नष्ट कर दिया जाए। लोगों को यही समझाने के लिए 10 सितंबर को वर्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे मनाया जाता है।
यह ऐसा मुश्किल दौर है, जहां कोरोना संक्रमण से होने वाली मौतों के आंकड़ों के पीछे अनगिनत दुखद कहानियां छिपी हैं। किसी ने अपने परिवार के सदस्यों को खो दिया, कोई बेरोजगार हो गया तो किसी का कारोबार ठप पड़ गया। चारों ओर गहरे दुख और निराशा का माहौल है, इसी वजह से पिछले डेढ़ सालों में डिप्रेशन और एंग्जाइटी जैसी मनोवैज्ञानिक समस्याओं के साथ आत्महत्या के मामले भी बढ़ रहे हैं। जो चिंताजनक हैं। तो अगर आपकी जान-पहचान या परिवार का कोई व्यक्ति बहुत ज्यादा परेशान नजर आ रहा है तो उसकी मनःस्थिति को समझने का प्रयास करें और ऐसे उनसे डील करें।
1. जब भी परिवार का कोई सदस्य अनमना या उदास सा दिखे तो उसे अकेला बिल्कुल न छोड़ें, उससे बातचीत के लिए समय निकालें।
2. गुस्से में अगर परिवार के किसी सदस्य से बहस हो जाए तो भी नाराजगी में बातचीत बंद न करें, बल्कि माफी मांगकर माहौल को सहज और खुशनुमा बनाने की कोशिश करें।
3. अगर कोई दोस्त अवसाद में दिखता है तो उसकी काउंसलिंग करवाएं।
4. अपनी रुचि से जुड़ी गतिविधियों में व्यस्त रहें।
5. नियमित रूप से योग और ध्यान करें।
"क्लीनिकल अनुभव के अनुसार डिप्रेशन आत्महत्या के विचार तथा ख़ुद को नुकसान पहुंचाने का व्यवहार निश्चित रूप से काफी ज्यादा हो रहा है, लोग निराशा से पीड़ित हो रहे हैं और विशेष रूप से 35 से 50 वर्ष के बीच की आबादी वालों के लिए, विशेष रूप से पुरुषों और युवा लोगों में अब तक ' इंपल्सिटी' पहले के मुकाबले सबसे ज्यादा हो रही है। पहली लहर और दूसरी लहर के कारण अलग-अलग हो सकते हैं लेकिन मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं को वैश्विक स्तर पर पहले कभी इतना ज्यादा बढ़ते हुए नहीं देखा गया था। दूसरी लहर के दौरान लोग पैसों की समस्या और प्रियजनों को खोने से ज्यादा दुःखी हुए है, जिससे आत्महत्या करने का विचार लोगो में ज्यादा आया है, लेकिन आत्महत्याओं की संख्या में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। पहली लहर ने बहुत आतंक पैदा किया था इसलिए इस दौरान आत्महत्या के ज्यादा केस देखने को मिले थे जबकि दूसरी लहर में यह संख्या कम थी। आपको जब जरूरत पड़े, मदद लें, जानें कि जब कोई आपसे आत्महत्या करने के विचार या निराशा के भाव को ज़ाहिर करे तो उससे कैसे निपटें? जब कोई आत्महत्या के विचार को ज़ाहिर करे तो उन्हें क्या न करने के लिए कहें। उन्हें यह न बताएं कि यह मात्र एक बुरा दौर है। उन्हें यह न कहें कि वे पागल हो गए हैं। यह दिखावा न करें कि आपने कुछ नहीं सुना और जब आपको न पता हो कि उनसे आपको क्या कहना है तब आप बातचीत का विषय बदल कर उनको मुद्दे से भटकाने की कोशिश करें। रोना मत शुरू करें और उन्हें बताए कि वे इस विचार से हटकर जैसे सोच सकते हैं उन्हें बताएं कि जिस तरह के विचार उनके मन में आ रहे हैं, उनकी जगह रहकर सोचना मुश्किल हो सकता है। उनसे पूछें कि वे कितने समय से इतना निराशाजनक महसूस कर रहे हैं? उनसे पूछें कि क्या उन्होंने पहले कभी ऐसा अनुभव किया है या उन्होंने कभी ऐसा करने की कोशिश की है? पता करें कि क्या वे खा रहे हैं और क्या वे पर्याप्त नींद ले पा रहे हैं? उन्हें बताएं कि आप एक दोस्त के रूप में उनका सपोर्ट करेंगे और किसी भी समस्या के समय उनके लिए मौजूद रहेंगे। आप उन्हें किसी मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ के पास ले जा सकते हैं। उन्हें लिसुन (Lissun) को आजमाने का सुझाव दें। लिसुन एक मानसिक स्वास्थ्य ऐप है जो उन्हें क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट और साइकोथेरेपिस्ट जैसे एक्स्पर्ट से बात करने में मदद करेगा।"
डॉ प्रीति सिंह, सीनियर कंसल्टेंट, पारस हॉस्पिटल के साइको थेरेपी और साइकोलॉजी
अगर व्यक्ति जीवन के प्रति सकारात्मक नजरिया रखे तो दुखद घटनाओं से विचलित होने के बजाय उनसे सीख ले। तो वह न केवल अपने जीवन को नयी दिशा दे सकता है, बल्कि दूसरों को भी जिंदगी से प्यार करने सिखा सकता है।
Pic credit- pexels