World AIDS Day 2021: छूने से नहीं फैलता एड्स, रोगी नहीं इस बीमारी से करें घृणा!

World AIDS Day 2021 जागरुकता न सिर्फ बचाव और इलाज के प्रति बल्कि एचआईवी/एड्स के मरीज़ों से इज़्ज़त से पेश आने की भी। इन मरीज़ों को आमतौर पर समाज में अछूत माना जाने लगता है। यह लोगों की नफरत का भी शिकार हो जाते हैं।

By Ruhee ParvezEdited By: Publish:Wed, 01 Dec 2021 12:00 PM (IST) Updated:Wed, 01 Dec 2021 12:58 PM (IST)
World AIDS Day 2021: छूने से नहीं फैलता एड्स, रोगी नहीं इस बीमारी से करें घृणा!
छूने से नहीं फैलता एड्स, रोगी नहीं इस बीमारी से करें घृणा!

नई दिल्ली, रूही परवेज़। World AIDS Day 2021: एचआईवी/एड्स देश के प्रमुख स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है। नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (NACO) की 2019 की एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि 2019 में भारत में 23.48 लाख लोग एचआईवी से पीड़ित थे। यह एक बड़ी चिंता का विषय है।

एचआईवी वायरस से संक्रित होने पर व्यक्ति को एड्स हो सकता है। खासतौर पर अगर एचआईवी का इलाज न कराया जाए, तो एड्स होने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में इस रोग के प्रति सभी में जागरुकता पैदा होना ज़रूरी है।

जागरुकता न सिर्फ बचाव और इलाज के प्रति बल्कि एचआईवी/एड्स के मरीज़ों से इज़्ज़त से पेश आने की भी। इन मरीज़ों को आमतौर पर समाज में अछूत माना जाने लगता है। लोग इनसे घृणा करने लगते हैं। जिसकी वजह से यह मरीज़ मानसिक बीमारी का भी शिकार हो जाते हैं।

मानसिक बीमारियों से भी पीड़ित हो जाते हैं HIV मरीज़

डॉ. ज्योति कपूर, सीनियर साइकेट्रिस्ट एंड फाउंडर, मन:स्थली ने कहा, "एचआईवी जैसी गंभीर बीमारी सी पीड़ित लोगों में तनाव होने से व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य नकारात्मक रूप से प्रभावित हो सकता है। एड्स मरीजों में मूड, एंग्जाइटी, और कॉग्निटिव डिसऑर्डर से पीड़ित होने की सम्भावना ज्यादा होती है। एचआईवी से पीड़ित लोगों के लिए यह जानना महत्वपूर्ण है कि उनमें चिंता सम्बन्धी समस्याएं होने की संभावना ज्यादा होती है। एचआईवी पीड़ित लोगों द्वारा सामना की जाने वाली सबसे आम मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों में से एक डिप्रेशन है। यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि मानसिक समस्याओं का इलाज किया जा सकता है। मानसिक समस्याओं से पीड़ित लोग पूरी तरह से ठीक हो सकते हैं। हमारे समाज को एचआईवी से पीड़ित लोगों के प्रति उदार होने और उनके लिए समाधान प्रदान करने की ज़रूरत है ताकि वे मानसिक स्वास्थ्य उपचार प्राप्त कर सकें। एचआईवी/एड्स से जुड़ा कलंक और भेदभाव एड्स मरीजों में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के समाधान में सबसे बड़ी बाधा है।"

एचआईवी से जुड़े भेदभाव को रोकना ज़रूरी

पोद्दार फॉउंडेशन के मैनेजिंग ट्रस्टी डॉ. प्रकृति पोद्दार ने कहा, "एचआईवी से संक्रमित लोगों के प्रति कलंकपूर्ण और भेदभावपूर्ण रवैया भी बहुत दुर्भागयपूर्ण बात है। एचआईवी से संबंधित कलंक और भेदभाव एचआईवी रोकथाम में सबसे बड़ी बाधा पैदा करते हैं और एचआईवी संक्रमण को फैलने से रोकने में रुकावट डालते हैं। एचआईवी/एड्स से संबंधित कलंक संक्रमण के डर, बीमारी या मृत्यु का डर की वजह से उत्पन्न हो सकता है। यह अस्वीकृति, बदनामी, अवहेलना, कम आंकने और सामाजिक अलगाव से जुड़ा होता है, इससे अक्सर भेदभाव और मानवाधिकारों का उल्लंघन होता है। यह सब एचआईवी/एड्स से प्रभावित व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकता है। एचआईवी से पीड़ित लोगों को एक विश्वसनीय स्रोत के माध्यम से सहायता मिल सकती है और मानसिक स्वास्थ्य प्रोफेशनल जैसे कि मनोचिकित्सक, मनोवैज्ञानिक, या चिकित्सक के पास जाने से लाभ हो सकता है। ये मानसिक स्वास्थ्य प्रोफेसनल एचआईवी से पीड़ित लोगों को कलंक और भेदभाव से निपटने के लिए स्वस्थ तरीके खोजने में मदद कर सकते हैं। राष्ट्रीय एचआईवी/एड्स नियंत्रण कार्यक्रम में कलंक और भेदभाव को कम करने या समाप्त करने के लिए गतिविधियों को प्राथमिकता देना भी महत्वपूर्ण है। एचआईवी के कलंक पर काबू पाना और भेदभाव की कमी एचआईवी महामारी को रोकने के लिए जरूरी है।"

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