जानें, उम्र के हिसाब से महिलाओं की डाइट कैसी होनी चाहिए

25 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं को अपनी डाइट में कैल्शियम युक्त चीज़ों को जरूर शामिल करनी चाहिए। इससे हड्डियां मजबूत होती हैं। जबकि शारीरिक विकास भी सही से होता है। खासकर मसल्स और तंत्रिका तंत्र की मजबूती के लिए कैल्शियम जरूरी है।

By Umanath SinghEdited By: Publish:Fri, 25 Sep 2020 05:00 PM (IST) Updated:Sat, 26 Sep 2020 09:37 AM (IST)
जानें, उम्र के हिसाब से महिलाओं की डाइट कैसी होनी चाहिए
25 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं को अपनी डाइट में कैल्शियम युक्त चीज़ों को जरूर शामिल करनी चाहिए।

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। आधुनिक समय में सेहतमंद रहना एक बड़ी चुनौती है। खासकर कोरोना काल में इसका महत्व और बढ़ गया है। इसके लिए नियमित और संतुलित आहार जरूरी है। भोजन न केवल ऊर्जा प्रदान करता है बल्कि शरीर के दैनिक कार्यों को भी बेहतर बनाता है। फल, सब्जियां, साबुत अनाज और फलियां जैसे खाद्य पदार्थों में विटामिन और खनिज प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, जो शरीर को स्वस्थ रखने में सहायक होते हैं। आयरन खून के लिए आवश्यक है, कैल्शियम हड्डियों और जिंक इम्युनिटी के निर्माण के लिए जरूरी है।

शरीर को सुचारू रूप से काम करने के लिए रोजाना इन सभी पोषक तत्वों की जरूरत पड़ती है। इनके सेवन से इम्यून सिस्टम मजबूत होता है और सेहत तंदरुस्त रहता है। हालंकि, एज और जेंडर के हिसाब से इनकी मात्रा में अंतर होता है। जबकि शारीरिक अंतर की वजह से महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कुछ पोषक तत्वों की अधिक जरूरत होती है। इसके लिए महिलाओं को डाइट में सभी पोषक तत्वों को संतुलित मात्रा में लेनी चाहिए। आइए जानते हैं कि महिलाओं को उम्र अनुसार किन पोषक तत्वों का सेवन जरूर करनी चाहिए-

25 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं को अपनी डाइट में कैल्शियम युक्त चीज़ों को जरूर शामिल करनी चाहिए। इससे हड्डियां मजबूत होती हैं। जबकि शारीरिक विकास भी सही से होता है। खासकर मसल्स और तंत्रिका तंत्र की मजबूती के लिए कैल्शियम जरूरी है। हड्डियां का विकास 20 वर्ष की उम्र तक होता है। अगर कैल्शियम की कमी होती है, तो महिलाओं को हड्डियों से संबंधित शिकायत हमेशा रहती हैं। इसके लिए अपनी डाइट में सोयाबीन, डेरी प्रोडक्ट्स, मछली आदि चीजों को जरूर जोड़ें।

वहीं, 40 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं को फॉलिक एसिड युक्त चीजों का सेवन करनी चाहिए। खासकर गर्भवती महिलाओं के लिए फॉलिक एसिड बहुत जरूरी है। इससे नवजात शिशु में स्पाइना बिफ़िडा बीमारी का खतरा नहीं रहता है। इस बीमारी में रीढ़ की हड्डी कमजोर रहती है। इसके लिए अपनी डाइट में अंडे, खट्टे फल, फलियां और राजमा जरूर जोड़ें। फोलेट की डोज़ एक प्रेग्नेंट महिला के लिए 600 mcg (माइक्रोग्राम)  होनी चाहिए, वहीं स्तनपान करा रही महिला के लिए 500 mcg सही है।

जबकि 40 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं को कैल्शियम और विटामिन-डी की सेवन करनी चाहिए। इससे जख्म और हड्डियों की समस्या दूर होती है। इसके लिए अपनी डाइट में दूध, मछली, हरी सब्जियां आदि शामिल करें। कैल्शियम की डोज़  1200 mg (मिलीग्राम)  होनी चाहिए। जबकि विटामिन-डी की डोज 600 IU होनी चाहिए।

डिस्क्लेमर: स्टोरी के टिप्स और सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन्हें किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर नहीं लें। बीमारी या संक्रमण के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

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