Delta Variant: आखिर क्यों तेज़ी से फैलता है कोविड-19 के डेल्टा वैरिएंट का संक्रमण?
Delta Variant WHO ने इस वैरिएंट को वैरिएंट ऑफ कंसर्न कहा क्योंकि यह लोगों के स्वास्थ्य और शारीरिक कल्याण के लिए गंभीर ख़तरे पैदा कर सकता है। हालांकि यह सवाल अब भी बना हुआ है कि ऐसा क्या है जो डेल्टा संस्करण को इतना चिंताजनक और ख़तरनाक बनाता है?
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Delta Variant: कोरोना वायरस के डेल्टा वैरिएंट ने ही भारत में दूसरी लहर के तौर पर कहर मचाया था, जिसके बाद कई वैज्ञानिकों और मेडिकल एक्सपर्ट्स के लिए यह चिंता का विषय बन गया है। WHO ने हाल ही में इस ख़तरनाक वैरिएंट की वजह को 'वैरिएंट ऑफ कंसर्न' कहा, यह बताते हुए कि यह लोगों के स्वास्थ्य और शारीरिक कल्याण के लिए गंभीर ख़तरे पैदा कर सकता है। हालांकि, यह सवाल अब भी बना हुआ है कि ऐसा क्या है जो डेल्टा संस्करण को इतना चिंताजनक और ख़तरनाक बनाता है? अगर यह अधिक संक्रामक है, तो ऐसा क्यों है?
डेल्टा वैरिएंट को 'वैरिएंट ऑफ कंसर्न' क्यों कहा गया है?
ऐसा कहा जा रहा है कि 'वैरिएंट ऑफ कंसर्न' एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में तेजी से और अधिक कुशलता से फैलता है। डेल्टा वैरिएंट में दो अन्य म्यूटेशन, E484Q और L452R से मिलकर बना है, इसलिए यह मानव प्रतिरक्षा प्रणाली को तोड़कर शरीर के अंगों पर आसानी से आक्रमण कर देता है। इसके अलावा, नए वेरिएंट स्पाइक प्रोटीन की संरचना को बदलते हैं, जिसकी मदद से यह मानव कोशिकाओं से खुद को जोड़ने में अधिक कुशल हो जाता है। यही वजह है कि यह कोविड के मूल रूप की तुलना में अब मानव शरीर को अधिक नुकसान पहुंचा रहा है।
यह अधिक संक्रामक कैसे है?
भारत में COVID-19 की दूसरी लहर में योगदान देने के बाद, डेल्टा वैरिएंट ने पूरी दुनिया में कहर बरपाना जारी रखा है। प्राकृतिक और यहां तक कि वैक्सीन से मिली एंटीबॉडीज़ से बच निकलने की इसकी क्षमता गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है। वैज्ञानिक खोज में लगे हैं कि आखिर वो क्या चीज़ है जो इसे अधिक संक्रामक बनाती है, जिसकी वजह से यह वास्तव में अधिक ख़तरनाक और चिंताजनक बना हुआ है।
क्या डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ टीके प्रभावी साबित हो सकते हैं?
क्योंकि डेल्टा वैरिएंट दो म्यूटेशन से मिलकर बना है, इसलिए इसकी एंटीबॉडीज़ से बचने की क्षमता अधिक कुशल है। वैज्ञानिकों ने चिंता जताई है कि नए वैरिएंट, ख़ासतौर से डेल्टा वैरिएंट में ऐसे गुण हैं, जो उसे प्रतिरक्षा सुरक्षा से बचने में मदद करते हैं और वैक्सीन से मिली सुरक्षा को चकमा देने में उसकी सहायता करते हैं, जिससे वे संक्रमण फैलाने में सफल हो रहे हैं।
हालांकि, जिन लोगों को कोविड की दोनों डोज़ लग चुकी हैं, वे डेल्टा वैरिएंट से संक्रमित ज़रूर हो सकते हैं, लेकिन उनमें गंभीर संक्रमण और फिर इसकी वजह से अस्पताल में भर्ती होने की संभावना कम हो जाती है। रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र ने यह भी दावा किया है कि जिन लोगों ने कोविड की दोनों खुराक ले ली हैं, उनमें वायरस को फैलाने की संभावना भी कम है।
Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।