जानें कोरोना के कारण बच्चों के टीकाकरण प्रभावित होने का क्या होगा उनपर असर

UNISEF ने कोविड-19 के कारण शिशु टीकाकरण में आ रही कमी को लेकर बुधवार को चेतावनी देते हुए कहा कि बच्चों को जरूरी टीके लग पाएंगे इसकी संभावना 20 प्रतिशत से भी कम है।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Publish:Thu, 16 Jul 2020 12:12 PM (IST) Updated:Thu, 16 Jul 2020 12:12 PM (IST)
जानें कोरोना के कारण बच्चों के टीकाकरण प्रभावित होने का क्या होगा उनपर असर
जानें कोरोना के कारण बच्चों के टीकाकरण प्रभावित होने का क्या होगा उनपर असर

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। कोरोनावायरस की काली छाया बच्चों के आने वाले कल पर भी पड़ रही है। कोरोना की वजह से नवजात शिशुओं का टीकाकरण प्रभावित हो रहा है इस बात की जानकारी यूनिसेफ ने दी है। कोरोना के कारण कई देशों में लोग अपने नवजात शिशुओं को खसरा,चेकक और पोलियों तक के टीके लगवाने से परहेज कर रहे हैं। भारत में भी कोरोना की वजह से टीकाकरण प्रभावित हो रहा है। भारत पोलियों मुक्त हो चुका है लेकिन जिस तरह से नवजात शिशुओं का टीकाकरण प्रभावित हो रहा है उससे भारत के शिशुओं के पोलियो ग्रस्त होने की आशंका बढ़ सकती है।

संयुक्त राष्ट्र ने कोविड-19 के कारण शिशु टीकाकरण में बड़े पैमाने पर आ रही कमी को लेकर बुधवार को चेतावनी देते हुए कहा कि आज जन्म लेने वाले बच्चे को पांच साल की उम्र तक आते-आते सभी जरुरी टीके लग जाएंगे इसकी संभावना 20 प्रतिशत से भी कम है।

यूनिसेफ, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और गावी द्वारा किए गए इस अध्ययन के अनुसार, जिन 82 देशों में सर्वे किया गया, उनमें से ज्यादातर में कोरोना वायरस महामारी के कारण टीकाकरण अभियान प्रभावित हुआ है।

गावी बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन द्वारा साझेदारी में शुरू किया गया संस्थान है और दुनिया के करीब 60 प्रतिशत बच्चों के लिए टीका यही खरीदता है।

सर्वे में यह बात सामने आई है कि दुनिया में मीजल्स (खसरा) के 30 से ज्यादा अभियान या तो बंद हो चुके हैं या फिर उनके बंद होने का खतरा मंडरा रहा है। डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक का कहना है कि सामान्य टीकाकरण नहीं हो पाने के कारण बच्चों के बीमारियों से मरने का खतरा कोविड-19 के मुकाबले ज्यादा है, जबकि इन बीमारियों से बचा जा सकता था। महामारी से पहले भी करीब 1.4 करोड़ बच्चों का टीकाकरण नहीं हो पा रहा था और उनमें से ज्यादातर अफ्रीका महाद्वीप में हैं। 

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