Lung Cancer Stage-3: फेफड़ों के कैंसर की स्टेज-3 क्या होती है, जानें इससे जुड़ी ज़रूरी बातें

Lung Cancer Stage-3जब कोई स्मोक करता है तो धीरे-धीरे फेफड़ों की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचता है। हालांकि फेफड़ों का कैंसर उन लोगों को भी हो सकता है जिन्होंने कभी स्मोक न किया हो।

By Ruhee ParvezEdited By: Publish:Wed, 12 Aug 2020 03:27 PM (IST) Updated:Wed, 12 Aug 2020 03:27 PM (IST)
Lung Cancer Stage-3: फेफड़ों के कैंसर की स्टेज-3 क्या होती है, जानें इससे जुड़ी ज़रूरी बातें
Lung Cancer Stage-3: फेफड़ों के कैंसर की स्टेज-3 क्या होती है, जानें इससे जुड़ी ज़रूरी बातें

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Lung Cancer Stage-3: फेफड़े के कैंसर के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं। फेफड़ों का कैंसर पुरुषों और महिलाओं दोनों में कैंसर से होने वाली मौतों के प्रमुख कारणों में से है। जैसा कि हम जानते हैं कि कैंसर तब होता है, जब किसी व्यक्ति के शरीर में कोशिकाएं नियंत्रण से बाहर हो जाती हैं। जब कैंसर की शुरुआत फेफड़ों से होती है, तो उसे फेफड़ों का कैंसर कहा जाता है। इस तरह का कैंसर अक्सर लिम्फ नोड या दूसरे अंगों में फैल जाता है। कई बार ऐसा भी होता है कि कैंसर किसी और अंग से शुरू होने के बाद फेफड़ों में पहुंच जाता है।   

ये सब जानते हैं कि जो लोग स्मोक करते हैं, उन्हें फेफड़ों का कैंसर होने की संभावना ज़्यादा होती है। यहां तक कि अगर आपके पास खड़ा होकर भी कोई अक्सर स्मोक करता है, तो आपको भी फेफड़ों का कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है। जब कोई स्मोक करता है, तो धीरे-धीरे उसके फेफड़ों में अस्तर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचता है। हालांकि, फेफड़ों का कैंसर उन लोगों को भी हो सकता है, जिन्होंने कभी स्मोक न किया हो।

फेफड़ों के कैंसर के लक्षण

इस कैसंर के शुरुआती स्टेज में किसी तरह के लक्षण नज़र नहीं आते हैं। 

- लगातार खांसी होना, जो लंबे समय तक ठीक नहीं होती 

- खांसने पर खून आना

- सांस लेने में तकलीफ

- सीने में दर्द

- अचानक वज़न का घटना

- हड्डियों में दर्द होना

अगर आपको इस तरह के लक्षणों का अनुभव लगातार हो रहा है, तो फौरन डॉक्टर से सलाह लें।

इसे कैसे पहचाना जाता है

डॉक्टर लंग कैंसर की रूटीन जांच तभी करते हैं, जब उन्हें पता हो कि आप काफी समय से स्मोक करते आ रहे हैं। अगर डॉक्टर को फेफड़ों के कैंसर पर संदेह होता है, तो वो सबसे पहले एक्स-रे करवाते हैं। इसके बाद सीटी स्कैन, PET, MRI या बोन स्कैन किया जाता है। कई मामलों में बायोप्सी कर टिशू की जांच भी की जाती है।

कैंसर की स्टेज का कैसे पता चलता है 

कैंसर की स्टेज का पता तीन प्रमुख मानदंडों द्वारा किया जाता है जिन्हें TNM कहा जाता है। 'T'का मतलब ट्यूमर, 'N' का नोड्स और 'M' का मतलब मेटास्टैसिस से है। यह चिकित्सकीय रूप से जांचा जाता है कि ट्यूमर (T) कितना बड़ा है, कहां है, लिम्फ नोड्स (N) से कितना पास है और कितनी दूर तक फैल (M) चुका है। 

3 तरह के होते हैं स्टेज-3 कैंसर

फेफड़ों के कैंसर की तीसरी स्टेज को 3 भागों में बांटा जा सकता है। असकी स्टेज-ए वो होती है, जब ट्यूमर सिर्फ फेफड़े में मौजूद हो। इससे आस-पास के ऊतक प्रभावित हो सकते हैं लेकिन अभी तक अन्य अंगों तक नहीं पहुंचा है। स्टेज-बी तब होती है जब एक ही फेफड़े में ट्यूमर होता है, लेकिन वे कॉलरबोन के ऊपर लिम्फ नोड्स के साथ सीने में एक तरफ फैल गए है, लेकिन दूसरे अंगों में नहीं पहुंचा है। स्टेज-सी आखिरी स्टेज होती है, जब कैंसर कॉलरबोन के ऊपर लिम्फ नोड्स के साथ सीने के दोनों तरफ फैल गया है। इस स्टेज में कैंसर ब्रेस्ट की हड्डी या आस-पास के ऊतकों तक पहुंच गया है।

Disclaimer: ये लेख सिर्फ कैंसर से जुड़ी कुछ जानकारी के लिए है। इसके बारे में ज़्यादा जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें। 

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