शरीर में ये बदलाव 'डायबिटिक रेटिनोपैथी' के हैं लक्षण, ऐसे करें बचाव

रेटीनोपैथी की वजह से रेटिना में सूजन पैदा होती है जिससे आंखों में ऑक्सीजन की पूर्ति बाधित होती है। इससे मरीज के आंखों की रोशनी खत्म हो जाती है। डायबिटीज के 40 फीसदी मरीज रेटीनोपैथी के शिकार होते हैं।

By Umanath SinghEdited By: Publish:Mon, 21 Dec 2020 04:59 PM (IST) Updated:Fri, 07 May 2021 06:49 PM (IST)
शरीर में ये बदलाव 'डायबिटिक रेटिनोपैथी' के हैं लक्षण, ऐसे करें बचाव
उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने के लिए डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। डायबिटिक रेटिनोपैथी की बीमारी रक्त में शर्करा स्तर के बढ़ने से होती है। इस बीमारी से रेटिना प्रभावित होती है। रेटिना आंख के पर्दे को कहा जाता है। रेटिना में कोशिकाओं की मौजूदगी के चलते आंखों से दिखाई देता है, क्योंकि कोशिकाओं की मदद से रेटिना में रोशनी पहुंचती है। आंख की अधिकतर बीमारी रेटिना की वजह से होती है। वहीं, डायबिटीज रेटिनोपैथी में रेटिना की कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। इसके चलते आंखों से दिखाई नहीं देती है। लापरवाही करने पर आंखों की रोशनी सदा के लिए जा सकती है। विशेषज्ञों की मानें तो रेटिनोपैथी के शुरूआती लक्षण को नॉन पॉलिफरेटिव डायबिटिक रेटीनोपैथी कहा जाता है। इस दौरान ब्लड लीकेज होने लगता है। इस स्थिति में आंखों से दिखाई देता है। हालांकि, खून के अधिक बहने पर आंखों पर प्रतिकूल असर पड़ता है और आंखों की रोशनी कम हो जाती है। इसके अतिरिक्त रेटीनोपैथी की वजह से रेटिना में सूजन पैदा होती है, जिससे आंखों में ऑक्सीजन की पूर्ति बाधित होती है। इससे मरीज के आंखों की रोशनी खत्म हो जाती है। डायबिटीज के 40 फीसदी मरीज रेटीनोपैथी के शिकार होते हैं।

डायबिटिक रेटीनोपैथी के लक्षण

-आंखों के सामने धब्बा होना

-धुंधला दिखाई देना

-आंखों के सामने जाला बनना

-मोतियाबिंद

-आंखों में दर्द

-रंगों की पहचान में कठिनाई

-दृष्टि का असंतुलन

डायबिटिक रेटिनोपैथी से बचाव

-अगर आप लंबे समय से डायबिटीज के मरीज हैं, तो अपनी आंखों की जांच जरूर करवाएं। साथ ही हर तीन महीने पर अपनी आंखों का टेस्ट जरूर करवाएं।

-व्यसनों से परहेज करें। खासकर तंबाकू और शराब को बिल्कुल हाथ न लगाएं।

-उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने के लिए डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

-अपनी डाइट में विटामिन-ए युक्त चीज़ों को जरूर शामिल करें।

डिस्क्लेमर: स्टोरी के टिप्स और सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन्हें किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर नहीं लें। बीमारी या संक्रमण के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

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