Cancer Risk & Food: ये 5 तरह के फूड्स बढ़ा सकते हैं कैंसर के विकसित होने का जोखिम

Cancer Risk Foods कई शोध में यह साबित हुआ है कि हमारी डाइट संबंधी आदतें कैंसर के ख़तरे को बढ़ा सकती हैं या कम कर सकती है। आपकी सेहत फिट रहे इसके लिए इन 5 फूड्स आइटम्स से आपको दूरी बनाए रखनी चाहिए।

By Ruhee ParvezEdited By: Publish:Tue, 28 Sep 2021 10:35 AM (IST) Updated:Tue, 28 Sep 2021 10:35 AM (IST)
Cancer Risk & Food: ये 5 तरह के फूड्स बढ़ा सकते हैं कैंसर के विकसित होने का जोखिम
ये 5 तरह के फूड्स बढ़ा सकते हैं कैंसर के विकसित होने का जोखिम

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Cancer Risk & Foods: कैंसर दुनिया भर में मौत के प्रमुख कारणों में से एक है, लेकिन जीवनशैली में बदलाव करके इसे रोका जा सकता है। शरीर में कैंसर के सेल्स कई कारणों विकसित होते हैं, जिसमें अस्वस्थ डाइट भी एक वजह है। शारीरिक गतिविधि की कमी, धूम्रपान, मोटापा, शराब और यूवी किरणों के संपर्क में आना कुछ ऐसे कारण हैं, जो कैंसर में भूमिका निभा सकते हैं। कई शोध में यह साबित हुआ है कि हमारी डाइट संबंधी आदतें कैंसर के ख़तरे को बढ़ा सकती हैं या कम कर सकती है। आपकी सेहत फिट रहे इसके लिए इन 5 फूड्स आइटम्स से आपको दूरी बनाए रखनी चाहिए।

प्रोसेस्ड मीट

मीट, पोल्ट्री, मछली और अंडे सभी चीज़ें हेल्दी होती है, बशर्ते कि उन्हें ठीक से पकाया जाए और कम मात्रा में सेवन किया जाए। किसी भी पशु-आधारित उत्पादों को लेना जो स्मोकिंग और नमकीन द्वारा संरक्षित किया गया है, अस्वास्थ्यकर है और वजन बढ़ने से लेकर कैंसर तक की स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को जन्म दे सकता है। मांस के प्रसंस्करण से एक यौगिक उत्पन्न होता है, जो कार्सिनोजेन्स हो सकता है और एक व्यक्ति को कोलोरेक्टल और पेट के कैंसर के विकास के जोखिम में डाल सकता है। प्रोसेस्ड मीट जैसे हॉट डॉग, सलामी और सॉसेज के बजाय घर पर ही मीट पकाएं।

तला हुआ खाना

​तले हुए खाद्य पदार्थों का अत्यधिक सेवन भी शरीर में कैंसर कोशिकाओं के विकास का कारण बनता है। जब आलू या मांस जैसे खाद्य पदार्थों को उच्च तापमान पर तला जाता है, तो एक्रिलामाइड नामक यौगिक बनता है। अध्ययनों से पता चलता है कि इस यौगिक में कार्सिनोजेनिक गुण होते हैं और यहां तक ​​कि डीएनए को भी नुकसान पहुंचाते हैं। इसके अलावा, तले हुए खाद्य पदार्थ शरीर में ऑक्सीडेटिव तनाव और सूजन को भी बढ़ा सकते हैं, जो कैंसर कोशिकाओं के विकास से जुड़ा हुआ है।

रिफाइन्ड प्रोडक्ट्स

चाहे मैदा हो, चीनी या फिर तेल, यह सभी चीज़ें आपके शरीर में कैंसर कोशिकाओं के विकास का जोखिम पैदा कर सकती हैं। अध्ययनों से पता चलता है कि अत्यधिक संसाधित चीनी और कार्ब्स शरीर में ऑक्सीडेटिव तनाव और सूजन के जोखिम को बढ़ा सकते हैं, जो विभिन्न प्रकार के कैंसर का ज़रिया बनता है। जिन लोगों की डाइट में रिफाइन्ड प्रोडक्ट्स की मात्रा अधिक होती है, उनमें ओवेरियन, स्तन और एंडोमेट्रियल (गर्भाशय) कैंसर का अधिक ख़तरा होता है। रिफाइन्ड प्रोडक्ट्स का सेवन कम करने के लिए इसकी जगह स्वस्थ विकल्प चुनें। चीनी की जगह गुड़ या शहद का इस्तेमाल करें, रिफाइन्ड कार्ब्ज़ की जगह साबुत अनाज लें और रिफान्ड तेल की जगह सरसों का तेल और घी का इस्तेमाल करें।

शराब और कार्बोनेटेड ड्रिंक्स

अल्कोहल और कार्बोनेटेड ड्रिंकस दोनों में रिफाइंड चीनी और कैलोरी की मात्रा अधिक होती है। दोनों में से किसी भी तरल पदार्थ के अत्यधिक सेवन से शरीर में मुक्त कणों की संख्या बढ़ सकती है, जो बदले में सूजन का कारण बन सकती है। शराब आपके इम्यून फंक्शन में भी हस्तक्षेप करती है, जिससे आपके शरीर के लिए प्री-कैंसर और कैंसर कोशिकाएं का पता लगाना और उसे लक्षित करना मुश्किल हो जाता है।

डिब्बाबंद खाना

डिब्बाबंद खाने का ट्रेंड भारत में भी धीरे-धीरे बढ़ रहा है। बाज़ार में आपको रेडी-टू-कुक खाने के प्रोडक्ट्स की भरमार दिख सकती है। इंस्टेंट पोहा, नूडल्स, इडली, उपमा, पास्ता जैसी कई वैराएटी आपको मिल जाएगी। इस तरह के खाने भले ही आपका खाना बनाने आसान कर देंगे, लेकिन साथ ही कैंसर के ख़तरे को भी बढ़ा सकते हैं। ज़्यादातर डिब्बाबंद पैक Bisphenol A (BPA) नाम के कैमिकल्स से युक्त होते हैं। भोजन में घुलने पर यह यौगिक हार्मोनल असंतुलन, डीएनए में परिवर्तन और कैंसर का कारण बन सकता है।

Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

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