COVID-19 and Heard attack risk: कोविड के मरीज़ों में हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा अधिक : रिसर्च

COVID-19 and Heard attack risk स्वीडन के उमिया यूनिवर्सिटी में कार्यरत और स्टडी रिपोर्ट के सहयोगी लेखक ओस्वाल्डो फोन्सेका रोड्रिगेज ने कहा कि कोरोना से उबरने के दो हफ्तों बाद भी मरीज़ को हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा तीन गुना बना रहता है।

By Shahina NoorEdited By: Publish:Wed, 04 Aug 2021 01:06 PM (IST) Updated:Wed, 04 Aug 2021 01:06 PM (IST)
COVID-19 and Heard attack risk: कोविड के मरीज़ों में हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा अधिक : रिसर्च
कोविड-19 के बाद पहले दो हफ्तों में दिल का दौरा और स्ट्रोक का खतरा तीन गुना बढ़ जाता है।

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। कोरोनावायरस को मात देने के बाद भी मरीज़ों की मुश्किलों का अंत नहीं होता। द लैंसेट जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक कोरोना से उबरने के दो हफ्तों बाद भी मरीज़ को हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा तीन गुना बना रहता है। लैंसेट के अध्ययन में यह दावा किया गया है कि स्वीडन में पिछले साल एक फरवरी से 14 सितंबर 2020 के बीच 86,742 कोरोना मरीजों और 3,48,481 आम लोगों में एक्यूट मायोकार्डिनल इन्फार्क्शन(एक तरह का हार्क अटैक) या हर्ट अटैक पड़ने के खतरे के तुलनात्मक अध्ययन के आधार पर रिसर्च की गई है।

स्वीडन के उमिया विश्वविद्यालय के ओस्वाल्डो फोन्सेका रोड्रिग्ज और अध्ययन के सहयोगी लेखक ने कहा कि उन्होंने अध्ययन में COVID-19 से उबरने वाले मरीज़ों में पहले दो हफ्तों में दिल का दौरा और स्ट्रोक का तीन गुना बढ़ा हुआ जोखिम पाया है। अध्ययन में दो सांख्यिकीय विधियों का उपयोग किया गया है।

उमिया विश्वविद्यालय से संबंधित और स्टडी की सह-लेखिका इयोनिस कट्सौलारिस ने कहा कि परिणाम बताते हैं कि कोरोना मरीजों के इलाज में हृदय संबंधी जटिलताएं एक अहम पहलू रही हैं। साथ ही हमारे परिणाम यह भी दिखाते हैं कि कोरोना के खिलाफ टीकाकरण करना कितना महत्वपूर है, विशेष रूप से बुजुर्ग जिनको हर्ट अटैक की संभावना ज्यादा है।

शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में दो सांख्यिकीय विधियों द मैच्ड कोहोर्ट स्टडी और सेल्फ कंट्रोल्ड केस सीरीज का इस्तेमाल किया। उन्होंने कहा कि सेल्फ कंट्रोल्ड केस सीरीज स्टडी एक ऐसी विधि है जिसे मूल रूप से वैक्सीन के बाद होने वाली जटिलताओं के जोखिम को निर्धारित करने को लेकर खोजा गया था। शोधकर्ताओं के मुताबिक इन दोनों तरीकों से पता चलता है कि कोरोना एक्यूट मायोकार्डिनल इन्फार्क्शन और इस्केमिक स्ट्रोक के लिए एक जोखिम कारक है।

अध्ययन के सह-लेखक क्रिस्टर लिंडमार्क ने कहा कि यदि अध्ययन में किसी पूर्व घटना वाले व्यक्तियों को शामिल किया जाता है, तो कोविड-19 तीव्र रोधगलन और स्ट्रोक में योगदान करने वाले जोखिम की गणना करना मुश्किल होता। 

chat bot
आपका साथी