रिसर्च में खुलासा, नवजात को एंटीबायोटिक्स देने पर हो सकती है उनके वजन और लंबाई की रफ्तार धीमी
चौंकाने वाली रिसर्च सामने आई है जिसमें इजरायल की बार-इलन यूनिवर्सिटी ने दावा किया है कि बच्चे के जन्म के 15 दिनों के अंदर एंटीबायोटिक्स देना कर सकता है उसके विकास की रफ्तार को धीमा। जानें अन्य जरूरी बातें..
खतरनाक बैक्टीरिया से महफूज़ रखने वाली एंटीबायोटिक्स पर इजरायल के साइंटिस्ट्स की एक रिसर्च सामने आई है, जो काफी चौंकाने वाली है। इस रिसर्च में कहा गया है कि, अगर बच्चे को जन्म के 15 दिनों के अंदर एंटीबायोटिक्स दिया जाता है तो 6 साल की उम्र तक उसके विकास पर इसका असर देखने को मिल सकता है। सामान्य की तुलना में उसका वजन और लंबाई दोनों कम हो सकती है। इससे भी ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि साइंटिस्ट ने कहा है कि, इसका असर लड़कों में ही देखने को मिलेगा, लड़कियों में नहीं। यह दावा इजरायल की बार-इलन यूनिवर्सिटी ने अपनी रिसर्च में किया है।
इम्यून सिस्टम पर करता है अटैक
रिसर्चर ओमरी कोरियन का कहना है कि, नवजात शिशुओं का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है जिससे उन्हे संक्रामक बीमारियों के होने की संभावना सबसे ज्यादा होती है। इसी वजह से इन्हें एंटीबायोटिक्स की खुराक दी जाती है। जो उन्हें खतरनाक बीमारियों से बचाती है। लेकिन रिसर्च के रिजल्ट्स बताते हैं कि इन दवाओं से फ्यूचर में नजर आने वाले असर को भी समझने की जरूरत है।
इन गलतियों को न करें नजरअंदाज
- सर्दी, खांसी, जुकाम या सिरदर्द होने पर पहले ही दिन दवाएं न लें।
- घर में पहले से रखी दवाओं की एक्सपायरी जरूर चेक कर लें और इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना भी जरूरी है।
- इस बात का खास ध्यान रखें कि एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल बैक्टीरियल इंफेक्शन खत्म करने के लिए किया जाता है तो भूलकर भी वायरल इंफेक्शन में इसे यूज न करें।
- समय पर दवाएं लेने के साथ ही डॉक्टर से सलाह लेना भी बेहद जरूरी है।
खतरा कहां है?
- रिसर्च के अनुसार, पैदा होने के कुछ हफ्तों में नवजात को एंटीबायोटिक्स के जरिए बैक्टीरियल इंफेक्शन्स से बचाया जाता है।
- साइंटिस्ट का कहना है, नवजातों को एंटीबायोटिक्स देने से उनके शरीर में अच्छे बैक्टीरिया पर भी बुरा असर पड़ता है।
- पैदा होने के शुरुआती दिनों में एंटीबायोटिक्स देते हैं तो इसका असर उनके विकास पर पड़ता है। लेकिन 28 दिन से ज्यादा उम्र के बच्चों पर दवाओं का ऐसा खतरा नहीं देखा गया।
- जब बैक्टीरिया से होने वाले इंफेक्शन पर जरूरत से ज्यादा एंटीबायोटिक्स दवाओं का यूज होता है तो ऐसे बैक्टीरिया खास तरह की इम्यूनिटी डेवलप कर लेते हैं।
- ऐसा होने पर दवाओं का इन पर असर नहीं होता, इसे एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस कहते हैं।
- ये बताता है कि बैक्टीरिया ने दवा के खिलाफ अपनी इम्यूनिटी विकसित कर ली है। दुनिया में ऐसे मामले बढ़ रहे हैं।
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