Mystery Fever: क्या है मिस्ट्री फीवर, स्क्रब टाइफस और थ्रोम्बोसाइटोपेनिया, जानें एक्सपर्ट्स से

Mystery Fever हॉस्पिटल में भर्ती होने वाले अधिकांश बच्चों में प्लेटलेट काउंट में गिरावट देखी गई। इस वक्त देश में वायरल बुख़ार डेंगू के अलावा स्क्रब टाइफस और थ्रोम्बोसाइटोपेनिया जैसी बीमारियां फैली हुई हैं जिनका आज से पहले शायद ही किसी ने नाम सुना हो।

By Ruhee ParvezEdited By: Publish:Sat, 18 Sep 2021 09:00 AM (IST) Updated:Sat, 18 Sep 2021 09:29 AM (IST)
Mystery Fever: क्या है मिस्ट्री फीवर, स्क्रब टाइफस और थ्रोम्बोसाइटोपेनिया, जानें एक्सपर्ट्स से
क्या है मिस्ट्री फीवर, स्क्रब टाइफस और थ्रोम्बोसाइटोपेनिया, जानें एक्सपर्ट्स से

नई दिल्ली, रूही परवेज़। Mystery Fever: बारिश के मौसम या फिर मौसम में बदलाव के साथ ही देश भर में वायरल बीमारियों का क़हर शुरू हो जाता है। कोरोना वायरस के मामले भी कई शहरों में एक बार फिर बढ़ते दिख रहे हैं। इसके अलावा एक तरफ जहां दिल्ली में वायरल बुख़ार के साथ डेंगू के मामले बढ़ रहे हैं, वहीं, उत्तर प्रदेश के कई जिलों में पिछले 20 से 30 दिनों से रहस्यमई बुखार (मिस्ट्री फीवर) का कहर छाया हुआ है। कुछ खबरों के मुताबिक, पूर्वी यूपी के छह ज़िलों में इस बुख़ार से कम से कम 100 बच्चों की मौत हो गई है। अधिकांश बच्चों ने जोड़ों के दर्द, सिरदर्द, डीहाइड्रेशन, मतली या चकतों जैसे लक्षण की शिकायत की थी, ये चकत्ते उनके हाथ और पैरों में फैल गए थे। इसलिए हॉस्पिटल में भर्ती होने वाले अधिकांश बच्चों में प्लेटलेट काउंट में गिरावट देखी गई। इस वक्त देश में वायरल बुख़ार, डेंगू के अलावा स्क्रब टाइफस और थ्रोम्बोसाइटोपेनिया जैसी बीमारियां फैली हुई हैं, जिनका आज से पहले शायद ही किसी ने नाम सुना हो।

आइए जानें मेडिकल एक्सपर्ट्स का इन बीमारियों के बारे में क्या कहना है:

क्या है थ्रोम्बोसाइटोपेनिया

उजाला सिग्नस ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स के डायरेक्टर और फाउंडर डॉ. शुचिन बजाज ने बताया कि थ्रोम्बोसाइटोपेनिया का मतलब प्लेटलेट्स में कमी होना होता है। इसे डेंगू के रूप में जाना जाता है इसमें प्लेटलेट्स कम हो जाते हैं। यह एक मच्छर से फैलने वाली बीमारी है। यह बीमारी 100 से अधिक देशों में फैल चुकी है, लेकिन 70% केसेस एशिया से आते हैं और हर साल 100 मिलियन से ज़्यादा मामले मिलते हैं। दुनिया भर में डेंगू के लाखों गंभीर केसेस सामने आते हैं, जो मोर्बिडिटी और मोर्टिलिटी के मामले में बहुत बड़ा प्रभाव डालते हैं और कोविड की तुलना में ये केसेस बहुत ज़्यादा हैं।

दुर्भाग्य से हमारे सार्वजनिक स्वास्थ्य का हाल ख़राब है। खराब स्वच्छता, जगह-जगह जल भराव और मॉनसून के दौरान और बाद में मच्छरों की बढ़ती संख्या से निपटने में असक्षम होने की वजह से हम हर साल इस बीमारी के क़हर को झेलते हैं।

जापानी बुख़ार

साथ ही उत्तर प्रदेश में मच्छरों से फैलने वाली बीमारियां भी फैल रही हैं, जिनमें से सबसे प्रसिद्ध मच्छर जनित बीमारी जापानी इंसेफेलाइटिस जिसे जापानी बुख़ार भी कहा जाता है। यह पहली बार 1978 में यूपी में मिली थी। और तब से 6,500 से ज्यादा लोगों की जिंदगी यह बीमारी ले चुकी है। जापानी इंसेफेलाइटिस के लिए 2018 में एक बड़ा टीकाकरण अभियान शुरू किया गया था, और इस वजह से इससे मौतों में कमी आई है। लेकिन फिर से इस समय एक ऐसी रहस्यमय बीमारी आ गई है जिसे हम वास्तव में यह नहीं जान सकते कि यह जापानी इंसेफेलाइटिस है या यह डेंगू है।

चिकनगुनिया

चिकनगुनिया भी मच्छर के काटने से होने वाली बीमारी है, जो इस मॉनसून के बाद के मौसम में बहुत तेज़ी से फैलती है। बीमारी चाहे जो भी हो एक बात साफ है कि ये बीमारियां ख़राब सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली के कारण फैल रही हैं। हमें ये बीमारियां बार-बार होती हैं और हर साल हमें इनसे लड़ना पड़ता है और अपने बच्चों की जान से हाथ धोना पड़ता है, जो बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है।

स्क्रब टाइफस

गुड़गांव के पारस हॉस्पिटल में पेडियाट्रिक्स & नॉनटोलॉजी के एचओडी, डॉ, मनीष मनन का कहना है कि मिस्ट्री फीवर लोगों द्वारा बनाया गया एक शब्द है। ऐसे कई तरह के वायरल फीवर होते हैं, जिनका सामना हम रोज़ करते हैं। लेकिन इस बुखार में लक्षण डेंगू जैसे होते हैं लेकिन यह डेंगू बुखार नहीं होता है। अगर बच्चे में बुखार को समय पर नियंत्रित नहीं किया गया तो इससे बच्चे की मृत्यु भी हो सकती है। वायरल हेमोरेजिक नाम का एक बुखार होता है। स्क्रब टाइफस नामक एक और बीमारी है, जिसका पता लगा पाना कठिन होता है। यह भी डेंगू जैसा दिखता है लेकिन इसमें मृत्यु दर 1 से 50% तक होती है।

जो बुखार के केसेस उत्तर प्रदेश से सामने आ रहे हैं वह स्क्रब टाइफस के केसेस हैं। यह माइट्स (घुन) द्वारा फैलते है। इस प्रकार का बुखार भारत में सदियों से होते आए हैं। कई बैक्टीरियल इंफेक्शन हो सकते हैं, जिनमें स्क्रब टाइफस के लक्षण नज़र आ सकते हैं। ऐसे केसेस इसलिए बढ़ रहे हैं क्योंकि बच्चे काफी समय से घर में क्वारंटाइन में थे और अब वे घर से बाहर निकल रहे हैं। उनकी इम्यूनिटी (रोग प्रतिरोधक) क्षमता भी कम हो गई है। इन बुखार का कोविड से कोई लेना-देना नहीं है क्योंकि किसी भी बच्चे का कोविड टेस्ट पॉजिटिव नहीं आया है।

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