Menstrual Hygiene Day 2021: मेन्सट्रुअल हाइजीन से जुड़ी 5 बातें जो जाननी हैं ज़रूरी!

Menstrual Hygiene Day 2021 इस दिन को मनाने का मकसद पीरियड्स को लेकर चुप्पी और वर्जना को तोड़ना है जागरूकता बढ़ाना और दुनिया भर में मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन के आसपास के नकारात्मक सामाजिक मानदंडों को बदलना है।

By Ruhee ParvezEdited By: Publish:Fri, 28 May 2021 03:26 PM (IST) Updated:Fri, 28 May 2021 03:26 PM (IST)
Menstrual Hygiene Day 2021: मेन्सट्रुअल हाइजीन से जुड़ी 5 बातें जो जाननी हैं ज़रूरी!
मेन्सट्रुअल हाइजीन से जुड़ी 5 बातें जो जाननी हैं ज़रूरी!

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Menstrual Hygiene Day 2021: 28 मई को दुनिया भर में मासिक धर्म स्वच्छता दिवस के रूप में मनाया जाता है। हर महिला को हर महीने पीरियड्स या कहें मासिक चक्र का अनुभव होता है, जिसमें गर्भाशय की परत टूट जाती है और योनि के माध्यम से शरीर छोड़ देती है। पीरियड्स और मासिक धर्म स्वच्छता को लेकर आज भी दुनिया भर में खामोशी और लापरवाही बरती जा रही है। इस दिन को मनाने का मकसद पीरियड्स को लेकर चुप्पी और वर्जना को तोड़ना है, जागरूकता बढ़ाना और दुनिया भर में मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन के आसपास के नकारात्मक सामाजिक मानदंडों को बदलना है। मासिक धर्म स्वच्छता दिवस के अवसर पर आपको इससे जुड़ी 5 बातें ज़रूर जाननी चाहिए। जानिए पांच बातें।

28 मई को ही क्यों मनाया जाता है ये दिन?

WASH युनाइटेड, एक जर्मन गैर-लाभकारी संगठन और मासिक धर्म स्वच्छता दिवस के संस्थापक, के अनुसार, मासिक धर्म का औसत अंतराल चक्र 28 दिन है। आमतौर पर महिलाएं/लड़कियां में पीरियड्स का साइकिल आमतौर पर 4 से 5 दिन का होता है। इसीलिए साल के 5वें महीने यानी मई और 28 तारीख को इस खास दिन के लिए चुना गया।

वर्ल्ड मेन्सट्रुअल हाइजीन डे का उद्देश्य

इस साल वर्ल्ड मेन्सट्रुअल हाइजीन डे की थीम ' Action and investment in menstrual hygiene and health' है यानी 'मासिक धर्म स्वच्छता और स्वास्थ्य में कार्रवाई, निवेश'। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य मासिक धर्म के दौरान लड़कियों और महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों, परेशानियों और कई तरह की सावधानियां बरतने के बारे में जागरूकता पैदा करना है। 

वर्ल्ड मेन्सट्रुअल हाइजीन डे का महत्व

मासिक धर्म स्वच्छता दिवस के साथ, न सिर्फ WASH United, बल्कि कई संगठन और कार्यकर्ता शामिल हैं। जिनका उद्देश्य साल 2030 तक एक ऐसी दुनिया बनाना है, जहां मासिक धर्म की वजह से कोई भी महिला या लड़की पीछे न रहे। एक ऐसी दुनिया सुनिश्चित करने के लिए, जहां पीरियड्स से जुड़े कालजयी कलंक और ग़रीबी न हो, हर महिला और लड़की को इतना सशक्त बनाने की आवश्यकता है ताकि वे आत्मविश्वास और बिना शर्म के अपने मासिक धर्म का सही और सुरक्षित तरीके से प्रबंधन कर सकें।

कोविड-19 और मेन्सट्रुअल हाइजीन

कोविड-19 के प्रकोप और उसके बाद लगे लॉकडाउन के बाद से, यह बात स्पष्ट है कि इस महामारी का गंभीर माध्यमिक प्रभाव लड़कियों और महिलाओं की मासिक धर्म और उनके स्वास्थ्य का प्रबंधन करने की क्षमता पर पड़ा है। कई विशेषज्ञों और संगठनों के अनुसार, महामारी के दौरान समाज के सबसे ग़रीब वर्ग की मासिक धर्म स्वच्छता उत्पादों तक की पहुंच बुरी तरह प्रभावित हुई। UNICEF के अनुसार, सिर्फ ग़रीब तबके की महिलाएं ही नहीं बल्कि फ्रंट लाइन वर्कर्स में शामिल नर्सें, मिड वाइफ आदि भी इसी तरह की समस्या से गुज़र रही हैं। 

इंटीग्रेटेड हेल्थ एंड वेलबीइंग (IHW)काउंसिल के सीईओ कमल नारायण ओमर का कहना है, "भारत में, प्रजनन आयु वर्ग की लगभग 36 प्रतिशत महिलाओं के पास ही सैनिटरी नैपकिन तक बुनियादी या सही पहुंच है, और बाकी महिलाएं अस्वच्छ साधनों का सहारा लेती हैं। स्वच्छ सैनिटरी नैपकिन तक पहुंच की कमी से इन महिलाओं में गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर, प्रजनन पथ और मूत्र पथ के संक्रमण, हेपेटाइटिस बी और कई तरह के यीस्ट संक्रमण होने का ख़तरा बढ़ सकता है।"

यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार, ये चुनौतियां इस प्रकार हैं:

- सुविधा प्रबंधकों को मासिक धर्म के बारे में जानकारी नहीं है या वे मासिक धर्म को, महिला कर्मियों की स्वास्थ्य देखभाल, स्वच्छता संबंधी आवश्यकताएं को प्राथमिकता नहीं देते हैं।

- स्वास्थ्य प्रणालियों द्वारा प्रदान की जाने वाली स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों के लिए मासिक धर्म स्वच्छता सामग्री का अभाव।

- पीपीई किट को पहनने और उतारने इतना लंबा काम है, कि पीरियड्स के दौरान इसे बार-बार उतारना एक अलग टास्क बन जाता है। पैड न बदल पाने की वजह से उनका पीपीई किट खराब भी हो जाता है। इससे बचने के लिए कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स लेनी पड़ती हैं या फिर 5 दिन की छुट्टी पर जाना पड़ता है।

- ऑफिस जैसी जगहों पर आम मेन्सट्रुअल हाइजीन से जुड़ी चीज़ों के उपलब्ध न होने का ख़ामियाज़ा भी महिलाओं को उठाना पड़ता है। 

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