Hypertension During Pregnancy: प्रेग्नेंसी के दौरान कैसे कर सकते हैं हाइपरटेंशन को कंट्रोल?

Hypertension During Pregnancy गर्भावस्‍था में हाई ब्‍लड प्रेशर आपकी डिलीवरी के विकल्‍पों को भी प्रभावित करता है। अगर किसी महिला को प्रेग्‍नेंसी के दौरान हाई बीपी की परेशानी हो जाती है तो उनके लिए नॉर्मल डिलिवरी जोखिम भरी हो सकता है।

By Ruhee ParvezEdited By: Publish:Tue, 18 May 2021 09:56 AM (IST) Updated:Tue, 18 May 2021 09:56 AM (IST)
Hypertension During Pregnancy: प्रेग्नेंसी के दौरान कैसे कर सकते हैं हाइपरटेंशन को कंट्रोल?
प्रेग्नेंसी के दौरान कैसे कर सकते हैं हाइपरटेंशन को कंट्रोल?

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Hypertension During Pregnancy: आंकड़ों को देखा जाए, तो हर 100 में से 8 महिलाओं को हाई-बीपी यानी हाइपरटेंशन की समस्या रहती है। अगर ये समस्या प्रेग्नेंसी के समय हो तो मां और बच्चे दोनों के लिए जोखिम बढ़ जाता है। इसकी वजह से प्रीक्‍लैंप्‍सिया, जेस्‍टेशनल डायबिटीज, हार्ट अटैक, किडनी फेलियर, प्रीमैच्‍योर डिलीवरी, लो बर्थ वेट और स्टिलबर्थ आदि का कारण बन सकता है। गर्भावस्‍था में हाई ब्‍लड प्रेशर आपकी डिलीवरी के विकल्‍पों को भी प्रभावित करता है। अगर किसी महिला को प्रेग्‍नेंसी के दौरान हाई बीपी की परेशानी हो जाती है, तो उनके लिए नॉर्मल डिलिवरी जोखिम भरी हो सकता है। वहीं, अगर लंबे समय से हाई बीपी की प्रॉब्‍लम हो तो डिलीवरी ऑपरेशन से ही होती है।

क्रोनिक ब्‍लड प्रेशर की वजह से समय से पहले बच्चे का जन्म हो सकता है, जिसमें बच्‍चा 37 हफ्ते पूरे होने से पहले ही पैदा हो जाता है। आंकड़ों से भी पता चलता है कि गंभीर रूप से हाई बीपी से लगभग दो तिहाई महिलाओं की प्रीटर्म डिलीवरी हुई थी।

प्रेग्नेंसी में हाइपरटेंशन को कैसे मैनेज करें?

मदरहुड हॉस्पिटल, नोएडा के गायनेकोलॉजिस्ट और ऑब्स्टेट्रीशियन कंसल्टेंट डॉ. मनीषा रंजन ने कहा, "गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में हाई ब्लड प्रेशर या हाइपरटेंशन की समस्या होना आम बात है। जब कोविड महामारी अपने उफान पर है, तो ऐसे में वायरस का डर और चिंता महिलाओं को हायपरटेंशन के प्रति और ज्यादा संवेदनशील बना रहा है। यह को-मॉर्बिड कंडीशन फिर मरीज़ों को पॉज़िटिव होने पर कोविड की बीमारी से संक्रमित होने के लिए उन्हें ज़्यादा संवेदनशील बनाती है। ऐसे में गर्भवती महिलाओं के लिए एक स्वस्थ लाइफस्टाइल और बेहतर जीवन जीने का नियम का पालन करना ज़रूरी है। 

- नमक और सोडियम से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे अचार, फ्रोज़न आइटम और डिब्बाबंद सूप का सेवन नहीं करना चाहिए। 

- हायपरटेंशन से पीड़ित गर्भवती महिलाओं के लिए उपयुक्त और स्वस्थ भोजन खाना बहुत ज़रूरी होता है। 

- तनाव को दूर रखने के लिए उन्हें योग या मेडिटेशन करना चाहिए। 

- इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया पर फैली नकारात्मक ख़बरों से भी दूर रहना चाहिए। 

- उन्हें अपने स्त्री रोग विशेषज्ञ के संपर्क में भी रहना चाहिए और नियमित रूप से अपने ब्लड प्रेशर को जांच करवाते रहना चाहिए। - विशेष कोविड दिशानिर्देशों जैसे कि सोशल डिस्सिंटेग, हाथों की स्वच्छता, मास्क, सही डाइट, योग, मेडिटेशन और दवा के साथ सख्त ब्लड प्रेशर कंट्रोल के नियम का पालन करना चाहिए। 

- अगर आपके डॉक्टर ने आपको हाई ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने के लिए दवाएं दी हैं, तो उन्हें खाना न भूलें क्योंकि अनियंत्रित हाई ब्लड प्रेशर मां और बच्चे दोनों के लिए घातक हो सकता है।

प्रेग्नेंसी में हाइपरटेंशन की वजह क्या है?

नोवा आइवीऍफ़, नई दिल्ली की फर्टिलिटी कंसल्टेंट डॉ. अस्वती नायर का कहना है, "ख़राब लाइफस्टाइल की वजह से हायपरटेंशन या हाई ब्लड प्रेशर की समस्या सबसे ज़्यादा होती है। जंक फूड खाने, अनियमित नींद के पैटर्न और तनाव से इस तरह की क्रोनिक बीमारी होती हैं। महिलाओं में अनियंत्रित हाई ब्लड प्रेशर का गर्भावस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इन नकारात्मक परिणामों में समय से पहले प्रसव, भ्रूण की वृद्धि में बाधा, भ्रूण की मृत्यु, प्लेसेंटल एबॉर्शन और सिज़ेरियन डिलीवरी शामिल हो सकती हैं। लेकिन पुरुषों में हायपरटेंशन के कारण कई बांझपन की समस्याएं हो सकती हैं। इन समस्याओं में वीर्य की मात्रा कम होना, शुक्राणु की गतिशीलता में फर्क आना, कुल शुक्राणुओं की संख्या में कमी होना और गतिशील शुक्राणुओं की संख्या पर नकारात्मक प्रभाव पड़ना आदि हो सकता है। यह ज़रूरी है कि वे दंपत्ति जो गर्भ धारण करने की योजना बना रहे हैं, वे पहले स्वस्थ डाइट और उचित शारीरिक गतिविधि के साथ हाइपरटेंशन की समस्या से निपटें, स्वस्थ वजन बनाए रखें और स्ट्रेस मैनेजमेंट की तकनीकों को अपनाएं।"

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