जानें बार-बार यूरिन आने की क्या है वजह और इससे जुड़ी अन्य जरूरी बातें

खास उम्र के बाद यूरिनरी इन्कॉन्टिनेंस की वजह से अधिकतर स्त्रियां यूरिन का प्रेशर नहीं झेल पातीं। उनके मन में इससे संबंधित कुछ सवाल होते हैं। आइए जानते हैं उनके जवाब।

By Priyanka SinghEdited By: Publish:Thu, 07 Nov 2019 02:51 PM (IST) Updated:Fri, 08 Nov 2019 08:22 AM (IST)
जानें बार-बार यूरिन आने की क्या है वजह और इससे जुड़ी अन्य जरूरी बातें
जानें बार-बार यूरिन आने की क्या है वजह और इससे जुड़ी अन्य जरूरी बातें

एक उम्र के बाद महिलाएं यूरिन का प्रेशर झेल नहीं पाती और उन्हें लगता है कि वो किसी बीमारी का शिकार हो रही हैं जिसे लेकर मन में कई तरह की उलझनें रहती हैं लेकिन झिझक की वजह से वो न किसी से कुछ बता पाती हैं और न ही डॉक्टर से सलाह-मशविरा कर पाती हैं। अगर आपके दिमाग में भी इस समस्या को लेकर सवाल हैं तो एक नजर डालें यहां...  

1. क्या यह समस्या केवल स्त्रियों को होती है?

वैसे तो उम्र बढऩे के बाद पुरुषों के लिए भी यूरिन का प्रेशर झेलना मुश्किल होता है पर अलग शारीरिक संरचना के कारण स्त्रियों को यह समस्या ज़्यादा परेशान करती है। 

2. क्या इस समस्या का संबंध बढ़ती उम्र से है?

दरअसल ब्लैडर की संरचना फैलने-सिकुडऩे वाली होती है और उसमें यूरिन जमा होता रहता है। सामान्य स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में ब्लैडर ब्रेन को यह संदेश भेजता है कि अब यूरिन डिस्चार्ज करने की ज़रूरत है, तभी व्यक्ति को टॉयलेट जाने की ज़रूरत महसूस होती है। उम्र बढऩे के बाद ब्रेन के न्यूरॉन सही ढंग से काम नहीं कर पाते। ऐसे में ब्लैडर से ब्रेन तक यूरिनेशन का संदेश नहीं जाता। इसी वजह से ब्लैडर के फैलने-सिकुडऩे की क्रिया पर मनुष्य का कोई कंट्रोल नहीं रह जाता और अचानक यूरिन डिस्चार्ज हो जाता है। इसके अलावा बढ़ती उम्र के साथ ब्लैडर और किडनी की भी कार्यक्षमता घटने लगती है। ब्लैडर और यूरेथ्रा के बीच स्थित यूरेथ्रल स्पिंचर यूरिन के प्रेशर को नियंत्रित करने का काम करता है, उम्र बढऩे के बाद यूरिनरी सिस्टम का यह हिस्सा कमज़ोर हो जाता है, जिससे बढ़ती उम्र में स्त्रियों के लिए यूरिन का प्रेशर झेलना बहुत मुश्किल हो जाता है।  

3. इस समस्या के प्रमुख लक्षणों के बारे में बताएं।

प्रमुख लक्षणों के आधार पर इस समस्या को दो अवस्थाओं में बांटा जाता है। छींकने, खांसने, हंसने या कठिन एक्सरसाइज़ के दौरान पेल्विक एरिया पर पडऩे वाले दबाव के कारण अचानक थोड़ा-सा यूरिन डिस्चार्ज हो जाता है तो ऐसी समस्या को स्ट्रेस इन्कॉन्टिनेंस कहा जाता है। दूसरी अवस्था में उम्र बढऩे के कारण ब्लैड और किडनी की मांसपेशियां इतनी कमज़ोर हो जाती हैं कि वे पल भर के लिए भी यूरिन का प्रेशर नहीं झेल पातीं और टॉयलेट तक पहुंचने से पहले ही यूरिन बाहर आ जाता है। इसे अर्ज इन्कॉन्टिनेंस कहा जाता है। कुछ स्त्रियों में स्ट्रेस तो कुछ में अर्ज और कुछ में दोनों ही तरह के इन्कॉन्टिनेंस के लक्षण नज़र आते हैं। लक्षणों में भले ही थोड़ा अंतर हो लेकिन मूलत: यह समस्या यूरिन का प्रेशर झेल न पाने से संबंधित है।

4. क्या इसका संबंध कुछ अन्य बीमारियों से भी है? 

हां, कुछ बीमारियां पूरे शरीर की कार्य प्रणाली को प्रभावित करती हैं, उन्हें सिस्टेमिक डिज़ीज़ कहा जाता है, उन समस्याओं के कारण भी शरीर में यूरिनरी इन्कॉन्टिनेंस जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। मसलन गंभीर ऑर्थराइटिस की अवस्था में अगर किसी को टॉयलेट तक जाने में परेशानी हो तब भी उसे रास्ते में यूरिन डिस्चार्ज हो सकता है। डायबिटीज़ की स्थिति में नव्र्स कमज़ोर होने लगती हैं, जिससे व्यक्ति को संवेदन क्षमता प्रभावित होती है और उसे सही समय यूरिन का प्रेशर महसूस नहीं होता। अल्ज़ाइमर्स के मरीज़ों के साथ भी ऐसी समस्या होती है क्योंकि ब्रेन और यूरिनरी सिस्टम के बीच संपर्क नहीं होने के कारण मरीज़ को रास्ते में यूरिन डिस्चार्ज हो जाता है। यह समस्या स्त्री या पुरुष किसी के भी साथ होती है। कई बार यूरिन में इन्फेक्शन होने पर भी स्त्रियों में ऐसे लक्षण नज़र आते हैं।       

5. क्या नॉर्मल डिलिवरी के बाद इस समस्या की आशंका बढ़ जाती है? 

हमेशा नहीं लेकिन जिन स्त्रियों को लंबे समय तक लेबर पेन झेलना पड़ता है, उनके पेल्विक एरिया की मांसपेशियों में झुकाव और ब्लैडर पर दबाव के कारण बाद में ऐसी समस्या हो सकती है।

6. क्या आबेसिटी से ग्रस्त स्त्रियों को भी ऐसी समस्या हो सकती है? 

जिन स्त्रियों का वज़न सामान्य से अधिक होता है, उनकी पेल्विक मसल्स पर पडऩे वाले दबाव के कारण भी अचानक यूरिन डिस्चार्ज हो जाता है। 

7. क्या प्रेग्नेंसी में भी ऐसा होता है?

हां, कई बार प्रेग्नेंसी के दौरान ब्लैडर पर यूट्रस का दबाव बढऩे लगता है, इससे कुछ स्त्रियों को ऐसी समस्या होती है।  

8. मेनोपॉज़ से इस समस्या का क्या संबंध है?

स्त्रियों के शरीर में मौज़ूद एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरॉन हॉर्मोन उनके यूरिनरी सिस्टम को सपोर्ट करते हैं लेकिन मेनोपॉज़ के बाद शरीर में इनका स्तर कम होने लगता है और इसी वजह से स्त्रियों को यूरिनरी इन्कॉन्टिनेंस का सामना करना पड़ता है।

9. इससे बचाव के लिए किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?   

संतुलित खानपान और एक्सरसाइज़ से बढ़ते वज़न को नियंत्रित करें, अपनी डाइट में फाइबर युक्त चीज़ों को शामिल करें, खट्टे फल न खाएं, शाम सात बजे के बाद चाय-काफी का सेवन न करें, पानी भी सीमित मात्रा में पिएं। किसी एक्सपर्ट से सीख कर केगल एक्सरसाइज़ करें। ऐसे उपायों के ज़रिये स्ट्रेस इन्कॉन्टिनेंस को का$फी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।

10. क्या इसका उपचार संभव है?

हां, इसे दवाओं से नियंत्रित किया जा सकता है। ज़रूरत पडऩे पर सर्जरी की भी सलाह दी जाती है। अगर कोई भी लक्षण नज़र आए तो बिना देर किए डॉक्टर से सलाह लें। बाहर जाते समय एडल्ट डायपर का इस्तेमाल भी सुरक्षित है लेकिन पर्सनल हाइजीन का विशेष रूप से ध्यान रखें।

chat bot
आपका साथी