Jagran Dialogues: बच्चों के लिए COVID वैक्सीन क्यों ज़रूरी है? भारत में कब तक इसकी उम्मीद की जा सकती है? बता रहे हैं एक्सपर्ट

Jagran Dialogues जागरण डायलॉग्ज़ के हाल ही के एपिसोड में जागरण न्यू मीडिया के सीनियर एडिटर Pratyush Ranjan ने डॉ. नरेंद्र कुमार अरोड़ा से इस बारे में बातचीत की ताकि बच्चों में कोविड संक्रमण को लेकर जागरूकता फैलाई जा सके।

By Ruhee ParvezEdited By: Publish:Tue, 15 Jun 2021 05:32 PM (IST) Updated:Tue, 15 Jun 2021 05:32 PM (IST)
Jagran Dialogues: बच्चों के लिए COVID वैक्सीन क्यों ज़रूरी है? भारत में कब तक इसकी उम्मीद की जा सकती है? बता रहे हैं एक्सपर्ट
बच्चों के लिए COVID वैक्सीन क्यों ज़रूरी है? भारत में कब तक इसकी उम्मीद की जा सकती है?

नई दिल्ली, प्रत्युष रंजन। क्या बच्चे भी कोविड-19 से गंभीर रूप से संक्रमित हो सकते हैं, यह एक ऐसा सवाल है, जो हर मां-बाप के मन में रहता है। कोविड की दूसरी लहर ने पूरे देश में जिस तरह कोहराम मचाया था, उसे देखते हुए मां-बाप के दिलों में डर बैठना सही भी है। जागरण डायलॉग्ज़ के हाल ही के एपिसोड में, जागरण न्यू मीडिया के सीनियर एडिटर Pratyush Ranjan ने डॉ. नरेंद्र कुमार अरोड़ा से बातचीत की, ताकि बच्चों में कोविड संक्रमण को लेकर जागरूकता फैलाई जा सके।

डॉ. अरोड़ा, नई दिल्ली के इनक्लीन ट्रस्ट इंटरनेशनल के कार्यकारी निदेशक हैं। वह एम्स पटना और एम्स-देवघर के अध्यक्ष हैं। वे भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के COVID-19 के लिए नेशनल टास्क फोर्स के ऑपरेशनल रिसर्च ग्रुप के अध्यक्ष भी हैं। पेश हैं बातचीत के कुछ अंश:

1. 18 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए कोविड वैक्सीन क्यों ज़रूरी है? क्या दो खुराक की ज़रूरत पड़ेगी या सिर्फ एक खुराक काफी होगी?

यह जानना जरूरी है कि 18 साल से कम उम्र के बच्चे कोरोना वायरस के प्रति कितने संवेदनशील हैं। मैं यह साफ करना चाहूंगा कि संक्रमण जिस तरह दूसरे आयु वर्ग के लोगों पर अटैक करता है, ठीक वैसे ही बच्चों पर भी करता है। जनवरी में किए गए पिछले सीरोसर्वे में करीब 25 फीसदी बच्चे कोविड संक्रमित पाए गए थे।

दूसरी बात कि बच्चों में संक्रमण के लक्षण काफी कम देखे जाते हैं, जो जल्दी ख़त्म भी हो जाते हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि बच्चे वायरस के वाहक बन जाते हैं। वे अपने परिवार, पड़ोसियों, दोस्तों, सहपाठियों, शिक्षकों, आदि के बीच वायरस फैला सकते हैं। इसलिए, मैं जो कहने की कोशिश कर रहा हूं वह यह है कि हालांकि बच्चों में संक्रमण होने की संभावना कम होती है, वे वायरस फैलाने का एक बड़ा जरिया हैं। यही वजह है कि स्कूलों को इस वक्त नहीं खोला जा रहा है और बच्चों को वैक्सीन लगना बेहद ज़रूरी है।

देश में इस वक्त बच्चों के लिए दो वैक्सीन के ट्रायल चल रहे हैं। एक है 2 से 18 साल के बच्चों के लिए और दूसरा 12 से 16 साल के बच्चों के लिए। लेकिन बच्चों में भी दो डोज़ दी जाएंगी।

2. कुछ बच्चे एक विशेष तरह की बीमारी से भी पीड़ित होते हैं। क्या उनके लिए कोई विशेष दिशानिर्देश हैं?

किसी बीमारी से पीड़ित बच्चा अगर कोविड से संक्रमित हो जाता है, तो यह घातक साबित हो सकता है। जो बच्चे मोटे हैं, आनुवंशिक विकार हैं, रक्तचाप है, या हृदय रोग हैं, उन्हें सबसे पहले वैक्सीन लगवाने का मौका दिया जाना चाहिए।

यह हर माता-पिता की जिम्मेदारी है कि वह वैक्सीन आने पर अपने बच्चे का टीकाकरण करवाएं। साथ ही, बच्चों को चाहिए अपने माता-पिता को भी टीका लगवाने के लिए प्रोत्साहित करें। अगर भारत को कोरोना वायरस से जीतना है, तो ऐसा ही करना होगा।

3. क्या बच्चों में वयस्कों से अलग लक्षण दिखते हैं? बच्चे में अगर लक्षण दिख रहे हैं, तो क्या करना चाहिए?

बुख़ार, ज़ुकाम और खांसी, सीने में दर्द, दस्त आदि जैसे कोविड के लक्षण बच्चों में भी दिखते हैं। बच्चों में एक विशेष बीमारी को MIS

- मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम कहा जाता है। यह बीमारी कोविड से रिकवरी के 2-6 हफ्तों में उभर सकती है। इसके लक्षणों में बुख़ार, शरीर पर चकत्ते, बेचैनी, दिल की धड़कने रुकना और सांस से जुड़ी तकलीफें हो सकती हैं। इसलिए अगर किसी घर में बच्चा या फिर परिवार का कोई अन्य सदस्य कोविड से रिकवर हुआ है, तो ज़रूरी एहतियात बरतने चाहिए। अगर बच्चे में MIS जैसे लक्षण दिखें, तो फौरन डॉक्टर से संपर्क करें।

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