Jagran Dialogues: एक्सपर्ट से जानें, कोरोना डबल म्यूटेंट वेरिएंट वायरस क्या है और क्यों वैक्सीन के दो शॉट जरूरी हैं?

Jagran Dialogues विशेषज्ञों की मानें तो कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन के चलते संक्रमितों की संख्या में बड़ी तेजी से बढ़ोत्तरी हो रही है। कोरोना के नए स्ट्रेन पहले की तुलना में अधिक खतरनाक हैं। इससे बचाव के लिए N-95 मास्क पहनें और सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखें।

By Umanath SinghEdited By: Publish:Thu, 06 May 2021 01:01 PM (IST) Updated:Mon, 17 May 2021 03:25 PM (IST)
Jagran Dialogues: एक्सपर्ट से जानें, कोरोना डबल म्यूटेंट वेरिएंट वायरस क्या है और क्यों वैक्सीन के दो शॉट जरूरी हैं?
कोरोना वायरस से बचाव के लिए N-95 मास्क पहनें और सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखें।

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Jagran Dialogues: कोरोना वायरस की दूसरी लहर के चलते संक्रमितों की संख्या में रोजाना इजाफा हो रहा है। इस वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए देश के कई राज्यों में पूर्ण लॉकडाउन और कई राज्यों में नाईट कर्फ्यू लगाया गया है। वहीं, संकट की इस घड़ी में अस्पतालों में कोरोना के मरीजों का इलाज युद्धस्तर पर जारी है। विशेषज्ञों की मानें तो कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन के चलते संक्रमितों की संख्या में बड़ी तेजी से बढ़ोत्तरी हो रही है। कोरोना के नए स्ट्रेन पहले की तुलना में अधिक खतरनाक हैं।

इससे बचाव के लिए N-95 मास्क पहनें और सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखें। अनावश्यक घर से बाहर न निकलें और अपनी बारी आने पर कोरोना वायरस का टीका जरूर लगवाएं। हालांकि, कोरोना वैक्सीन को लेकर लोगों के मन में कई तरह के सवाल हैं। इन सवालों को लेकर जागरण न्यू मीडिया के सीनियर एडिटर Pratyush Ranjan ने 'जागरण डायलॉग्ज़' पर डॉक्टर नरेंद्र के अरोड़ा (वर्तमान में डॉक्टर नरेंद्र अरोड़ा भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के संचालन अनुसंधान समूह के अध्यक्ष हैं) से बातचीत की। डॉक्टर नरेंद्र अरोड़ा ने नए स्ट्रेन और टीका समेत कोरोना वायरस के सभी सवालों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। आइए जानते हैं-

सवाल: कोविड -19 वायरस के शरीर के अंदर कैसे प्रवेश करता है। इसके बारे में बताइए?

जवाब:  कोविड-19 वायरस फेफड़ों के जरिए शरीर को संक्रमित करता है। यह सर्दी-जुखाम, निमोनिया, इंफ्यूइंजा के वायरस की तरह ही शरीर में प्रवेश करता है। जब हम एक-दूसरे से बातचीत करते हैं या फिर हमारे आसपास कोविड-19 मरीज मौजूद होते हैं, तो वायरस के फैलने का खतरा बढ़ जाता है। यही कारण है कि लोगों को मास्क लगाने की सलाह दी जाती है। साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने का निर्देश दिया जाता है।  

सवाल: कोविड-19 के लिए वैक्सीनेशन कितना और क्यों जरूरी है?

जवाब: वैक्सीनेशन वायरस या वैक्टीरिया के खिलाफ लड़ाई में शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता पैदा करने में मदद करती हैं। हम 3 से 4 वजह से टीकाकरण करते हैं। पहली शरीर में कोई गंभीर बीमारी ना हो, दूसरी असमय मौत ना हो और तीसरा दूसरे व्यक्ति को संक्रमित ना करूं। इसका चौथा कारण शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करना है। अभी तक की वैक्सीन गंभीर बीमारी की संभावना को कम देते हैं। असमय मृत्यु को कम कर देते हैं। हालांकि एक दूसरे से संक्रमण रोकने में कोई भी टीका सक्षम नहीं है। भारत में उपलब्ध टीके ही संक्रमण रोकने में 30 से 40 फीसद सक्षम हैं। 

सवाल: भारत में दो वैक्सीन कोविडशील्ड और कोवैक्सीन उपलब्ध हैं। क्या इन दोनों वैक्सीन का प्रोसेस क्या होता है और दोनों वैक्सीन के दोनों शॉट्स क्यों लगाए जाने चाहिए? 

जवाब: दुनिया में यह शायद पहली बीमारी हैं,  जिसके कई सारे टीके मौजूद हैं। कोविडशील्ड में चिंपमैंजी का एक वायरस है, जिसे मार दिया जाता है। इस वायरस में कोविड-19 के गुण को डाल दिया जाता हैं, जिससे कोविड-19 फैलता है। फिर इसे हमारे शरीर में इंजेक्ट किया जाता है, जो शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करता है। दूसरा कोविड-19 के वायरस को निष्क्रिय बना दिया जाता है। इसका इस्तेमाल कोवैक्सीन में किया गया है। यह शरीर को हानि नहीं पहुंचाता है। लेकिन इस वैक्सीन में ऐसे गुण मौजूद होते हैं, जो शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का काम करते हैं। दोनों वैक्सीन के बनाने का तरीका अलग है। दोनों की रोग प्रतिरोधक क्षमता पैदा करने का मैक्निजम अलग है। NovaVax वैक्सीन आ रही है, जिसका एक ही टीका लगाया जाएगा। भारत की DNA वैक्सीन के तीन टीके लगाने पड़ रहे हैं। ऐसे में हम प्लेटफॉर्म के हिसाब से डोजेड की संख्या तय की जाती है। 

सवाल: अगर पहला वैक्सीन कोवैक्शीन लिया है, तो क्या दूसरा टीका वैविडशील्ड का लगा सकते हैं?

जवाब:  पहला टीका जिस कंपनी का लगाया जाएं, दूसरा टीका भी उसी कंपनी का लगाना चाहिए। वैज्ञानिक इस मामले में शोध कर रहे हैं. लेकिन फिलहाल अभी अगर पहला टीका कोवैक्सीन का लगवा रहे हैं, दूसरा टीका भी कोवैक्सीन का लगवाएं। 

सवाल: वैक्सीनेशन से हमारे में कौन से बदलाव होते हैं, जिसे हम कोविड-19 से शुरक्षित रह सकते हैं?

जवाब: ऐसा समझिए, एक बड़ा परिवार है, जिसमें कई सारे लोग मौजूद है, जिसमें एक दबंग पहुंच जाता है, तो परिवार को परेशान करने का काम करता है। ऐसे में जब हम वैक्सीन इंजेक्ट करते हैं, तो शरीर के अंदर एक मैसेज जाता है कि शरीर में कोई दबंग घुस आया है। ऐसे में शरीर प्राइमरी तौर पर एंटी बॉडी प्रड्यूस करता है। प्रोटीन के छोटे-छोटे टुकड़े होते हैं, जो वायरस और बैक्टीरिया को रोकने का काम करता है। साथ ही शरीर में कुछ अन्य सेल्स जैसे व्हाइट सेल होते हैं। इसमें से एक एंटी बॉडी प्रड्यूस करता है। दूसरा मेमोरी बनाकर रखता है, जब दूसरी बार ऐसे वायरस आता हैं, तो वो उसके खिलाफ लडने में मदद करता है। साधारण शब्दों में कहें, तो एक कमांडो और एक पुलिसमैन का काम करता है। 

सवाल: कोविड-19 का डबल म्यूटेंट है। क्या यह वायरस फैलने के सामान्य प्रक्रिया है। यह डबल म्यूटेंट ज्यादा खतरनाक है? 

जवाब:  वायरस समय-समय पर अपना स्वरूप बदलता रहता हैं, जिसे म्यूटेशन कहते हैं, जिससे शरीर वायरस को पहचान ना सके। RNA बेस्ड वायरस 10-15 बाद म्यूटेट करता रहता है। पिछली बार सार्स आया था और 2 से 3 माह में खत्म हो गया था, क्योंकि वो खुद को म्यूटेट नहीं कर पाया। लेकिन कोविड-19 खुद को म्यूटेट कर रहा है। पहले वायरस का म्यूटेशन ब्रिटेन फिर ब्राजील और साउथ अफ्रीका में हुआ। जहां म्यूटेशन होता है, उसके हिसाब से उसका नाम रखा जाता है। भारत में पाए गए म्यूटेशन को B1-617 भी कहते हैं। यह म्यूटेंट ज्यादा खतरनाक है। पहली अप्रैल को 1 लाख केस हैं और 29 अप्रैल को 3 लाख 84 हजार केस हो गये हैं। यह काफी तेजी से फैल रहा है। यह जिस परिवार में एक बार फैल जाता है, उसके सभी सदस्य को संक्रमित करता है। 

सवाल: ट्रिपल म्यूटेंट के बारे में सुना जा रहा है। इसे बारे में क्या कहेंगे? 

जवाब:  यह B1.618 म्यूटेंट है। लेकिन यह B1-617 के मुकबले कमजोर है। इसे सबसे पहले कोलकाता में देखा गया है। ऐसे B1-618 ज्यादा खतरनाक है। 

सवाल: देश में करीब 14 करोड़ लोगों का वैक्सीनेशन हुआ है। क्या कोविडशील्ड और कोवैक्शीन दोनों एक समान कोविड-19 के डबल म्यूटेंट से लड़ने में सक्षम है?

जवाब: अमेरिकन न्यूज में बताया गया कि कोविडशील्ड और को-वैक्शीन डबल म्यूटेंट के खिलाफ लडने में सक्षम है। वैक्शीन शरीर में वायरस के खिलाफ लडने में एक दीवार पैदा करता है। यह दोनों वैक्शीन अच्छी खासी दीवार बनाते हैं। इससे वायरस कम नुकसान पहुंचाता है। 

सवाल: क्या वायरस समय के साथ वैक्सीन के खिलाफ में सक्षम हो जाता है। अगर हां, तो क्या हमें भविष्य में वैक्सीनेशन की तीसरी डोज लगानी बढ़ सकती है?    

जवाब:  समय के साथ संभव है कि वायरस के खिलाफ वैक्सीन प्रभावी ना रह जाएं। ऐसे में संभव है कि वैक्सीन की तीसरी डोज लगानी पड़ सकती है। साथ ही वैक्सीन में भी मॉडिफिकेशन किया जा सकता है। वायरस के कुछ हिस्से अपना रूप नहीं बदल पाते हैं। ऐसे में वायरस को खत्म किया जा सकता है। 

सवाल: एक्सपर्ट की मानें, तो वैक्सीन लेने के बाद हमारे शरीर के टीसेस 2 से 4 साल तक वायरस को याद रखते हैं, अगर दोबारा वायरस का हमला होता है, तुरंत शरीर के टीसेस वायरस के खिलाफ लडने लगते हैं। 

जवाब:  हमारे शरीर में दो V और T सेल्स होते हैं। V सेल्ड एंटीबॉडी प्रड्यूस करते हैं। वहीं T सेल्ड मेमोरी सेल्स होते हैं, जो 2 से 3 साल बाद वायरस को पहचान सकते हैं और शरीर को वायरस के खिलाफ लड़ने में मदद करते हैं। 

सवाल: वैक्सीन की प्रभावोत्पादकता (Efficacy) क्या है और इसे कैसे तय किया जाता है? 

जवाब:  प्रभावोत्पादकता का मतलब है कि कितनी प्रभावी है। हमारी कोवैक्शीन की प्रभावोत्पादकता  75 से 80 फीसदी है। वहीं कोविडशील्ड की 70 से 80 फीसदी है। वैक्सीन के टेस्ट के दौरान संक्रमण नहीं, बल्कि कोवडि के लक्षण पैदा होंगे या नहीं। मतलब मैं अगर 100 व्यक्तियों को टीका देता हूं, तो 70 फीसदी लक्षण वाले कोविड नहीं पैदा नहीं होंगे। लेकिन 30 फीसदी कर सकता है। वैक्सीन हमें लक्षण यानी बीमारी से बचाती है। साथ ही वैक्सीन गंभीर बीमारी और मृत्यु से 95 फीसदी तक बचाती हैं। 

सवाल: कोविड संक्रमण के बाद डबल म्यूटेंट से संक्रमण होने की संभावना है। साथ ही क्या टीका लगाना चाहिए ?

जवाब: जिन्हें एक बार कोविड-19 संक्रमण हो चुका है, उसको दोबारा संक्रमण होने की संभावना काफी कम होती है। लेकिन अगर आपके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है, तो दोबारा कोविड-19 संक्रमण हो सकता है। साथ ही संक्रमण हो चुके व्यक्ति को टीका जरूर लगना चाहिए।  

सवाल: कुछ लोगों ने वैक्सीन के दोनों डोज लगा लिये हैं। उसके 7 दिन बाद कोविड-19 संक्रमण हो गया है? इसके बारे में क्या कहेंगे?

जवाब: मुझे वैक्सीन के दोनों डोज लगे करीब 2 माह हो गये हैं। लेकिन इसके बावजूद मुझे कोरोना हो गया। हालांकि कोरोना संक्रमण बहुत हल्का था। मेरी उम्र में खतरे की संभावना ज्यादा रहती है। लेकिन सच्चाई यह है कि मैं कोरोना मरीज का इलाज करता हूं। ऐसे में मुझे हल्का संक्रमण होने की संभावना रहती है। लेकिन आम लोगों को वैक्सीन के दोनों डोज लगाने के बाद संक्रमण होने का खतरा बहुत ही कम होता है। 

सवाल: अगर कोई व्यक्ति किसी बीमारी से ग्रस्त है, तो क्या वैक्सीनेशन के एक दो दिन बाद दवा दोबारा शुरू कर देना चाहिए? 

जवाब: अगर वैक्सीन का पहला टीका लिया, और इसके बाद कोरोना संक्रमण हो गया हैं, तो संक्रमण के ठीक होने तक इंतजार करना चाहिए। इसके 4 हफ्ते के बाद वैक्सीन की दूसरी डोज लेनी चाहिए। अगर पहले टीके और दूसरे टीके के बीच का अंतराल बढ़ भी जाएं, तो कोई फर्क नहीं पड़ता है। अगर आप या किसी अन्य बीमारी की दवा ले रहे हैं, तो वैक्सीन लगाने के लिए कोई दवा बंद करने की जरूरत नहीं है। लेकिन वैक्सीन लगवाने से पहले टीका लगाने वाली नर्स या डॉक्टर को इसकी जानकारी देनी चाहिए। ब्लड थिंनर को कोई दिक्कत नहीं होती है। हालांकि अपने डॉक्टर से जररू इस बारे में सलाह ले लें। 

सवाल: हर कोई कोविड-19 से बचने के तरीके बता रहे हैं? बिना लक्षण लिये लोगो कोविड-19 की दवा खा रहे हैं? इस बारे में क्या कहेंगे? 

जवाब: बेहतर है कि जब आप पॉजिटिव हो जाएं, या फिर कोविड-19 के लक्षण दिखें, तो डॉक्टर की सलाह से दवा लें। बिना ज्यादा कुछ बदलाव किये लोगों को संतुलित आहार लेना चाहिए। 

सवाल: क्या वैक्सीन लगवाने के तुरंत बाद शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। अगर ऐसा है, तो क्यों?

जवाब: मौजूद वक्त में हर तीन में से 1 या 1.5 लोगो पॉजिटिव होते हैं। मतलब करीब 33 फीसदी लोग पॉजिटिव होते हैं। दरअसल होता ये है कि अगर आप सभी लोगों का टेस्ट करेंगे, तो देखेंगे कि वो पॉजिटिव हैं, लेकिन कोविड-19 के लक्षण नहीं दिखते हैं। ऐसे लोग वैक्सीन लगवा लेते हैं, जिसके 3 से 4 दिन बाद उन्हें कोरोना हो जाता है तो इसका कारण वैक्सीन नहीं है। ऐसे में वैक्सीन लगवाने के तुरंत बाद शरीर की रोग प्रतिरोधन क्षमता कम होने की खबर गलत है। 

सवाल: कोविड-19 के डबल म्यूटेंट से शरीर में ऑक्सीजन की कमी देखी जा रही है और ऐसा क्यों होता है?

जवाब: कोविड-19 हमारे शरीर में सांस लेने तंत्र के जरिए प्रवेश करता है। ऐसे में सबसे पहले सांस लेने के तंत्र को डैमेज करता है। यही वजह है कि कोविड-19 हमारे फेफड़ों को सबे पहले संक्रमित करता है। ऐसे में संक्रमण बढ़ने पर शरीर में ऑक्सीन लेवल कम हो जाता है। अगर ऑक्सीजन लेवल की बात करें, तो 94 से नीचे ऑक्सीजन लेवल आने लगें, तो यह चिंता की बात है। बता दें कि रात में सोते समय ऑक्सीजन लेवल कम हो जाता है। 

सवाल: कोविड-19 के डबल म्यूटेंट में बिना कोई लक्षण दिखे अचानक ऑक्सीजन लेवल कम हो जाता है। इस बारे में क्या कहेंगे? 

जवाब: कुछ मामलों में अचानक ऑक्सीजन लेवल कम हो जाता है। ऐसे में लोगों को तुरंत अस्पताल ले जाना चाहिए। 

सवाल: क्या लोगों को वैक्सीन ब्रांड चुनने का मौका मिलेगा?

जवाब: अगर ऐसा होगा, तो भारतीयों को वैक्सीन ब्रांड चुनने का मौका सबसे ज्यादा मिलेगा, क्योंकि इस साल के अंत तक वैक्सीन के 4 से 5 ब्रांड आ सकते हैं। लेकिन कई कारणों की वजह से लोगों को वैक्सीन ब्रांड चुनने की छूट मिलने की संभावना कम है। मेरे मुताबिक सभी वैक्सीन समान हैं। ऐसे में वैक्सीन ब्रांड चुनने के पीछे नहीं भागना चाहिए। 

सवाल: रोग प्रतिरोधक क्षमता को अचानक से नहीं बढ़ाया जा सकता है। लेकिन रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने के लिए क्या करना चाहिए?

जवाब: लोगों को पॉजिटिविटी के साथ मौसमी सब्जियां और फल खाने चाहिए। साथ ही रोजाना तौर पर व्यायाम करना चाहिए। 

सवाल: सोशल मीडिया पर कई सारी फर्जी न्यूज मौजूद हैं। इससे कैसे बचना चाहिए। 

जवाब: हम सभी लोग सोशल मीडिया से जुड़े हैं। लेकिन बिना सोचे समझे सोशल मीडिया पर किसी पोस्ट को फॉरवर्ड नहीं करना चाहिए। हमेशा डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए, उसके बाद ही ऐसी सूचनाओं को फॉरवर्ड करना चाहिए। 

यहां देखें पूरा इंटरव्यू-

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