Jagran Dialogues: 'आयुर्वेद और योग लाइफ साइंस है, बीमारियों का इलाज नहीं, कोरोना के दौरान ये है बहुत महत्वपूर्ण'

Jagran Dialogues के लेटेस्ट एपिसोड में जागरण न्यू मीडिया के Executive Editor Pratyush Ranjan ने कोरोना के दौरान और उसके बाद स्वास्थ्य समस्याओं में आयुर्वेद और योग से कैसे मिलेगी मदद? इसी मुद्दे पर आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज वडोदरा (गुजरात) के द्रव्यगुण विभाग के प्रोफेसर Dr. Kamlesh Bhogayata से बातचीत की।

By Pravin KumarEdited By: Publish:Mon, 06 Sep 2021 10:11 PM (IST) Updated:Mon, 06 Sep 2021 10:16 PM (IST)
Jagran Dialogues: 'आयुर्वेद और योग लाइफ साइंस है, बीमारियों का इलाज नहीं, कोरोना के दौरान ये है बहुत महत्वपूर्ण'
प्राकृतिक इम्यूनिटी आनुवांशिकी है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती रहती है।

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Jagran Dialogues: कोरोना महामारी से आम जनजीवन पर व्यापक असर पड़ा है। लोगों की जीवनशैली में बदलाव देखने को मिल रहा है। लोग सेहत को लेकर पहले से अधिक जागरुक हैं। इस वायरस से बचाव के लिए मास्क, शारीरिक दूरी और साफ-सफाई प्रमुख हथियार हैं। साथ ही इम्यून सिस्टम का मजबूत रहना अनिवार्य है। डॉक्टर्स बदलते मौसम में सेहतमंद रहने के लिए इम्यून सिस्टम मजबूत करने की सलाह देते हैं। इससे कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा भी कम हो जाता है। इसके लिए डाइट में विटामिन-सी युक्त फलों और सब्जियों को जरूर शामिल करें और रोजाना काढ़ा का सेवन करें। वहीं, रोजाना योग और एक्सरसाइज जरूर करें, पर्याप्त नींद लें, सही दिनचर्या का पालन करें और तनाव से दूर रहें। इन नियमों का पालन करने से इम्युनिटी मजबूत होती है। आयुर्वेद में रोगों से बचाव और सेहतमंद रहने के लिए विस्तार से जानकारी दी गई है। खासकर इम्युनिटी बढ़ाने के सही तरीके बताए गए हैं। कोरोना महामारी के दौरान ऐसा देखा गया कि इम्युनिटी बढ़ाने के लिए लोगों ने कच्चे लहसुन, आंवला, अदरक, गिलोय आदि चीजों का अत्यधिक मात्रा में सेवन किया। इससे उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर भी पड़ा। इसके लिए लोगों के मन में आयुर्वेद और योग को लेकर कई प्रकार के सवाल हैं।

Jagran Dialogues के लेटेस्ट एपिसोड में जागरण न्यू मीडिया के Executive Editor Pratyush Ranjan ने "कोरोना के दौरान और उसके बाद स्वास्थ्य समस्याओं में आयुर्वेद और योग से कैसे मिलेगी मदद? "इसी मुद्दे पर सरकारी आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज, वडोदरा (गुजरात) के द्रव्यगुण विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर Dr. Kamlesh Bhogayata से बातचीत की। बता दें कि Jagran Dialogues की Covid-19 से जुड़ी सीरीज का आयोजन स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के साथ मिलकर किया जा रहा है। आइए, इस वर्चुअल वार्ता को विस्तार से जानते हैं-

1. सवाल:-- कोरोना महामारी के दौर में आयुर्वेद और योग की भूमिका क्यों बढ़ जाती है, क्यों ये हमारे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक बन गए हैं -

जवाब:- Dr. Kamlesh Bhogayata ने आभार प्रकट करते हुए कहा कि आपका सवाल बहुत ही महत्वपूर्ण है। लेकिन इस सवाल का सीधा जवाब देने से पहले दो ऐसे तथ्य हैं, जिनके बारे में बताना चाहूंगा।

1. कोरोना वायरस आयुर्वेद के अनुसार क्या है?

2. आयुर्वेद क्या है ?

इन दोनों तथ्यों को जानने के बाद ही यह समझ पाएंगे कि आयुर्वेद कोविड-19 में कैसे मददगार है?

जब से पृथ्वी की उत्पत्ति हुई है। उस समय से जीव-जंतु और वायरस पृथ्वी पर हमारे साथ ही हैं। वहीं, जब पृथ्वी पर प्रलय होगा और जीवन समाप्त होगा। तब तक यह हमारे साथ रहेंगे। पहले इन सभी बैक्टीरिया को जंतु कहा जाता था, लेकिन आजकल उनको वायरस और प्रोटोजोआ यह सब कहा जाता है। अतः हम इस वायरस से हमेशा नहीं बच सकते हैं। हमें इनके साथ जीने की आदत डालनी होगी। एक वायरस के लिए एक दवाई यह अंतिम समाधान नहीं है। इसके लिए सबसे साधारण उपाय यह है कि हम अपनी इम्युनिटी को बढ़ाएं। आइए अब जानते हैं कि आयुर्वेद क्या है-

ज्यादातर लोगों का यह मानना है कि आयुर्वेद रोगों की ट्रीटमेंट है। हालांकि, ऐसा सोचना बिल्कुल गलत है।

आयुर्वेद के दो मुख्य रूप हैं।

1. जो स्वस्थ हैं, उनके स्वास्थ्य को बनाए रखना है।

2. रोगी का इलाज इलाज करना है।

आयुर्वेद लाइफ साइंस है। आयुर्वेद हमें अपने आहार विहार से कैसे स्वस्थ रह सकते हैं, वह समझाता है। आसान शब्दों में कहें तो आयुर्वेद हमारी लाइफस्टाइल को सेट करती है। अंत में आता है ऋतूचर्या-

आपने पहली और दूसरी लहर में नोटिस किया होगा कि कोरोना के सबसे ज्यादा मामले फरवरी-मार्च और अप्रैल के महीने में मिले हैं। यह समय ऋतु परिवर्तन का होता है, जिसे ऋतु संधि कहते हैं। इन महीनों में ठंडी कम हो रही थी और गर्मी बढ़ रही थी। ऐसे समय में शरीर की इम्युनिटी बेहद ही कमजोरी होती है और वायरस और बैक्टीरिया सक्रिय हो जाता है। इसी कारण से दोनों लहरों में ज्यादा मामले आए हैं।

आयुर्वेद से कैसे कोरोना का समाधान है

इसके लिए यह समझना होगा कि सूर्य पृथ्वी और चंद्रमा तीनों की गति और स्थिति स्वास्थ्य के लिए बेहद ही महत्वपूर्ण है। अत: मौसम का ध्यान रखकर डाइट प्लान करना चाहिए। कई लोग यह सवाल उठाते हैं कि आयुर्वेद में कोविड-19 के लिए कोई रेफरेंस नहीं है, तो हम कैसे मानें कि आयुर्वेद और योग में कोरोना की ट्रीटमेंट है।

इस बारे में मेरा यह कहना है कि किसी भी बीमारी का नाम भाषा पर निर्भर करता है, जिस समय में आयुर्वेद ग्रंथ की रचना की गई है। उस समय शब्दावली दूसरी थी। आयुर्वेद के प्रधान ग्रंथ चरक संहिता में स्पष्ट कहा गया है कि जब किसी रोग का आप नाम न दे पाएं। तब आप व्यक्ति के शरीर में उत्पन्न लक्षणों और दोषों को देखकर  उपचार करें। आयुष मंत्रालय ने भी जो प्रोटोकोल बनाया है। उनमें इन चीजों का ध्यान रखा गया है।

कोरोना में कफ और वायु के लक्षण ज्यादा मिल रहे थे। इसके लिए आयुर्वेद में कफ और वायु के हिसाब से उपचार किया गया। इसमें आयुर्वेद को काफी सफलता मिली है। सफलता का अनुपात 95 से लेकर 57 फ़ीसदी तक रहा है।

2. सवाल:-- कोरोना के समय में हर व्यक्ति अपने इम्युनिटी की चिंता में है और इम्युनिटी बढ़ाने के उपायों में लग गया है। हमारा अगला सवाल इम्युनिटी को लेकर ही है। हम आपसे जानना चाहते हैं कि आयुर्वेद और योग की मदद से अपनी इम्युनिटी को कैसे मजबूत कर सकते हैं-

जवाब:- इस सवाल पर डॉक्टर कमलेश ने कहा-आपका सवाल बहुत ही अर्थपूर्ण है। इससे पहले भी कई नई-नई बीमारियां आ चुकी हैं और आने वाले समय में भी कई नई-नई बीमारियां आएंगी। बीमारियों से बचने के लिए इम्यूनिटी का मजबूत रहना बेहद जरूरी है। इम्यूनिटी बढ़ाकर रोग से ग्रसित लोगों को बचाया जा सकता है। इम्यूनिटी दो प्रकार की होती है।

1.प्राकृतिक इम्यूनिटी

2.अर्जित इम्यूनिटी

-प्राकृतिक इम्यूनिटी आनुवांशिकी है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती रहती है। यह इम्यूनिटी हमारे नाना, दादा-दादी की डीएनए से आती है।

-अर्जित इम्यूनिटी को बढ़ाया जा सकता है। हालांकि, इम्यूनिटी को रातों-रात नहीं बढ़ाया जा सकता है। इसके लिए व्यक्ति को बेहद ही एक्टिव रहना पड़ता है। कब सोना है, कब उठना है कब खाना है- इन सभी चीजों का खास ध्यान रखना पड़ता है। साथ ही शरीर की क्षमता को भी समझना बहुत ही जरूरी है। आसान शब्दों में कहें तो शरीर को जो भी सही लगता है। उन चीजों को फॉलो करने से हम अपनी इम्यूनिटी को बढ़ा सकते हैं।

दूसरी चीज है आहर

आयुर्वेद की मानें तो संतुलित आहार लेना बहुत ही जरूरी है। हालांकि, इससे भी महत्वपूर्ण यह है कि उस आहार को आप पचा सकते हैं कि नहीं। अगर शारीरिक क्षमता के साथ तालमेल बना लेते हैं, तो आसानी से इम्यूनिटी को बढ़ाया जा सकता है।

इसके अलावा, सही दिनचर्या का पालन भी जरूरी है। सूरज उगने से पहले जग जाएं, दोपहर में बिल्कुल न सोएं और संध्याकाल में सूर्यास्त के बाद जल्द से जल्द रात का भोजन कर लें। इन नियमों का पालन करने से इम्युनिटी बहुत जल्दी मजबूत हो जाती है। रोजाना साउंड या डीप स्लीप जरूर लें। साउंड या डीप स्लीप का मलतब है कि शरीर के सभी अंगों को कंप्लीट रेस्ट देना है। अंत में बात तनाव की आती है। आजकल की लाइफस्टाइल में तनाव जीवन का अहम हिस्सा बन गया है। इसके लिए रोजाना योग और ध्यान जरूर करें।

3. सवाल:--इम्युनिटी बढ़ाने के लिए कई लोगों ने अंधाधुंध दवाइयों का, कच्चे लहसुन, आंवला, अदरक, गिलोय का सेवन शुरू कर दिया और इससे उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर भी पड़ा। इस पर आप क्या कहना चाहेंगे-

जवाब:- डॉक्टर कमलेश ने कहा- आयुर्वेद अपनी जगह पर बिल्कुल ही गलत नहीं है। आयुर्वेद में मौलिक सिद्धांत प्रकृति है, जो तीन प्रकार की होती हैं। इन सिद्धांतों को बिना समझें-इम्युनिटी बढ़ाने के लिए उनके उपाय करने से सेहत पर अनुकूल और प्रतिकूल दोनों प्रभाव पड़ सकता है। आसान शब्दों में कहें तो हर एक व्यक्ति की शारीरिक संरचना भिन्न-भिन्न है। उनका जीवन-यापन भी अलग-अलग है। उसी प्रकार से उन पर दवाइयों का भी असर होता है। अगर कोई व्यक्ति लंबे समय तक गर्म काढ़ा पीता है, तो उससे उसको फायदा नहीं, बल्कि नुकसान होगा। इसके लिए जरूरी है कि शारीरिक संरचना के अनुसार से यह जानना जरूरी है कि कितनी मात्रा में और कितने दिनों तक आयुर्वेदिक दवाइयों का सेवन करना है। इसके लिए उत्तम उपाय यह है कि आसपास के वैद्य से सलाह लेकर आयुर्वेदिक चीजों का सेवन करें।

4. सवाल:-- ऐसा कहा गया है कि महामारी से निपटने के लिए आयुर्वेद और योग के पास मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक समस्यायों से मुकाबला करने का समाधान भी है। आयुर्वेद को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (Ministry Of Health And Family Welfare) और आयुष मंत्रालय के संयुक्त रूप से शुरू किए गए राष्ट्रीय उपचार प्रोटोकॉल में शामिल किया गया है। इसका क्या मतलब है और ये कैसे आम लोगों के लिए फायदेमंद हैं-

जवाब:- इस बारे में डॉक्टर कमलेश ने कहा कि-हमने कोरोना की दोनों लहरों में देखा है कि जो लोग कोरोना वायरस से डर गए थे। उनमें ज्यादा लक्षण नहीं होने के बावजूद उनके शरीर पर बेहद प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। कुछ लोगों की मौत भी हुई है। इसका सीधा अर्थ यह है कि हमारा मनोभावनात्मक व्यवहार बहुत ही महत्वपूर्ण है। आयुर्वेद के आचार रसायन में कहा गया है, जो अष्टांग योग में भी है। आचार रसायन में बताया गया है कि सब रोगों के साथ हम कैसे जी सकते हैं और हमें अपने मनोभावों में किस तरह से बदलाव करने हैं। आयुर्वेद में भी अष्टांग योग के पहले दो यम और नियम सिद्धांतों पर चलने की सीख दी गई है। ये सभी मनोभावनात्मक चीजें हमारी इम्युनिटी से सीधी जुड़ी है। आयुर्वेद में यह कहा गया है कि आपके शरीर में वायु, पित्त और कफ संतुलित रहना चाहिए। अग्नि और 7 धातुएं एकदम सम हो। अंत में यह है कि आत्मा, मन और इन्द्रियां प्रसन्न रहें, तो ही हम प्रसन्न कहलाएंगे।

5. सवाल:--अब बात करते हैं योग की, हमने पिछले कई वर्षों में देखा है कि खुद प्रधानमंत्री ने योग पर एक विशेष ध्यान दिया है। हम हमारे दर्शकों के लिए आपसे जानना चाहते हैं कि क्यों योग का हमारे जीवन में कैसे एक महत्वपूर्ण स्थान होनी चाहिए-

जवाब:- इस सवाल के जवाब में डॉक्टर ने कहा कि-ज्यादातर लोग योग को शारीरिक श्रम मानते हैं, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है। स्वस्थ रहने का तात्पर्य यह है कि शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और आध्यात्मिक ये सभी हमारे साथ सम्मलित होते हैं। तभी हम सही मायने में स्वस्थ होते हैं। योग का मुख्य उद्देश्य शरीर के माध्यम से हमारे मन को, हमारे सामाजिक व्यवसाय को, हमारे अंदर व्याप्त आध्यात्मिक मूल्यों को जागरुक करना है। योग हमें प्रकृति के साथ जोड़ने की कोशिश करते हैं। इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें दवा का सेवन नहीं करना होता है। इसे करने से शरीर में ऊर्जा का संचार होता है। वहीं, भिन्न-भिन्न आसनों को करने से शरीर के सभी अंगों में ऊर्जा का संचार सुचारू रूप से होता है। इसके लिए योग को अपने जीवन का हिस्सा जरूर बनाएं। इससे डायबिटीज, ब्लड प्रेशर समेत कोरोना के मामलों में फायदा मिलता है।

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