गंभीर कोरोना रोगियों का इलाज अब 'अल्जूमैब' दवा से होगा, सरकार ने दी मंजूरी
DCGI ने COVID-19 के मध्यम से गंभीर रोगियों के लिए अल्जूमैब (Itolizumab) के सीमित आपातकालीन उपयोग को मंजूरी दे दी है।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। देश में कोरोनावायरस के थमने के फिलहाल कोई आसार नज़र नहीं आ रहे है। दुनियाभर के देशों से तुलना की जाए तो भारत में अकेले 12 फीसदी कोरोना के मामले मौजूद हैं। भारत तीसरा सबसे अधिक कोरोना प्रभावित देश है। कोरोना संक्रमण के इस दौर में ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने COVID-19 के मध्यम से गंभीर रोगियों के लिए 'अल्जूमैब' (Itolizumab) के सीमित आपातकालीन उपयोग को मंजूरी दे दी है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक 'अल्जूमैब' (आरडीएनए मूल) एक मोनोक्लोनल एंटीबॉडी है जिसे पहले से ही पुरानी प्लेक सोरायसिस में उपयोग के लिए मंजूरी मिली हुई है। अब डीसीजीआई (DCGI) ने क्लीनिकल ट्रायल डेटा के आधार पर इस 'अल्जूमैब' के सीमित आपातकालीन उपयोग के लिए मंजूरी दी है।
क्या है 'अल्जूमैब' ?
मेसर्स बायोकॉन 2013 से 'अल्जूमैब' ब्रांड नाम से मध्यम से गंभीर पुरानी प्लेक सोरायसिस के रोगियों के उपचार के लिए इस दवा का निर्माण और विपणन कर रही है। इस स्वदेशी दवा को अब कोविड-19 के लिए पुनर्निर्मित किया गया है।
मेसर्स बायोकॉन ने कोविड-19 के रोगियों में उत्पन्न द्वितीय चरण क्लीनिकल ट्रायल के परिणाम डीसीजीआई के समक्ष प्रस्तुत किए हैं। इन परीक्षणों के परिणामों पर डीसीजीआई के कार्यालय की विषय विशेषज्ञ समिति में विवेचन किया गया। इस स्वदेशी दवा यानी इटोलिज़ुमाब के साथ उपचार की औसत लागत उन तुलनीय दवाओं की तुलना में कम है जो स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के कोविड-19 के लिए क्लीनिकल मैनेजमेंट प्रोटोकॉल में संकेतित ‘जांच चिकित्सा’ का हिस्सा हैं।
गंभीर मरीजों को दे सकता है जीवनदान-
विस्तृत विचार-विमर्श के बाद और समिति की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए डीसीजीआई ने कोविड-19 की वजह से मध्यम से गंभीर तीव्र श्वसन पीड़ा लक्षण (एआरडीएस) वाले रोगियों में साइटोकिन रिलीज सिंड्रोम (सीआरएस) के उपचार के लिए कुछ शर्तों जैसे रोगियों की सूचित सहमति, एक जोखिम प्रबंधन योजना, केवल अस्पताल में उपयोग किया जाना आदि, के अधीन दवा के सीमित आपातकालीन उपयोग के तहत दवा का विपणन करने की अनुमति देने का फैसला किया है।
Written By Shahina Noor