Harmful Dish-Washing Soap: कहीं डिशवॉशिंग सोप तो नहीं आपकी बिगड़ती सेहत का कारण?
Harmful Dish-Washing Soap भले ही बर्तन धोने का तरीके में कुछ बदलाव आ गया हो लेकिन आपको ये जानकर हैरानी होगी कि शरीर में इसके नुकसान में कोई बदलाव नहीं आया है।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Harmful Dish Washing Soap: हर किचन की कहानी बर्तन धोने के लिक्विड के बिना अधूरी है। कुछ सालों पहले तक बर्तन धोने का साबुन आया करता था, जो काफी जल्दी पिघलना भी शुरू हो जाता है, लेकिन फिर जल्द ही उसकी जगह फैंसी लिक्विड सोप की बोतलों ने ले ली। भले ही बर्तन धोने का तरीके में कुछ बदलाव आ गया हो, लेकिन आपको ये जानकर हैरानी होगी कि शरीर में इसके नुकसान में कोई बदलाव नहीं आया है।
भले ही हम में से कई लोगों का तर्क है कि लिक्विड सोप में सिरका और नींबू की अच्छी मात्रा होने की वजह ये शरीर के लिए सुरक्षित है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इसमें ऐसे रसायन भी होते हैं जो आपको नज़र नहीं आएंगे लेकिन मानव शरीर के लिए काफी हानिकारक होते हैं।
ट्रायक्लोसन का इस्तेमाल
बर्तन धोने के साबुन में ब्रैंड्स अक्सर एक्टिव सामग्री का इस्तेमाल करते हैं, जिसे कहते हैं ट्रायक्लोसन। ये एक एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल एजेंट होता है। यह साबित हो चुका है कि कैमिकल का माइटोकॉन्ड्रिया पर बुरा प्रभाव पड़ता है- जिसे हमारी कोशिकाओं का पॉवरहाउस माना जाता है।
सोडियम लॉरेथ सल्फेट (SLES)
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि अधिकांश डिशवॉशिंग साबुन और टॉयलेट क्लीनर, दोनों ही सोडियम लॉरेथ सल्फेट नामक के एक कैमिकल का उपयोग करते हैं। जो आमतौर पर फोमिंग एजेंट के रूप में उपयोग किया जाता है जो बर्तनों की सतह को साफ करने में मदद करता है। विशेषज्ञों द्वारा यह बताया जा चुका है कि त्वचा इसे सोख लेती है और फिर इससे चकत्ते और एलर्जी हो सकती है।
क्या इसका कोई विकल्प है?
पहले भारतीय घरों में बर्तनों को साफ करने के लिए लाल या ब्राउन मिट्टी का इस्तेमाल किया जाता था। ऐसा मानना था कि प्राकृतिक तत्वों में सभी जीवाणुओं को मारने की शक्ति होती है। वहीं, आज के ज़माने में इसकी जगह लीक्विड सोप ने ले ली है। हालांकि, आज हर जगह मिलावट और प्रदूषण है, इसलिए विशेषज्ञों का मानना है कि सिरका और नींबू के रस का उपयोग बर्तन साफ करने का स्मार्ट तरीका हो सकता है।