International Yoga day 2021: बढ़ती उम्र में आपको चुस्त-दुरुस्त रखेंगे ये 5 आसन
Internation Yoga day 2021 योग के माध्यम से पूरी बॉडी को फिट रखा रखा जा सकता है और लंबे समय तक। तो बढ़ती उम्र में अपनी सेहत को बरकरार रखने के लिए इन 5 आसनों का रोजाना करें अभ्यास।
बढ़ती उम्र के साथ, उपापचय (मेटाबॉलिज्म) धीमा होता जाता है और अतिरिक्त वजन को दूर रखना मुश्किल हो जाता है। इससे मधुमेह, हृदय रोग और कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। योग के सरल आसनों से जोड़ों के तनाव, पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस और अन्य प्रकार के दर्द को कम किया जा सकता हैं। इन पांच आसनों के माध्यम से शारीरिक और मानसिक रूप से स्वास्थ्य और सतर्क रहा जा सकता हैं और वरिष्ठ वर्षों में भी जीवन आनंदमय हो जाता हैं।
1. समस्त स्थिति /ताड़ासन
• पैरो को एक साथ जोड कर खड़ा होना है।
• पेट को अंदर खीचें और कंधों को आराम देते हुए पैर की मांसपेशियों को सक्रिय रूप से शामिल करते हुए 5-8 सांसें लें।
लाभ
• यह आसन शरीर को तैयार करता है और मन को शांत करता है।
• यह पूरे शरीर की मुद्रा में सुधार लाता है।
• आत्म-जागरूकता पैदा करता है।
श्वास पद्धति
धीरे से श्वास लें और छोड़ें।
बिना झुके अपने शरीर के वजन को दोनों पैरों पर समान रूप से संतुलित करने का प्रयास करें।
2. वृक्षासन
• समस्त स्थिति से शुरू करें।
• दाहिना पैर उठाएं और बांये पैर की भीतरी जांघ पर रखें।
• हथेलियों से अपने पैर को सहारा दें।
• हृदय चक्र पर प्रणाम मुद्रा में अपनी हथेलियों को मिलाएं और ऊपर उठाएं।
• दूसरे पैर के साथ इसे दोहराएं।
लाभ
• संतुलन में सुधार करता है।
• जांघों और पिंडली की मांसपेशियों को मजबूत करता है।
• घुटनों को आराम प्रदान करता है।
• कंधों की अकड़न को कम करता है।
श्वास पद्धति
धीरे से श्वास लें और छोड़ें
सलाह
• यदि कंधों, कूल्हों, घुटनों और/या टखनों में चोट लगी हो तो इस आसन को नहीं करना चाहिए।
• गठिया से पीड़ित लोगों को यह आसन नहीं करना चाहिए।
• अभ्यास के शुरुआत में, पैर को पिंडली की मांसपेशियों पर रख सकते हैं और जैसे-जैसे आसन में आगे बढ़ते जाए तब पैर को ऊपर उठा कर जांघों पर रख लें।
3. भुजंगासन (कोबरा आसन)
• पेट के बल लेट जाएं और हथेलियां कंधों के नीचे रखें।
• पैरों को एक साथ रखें, पंजों को जमीन पर टिकाएं।
• सांस भरते हुए अपने सिर, कंधों और धड़ को 30 डिग्री के कोण पर ऊपर उठाएं।
• नाभि फर्श पर बनी रहेगी और सिर थोड़ा ऊपर की ओर उठा हुआ होगा।
• धीरे-धीरे अपने धड़ को नीचे लाएं और फिर सांस छोड़ें (रेचक) - यह सांस लेने की तकनीक स्वयं में चिकित्सकीय है।
• यह आसन पीठ में स्वस्थ परिसंचरण बनाने में मदद करता है।
• पाचन क्रिया में सुधार लाता है।
• यह लीवर को बेहतर बनाने के साथ-साथ किडनी की मालिश भी करता है
श्वास पद्धति
जैसे ही आप अपनी छाती को ऊपर उठाते हैं, धीरे-धीरे श्वास लें, श्वास छोड़ें और आराम करें।
सलाह
• कृपया यह आसन ना करें अगर
• पीठ दर्द हो
• कार्पल टनल सिंड्रोम अथवा
• सिरदर्द हो
4. अधोमुखश्वानासन
• अपने घुटने और हथेलियों पर आ जाएं। सुनिश्चित करें कि हथेलियां कंधों के नीचे हों और घुटने हिप्स के नीचे।
• हिप्स को ऊपर उठाएं, घुटनों और कोहनियों को सीधा करें और उल्टे 'वी' का आकार बनाएं।
• अब हाथों को कंधों की चौड़ाई से अलग रखें। उंगलियां आगे की ओर रखें।
• हथेलियों पर दबाव डालें और कंधे को खोलें।
• एड़ियों को फर्श पर रखने का प्रयास करें।
• पैर की उंगलियों पर नजरे केंद्रित रखें।
• आठ से दस सांसों तक रुकें।
लाभ
• यह पूरे शरीर का खिंचाव करता हैं एवं ताकत प्रदान करता है।
• पीठ दर्द से राहत दिलाने में मदद करता है।
• यह शरीर का कायाकल्प करता है।
• सिरदर्द, थकान और अनिद्रा से राहत दिलाता हैं।
• शरीर की मांसपेशियों को टोन करता है।
• पैरों, कंधों और बांहों को ताकत प्रदान करता है।
• चिंता और अवसाद मुक्त करता हैं।
• इस आसन से शरीर को 360 डिग्री खिंचाव मिलता है।
श्वास पद्धति
धीरे से श्वास लें और छोड़ें।
सलाह
• यदि आप कार्पल टनल सिंड्रोम या दस्त से पीड़ित हैं तो इस आसन को न करें।
• उच्च रक्तचाप या सिरदर्द की स्थिति में यह आसन आराम से करें।
• बांहें, हिप्स, कंधे या पीठ पर चोट हैं तो यह आसन ना करें।
5. वज्रासन
• घुटनो पर बैठ जाएं।
• हथेलियों को अपने घुटनों पर रखें।
• पीठ को सीधा करें और सामने देखें।
श्वास पद्धति
धीरे से श्वास लें और छोड़ें।
लाभ
• यह आसन पाचन में सहायता करता है। यही एकमात्र आसन है जिसका अभ्यास भोजन करने के तुरंत बाद किया जा सकता है।
• आसन पैरों, टखनों और नी कैप को आराम देता है और मजबूत करता है।
• नी कैप्स को लुब्रिकेट करता है।
सलाह
• यदि घुटने या टखने में चोट है तो इस आसन को ना करें।
इस आसन को बिस्तर या गद्देदार सतह पर भी कर सकते हैं।
उम्र के साथ, अल्जाइमर रोग की संभावना बढ जाती है, और शोध से पता चलता है कि ये संख्या 65 वर्ष के बाद हर पांच साल में दोगुनी हो जाती है। योग संतुलन में सुधार करता है, फेफड़ों की क्षमता, मांसपेशियों को टोन, ताकत और लचीलापन देता है। नियमित रूप से योग करने से, गहरी निद्रा आती हैं, मन खुश रहता हैं और तनाव मुक्त हो जाते हैं।
(Grand Master Akshar से बातचीत पर आधारित)